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असली अपराधियों पर प्रशासन मेहरबान, मजदूरों को भूमाफिया बना भेज दिया जेल

यूपी के फतेहपुर जिले के हुसैनगंज थाना पुलिस ने मोहद्दीनपुर के 16 ग्रामीणों को भूमाफिया के रूप में चिन्हित किया है। इनमें से कई भट्ठा मजदूर हैं तो कई खेतिहर मजदूर।

tiwarishalini
Published on: 15 Jun 2017 9:17 PM IST
असली अपराधियों पर प्रशासन मेहरबान, मजदूरों को भूमाफिया बना भेज दिया जेल
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असली अपराधियों पर प्रशासन मेहरबान, मजदूरों को भूमाफिया बना भेज दिया जेल

फतेहपुर: यूपी के फतेहपुर जिले के हुसैनगंज थाना पुलिस ने मोहद्दीनपुर के 16 ग्रामीणों को भूमाफिया के रूप में चिन्हित किया है। इनमें से कई भट्ठा मजदूर हैं तो कई खेतिहर मजदूर। बुधवार को देर रात पुलिस द्वारा मारे गए ताबड़तोड़ छापे में इनमें से पांच अपने मिट्टी के घरौंदों में सोते मिले। गुलाब, भोला, हीरालाल, संतोष और राजेंद्र को पुलिस गिरफतार करके हुसैनगंज थाने ले गई और सभी को जेल भेज दिया।

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प्रशासन द्वारा चिन्हित इन कथित भू माफियाओं में से किसी के भी पास एक या दो कट्टा जमीन से ज्यादा नहीं है। इनकी गलती सिर्फ इतनी है कि लगभग 30 साल पहले श्रेणी तीन के अंतर्गत मिले पट्टे की जमीन पर यह खेती करते चले आ रहे हैं। जबकि वर्ग तीन के पट्टे शासन द्वारा खारिज किए जा चुके हैं।

जब प्रशासन द्वारा भू माफियाओं पर की गई बड़ी कार्यवाही की पड़ताल के लिए newstrack.com की टीम लालपुर पहुंची तो इनके घरों और माली हालत देखकर दंग रह गई। गुलाब के घर के सामने पड़े छप्पर के नीचे उसकी 80 साल की बूढी मां और घर के अंदर चूल्हे में रोटी सेंक रही पत्नी के अलावा दो अधनंगे बच्चे मिले। जिनको शायद तन ढकने के लिए कपड़े भी मयस्सर नहीं हैं।

गांव वालों की मदद से दूसरे कथित भू माफिया भोला के घर पहुंचे। जहां उसकी बूढी मां का बेटे के जेल जाने के बाद से रो-रोकर बुरा हाल है। भोला की मां ने बताया कि बहू (भोला की पत्नी) मर चुकी है और वह भट्ठे में मजदूरी करके बच्चों का पेट पालता है। सरकार द्वारा पट्टे पर जो 10 बिस्वा जमीन दी गई थी, उसी में कुछ फसल कर लेता था लेकिन बताते हैं कि पट्टा खत्म हो गया है इसीलिए पुलिस पकड़ ले गई है।

भोला के बेटे ने बताया कि अगर पिता भू माफिया होते तो हमारा घर छप्पर का न होता और न ही चूल्हे में हमें खाना बनाकर खाना पड़ता। अब पापा जेल में हैं और घर में पैसा भी नहीं है। तो क्या बनाएं और क्या खाएं ?

तीसरे कथित भूमाफिया की तलाश में आगे बढ़े तो एक कटे पैर वाले 75 साल के विकलांग से हमें रूबरू कराया गया। विकलांग मन्नीलाल ने बताया कि पुलिस ने उसका भी नाम भूमाफिया में बताया है। लेकिन उसे थाने से ही शायद विकलांग होने के कारण जमानत पर छोड़ दिया गया है।

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कितनी जमीन है? के सवाल पर बताया कि ‘‘पट्टे में लगभग एक बीघा जमीन मिली थी। जिससे गुजर बसर करते थे। पट्टा खारिज होने की जानकारी थी। लेकिन यह सोच कर खेती करते रहे कि जब सरकार चाहेगी तब बेदखल कर देगी। लेकिन अचानक प्रशासन ने भू माफिया बना दिया।

गरीब हैं इसलिए पुलिस प्रशासन चाहे जो बनाए। जो भू माफिया हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। केवल गरीबों को ही भूमाफिया बनाकर जेल मे डाला जा रहा है। सरकार को बदनाम करने के लिए ये सब अधिकारी लोग कर रहे हैं। जबकि सभी अधिकारी जानते हैं कि करोडों रुपए की सरकारी जमीन और तालाब बेचने वाले और आलीशान कोठियां बनाकर रह रहे कौन लोग असली भूमाफिया हैं?

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लेकिन उन पर कोई कार्यवाही इसलिए नहीं की जाती क्योंकि उनके पास अकूत पैसा है और प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक उनकी दावतें उड़ाते हैं। हम मजदूर लोगों को भूमाफिया बनाकर प्रशासन असली भूमाफियाओं को बचाने में जुटा हुआ है और अपनी खानापूर्ति कर रहा है।

कमोबेश ऐसी ही हालत भू माफिया बनाकर जेल भेजे गए हीरालाल, संतोष और राजेंद्र के परिवारों की भी है। गांव जंवार के अन्य 11 वांछित भूमाफियाओं में ज्यादातर गरीब मजदूर और मुफलिसी में जी रहे अन्य लोग हैं। जिन्हें दो जून की रोटी का इंतजाम भी बड़ी मुश्किल से करना होता है। इनके भी घरों में दहशत है। कब पुलिस आएगी और पकड़कर जेल भेज देगी। इन सभी पर श्रेणी तीन के पट्टे (वर्तमान में खारिज) मिले। जमीन के टुकड़ों में खेती करने का आरोप है। जिसे लेखपाल ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा बताकर भूमाफिया की सूची में डाल दिया और प्रशासन ने बिना जांच किए उसे मान भी लिया है।

गौरतलब है कि जिले की ऐतिहासिक ससुर खदेरी नदी के उद्गम स्थल अखनई झील की लगभग सौ बीघे जमीन पर भी एक कुख्यात भू माफिया का अवैध कब्जा है और इस सरकारी जमीन से लाखों रुपए की मछली सहित अन्य फसलें अर्जित की जा रही हैं। वहीं शहर के तालाबों सहित अन्य तमाम सरकारी जमीनों को चर्चित भूमाफिया निगलने के बाद प्लाॅटिंग करके बेच चुके हैं। लेकिन शहर के तालाबों से लेकर गांवों तक करोड़ों की सरकारी भूमि को अवैध तरीके से कब्जाकर बेच देने वाले नामचीन भू माफियाओं पर कार्यवाही को लेकर प्रशासन अभी भी चुप है।

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इस संबंध में डीएम मदन पाल आर्य ने कहा कि सरकारी जमीनों में अवैध कब्जा करने वाला चाहे गरीब हो या फिर कितना प्रभावशाली ही क्यों न हो, सभी पर बिना किसी भेदभाव के कार्यवाही की जाएगी। यदि निर्दोष को फंसाए जाने का कोई मामला सामने आता है तो उसकी जांच कराकर संबंधित दोषी कर्मचारी को भी नहीं बक्शा जाएगा।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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