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Kushinagar News: "भूत" ने दर्ज कराई FIR, पुलिस को बयान भी दिया, हाईकोर्ट पहुंचा अनोखा मामला
Kushinagar News: कुशीनगर पुलिस ने 2011 में मृत व्यक्ति का एफआईआर दर्ज कर लिया। साथ ही उसका बयान भी लिया।
Kushinagar News: जनपद के हाटा थाने की पुलिस ने अनोखा कारनामा कर दिखाया है। पुलिस के इस अनोखे कारनामे से समाज में पुलिस की खूब किरकिरी हो रही है। पुलिस के अनुसार 2011 में मृत व्यक्ति ने 2014 में अपने विरोधियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। पुलिस ने मामले में मृत व्यक्ति का बयान भी ले लिया। 161 सीआरपीसी का बायन दर्ज करा गवाही के आधार पर चार्जसीट भी दाखिल कर दी गई। मामला यहीं नहीं थमा। वकील साहब ने वकालतनामा दायर कर दिया। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि भूत निर्दोषों पर कैसे मुकदमा दर्ज कराया है? कोर्ट ने मामले को रद्द करते हुए एसपी को जांच के आदेश दिए हैं।
एसपी को जांच के आदेश
हाई कोर्ट ने कुशीनगर एसपी को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि मैं इस केस के तथ्यों से हैरान हूं। पुलिस ने तीन साल पहले मर चुके आदमी का बयान दर्ज कर लिया, ये कैसे किया होगा? कोर्ट ने SP कुशीनगर को निर्देश दिया कि यहां एक ‘भूत’ निर्दोष को परेशान कर रहा है। साथ ही अधिकारी को बयान भी दे रहा है। कोर्ट ने जांच कर अधिकारी के बारे में रिपोर्ट की मांग की है। साथ ही, हाई कोर्ट ने केस को रद्द कर दिया है।
ये है पूरा मामला
कुशीनगर जनपद की हाटा थाना क्षेत्र के एक गांव में 2011 में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसी व्यक्ति के नाम से 2014 में भूमि विवाद के एक मामले में एक ही परिवार के पांच लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट लिखवाई जाती है। विवेचक दारोगा ने अपना करामात करते हुए मृत व्यक्ति का बयान दर्ज कर आरोप पत्र दाखिल कर दिया। आरोपी व्यक्ति पुरुषोत्तम सिंह उनके दोनों भाई और बेटों ने पुलिस के आरोप पत्र को चुनौती दिया। कोर्ट से पता चला कि शब्द प्रकाश नाम के व्यक्ति ने पुरुषोत्तम एवं अन्य के खिलाफ धोखा धड़ी व कूट रचित की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
2011 में हुई मौत
हालांकि, मृत्यु प्रमाण पत्र और प्रकाश की पत्नी के बयानों से पता चलता है कि शब्द प्रकाश की मौत 2011 में हो गई। हाई कोर्ट इलाहाबाद में सुनवाई के दौरान सवाल खड़ा किया कि अगर शब्द प्रकाश की मौत 2011 में हुई तो 2014 में क्या भूत ने एफआईआर दर्ज कराई। 2011 में मृत व्यक्ति कैसे वकालतनामा पर हस्ताक्षर कर दिया। कोर्ट के आरोपी पुरुषोत्तम सिंह वह उनके परिजनों के खिलाफ आरोप पत्र रद्द कर दिया।