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बड़ा सवाल: ऑक्सीजन शार्टेज से कैसे निपटेगी सरकार, सप्लाई चेन प्रभावित!

लखनऊ में छोटे बड़े मिलाकर करीब डेढ़ हजार अस्पताल हैं। इनमें से ज्यादातर के यहां ऑक्सीजन का संकट है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Chitra Singh
Published on: 17 April 2021 7:06 AM GMT (Updated on: 18 April 2021 10:49 AM GMT)
बड़ा सवाल: ऑक्सीजन शार्टेज से कैसे निपटेगी सरकार, सप्लाई चेन प्रभावित!
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ऑक्सीजन सप्लाई (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन ने राजधानी में जबर्दस्त कहर ढाया हुआ है। ये स्ट्रेन आरटीपीसीआर जांच को ही चकमा नहीं दे रहा है बल्कि 24 से 48 घंटे के भीतर दोनो फेफड़े चोक कर दे रहा है। जिससे ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया पर तैर रही ऑक्सीजन सप्लायर्स की लिस्ट के नंबर डायल करने पर लोगों की शिकायतें आ रही हैं कि कई नंबर बंद हैं और जिनके चालू भी हैं उन्होंने हाथ खड़े कर दिये हैं। राजधानी के ज्यादातर निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन का संकट है। जिसके चलते गंभीर मरीजों के तीमारदारों और अस्पताल प्रशासन के बीच झड़प की खबरें भी आ रही हैं।

सरकार क निर्देशों के बावजूद ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल ऐसे मरीजों की भर्ती लेने से इनकार कर रहे हैं। मीडिया में इस तरह की खबरें हैं कि ऑक्सीजन सिलेंडर तीन गुना से अधिक महंगा हो चुका है और आसानी से मिल भी नहीं रहा है। यह बात निजी अस्पतालों के संचालक कह रहे हैं।

डेढ़ हजार में भी नहीं मिल रहा है जम्बो सिलेंडर

लखनऊ में छोटे बड़े मिलाकर करीब डेढ़ हजार अस्पताल हैं। इनमें से ज्यादातर के यहां ऑक्सीजन का संकट है। अस्पताल संचालकों का कहना है कि अप्रैल में संक्रमण बढ़ने के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर महंगा हो गया था, अब हाल यह है कि हजार डेढ़ हजार में भी जम्बो सिलेंडर नहीं मिल रहा है।

ऑक्सीजन सिलेंडर (फोटो- सोशल मीडिया)

ऑक्सीजन न मिलने से दो मरीजों की मौत

अस्पतालों के मरीजों की भर्ती लेने से मना करने के बाद तीमारदार अपने मरीज को लेकर भटक रहे हैं और बाराबंकी कानपुर आदि शहरों में ले जा रहे हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान दो मरीजों की ऑक्सीजन न मिलने से मौत की खबर आयी है लेकिन ऐसे कितने मरीजों की मौत हुई जो ऑक्सीजन न मिलने के चलते अस्पतालों में भर्ती ही नहीं हो पाए इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है।अलबत्ता सरकार की ओर से ऑक्सीजन की कमी न होने का दावा करते हुए ऑक्सीजन की कमी की जांच कराने की बात कही जा रही है, लेकिन मरीज बेबस हैं।

Chitra Singh

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