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कार्तिक पूर्णिमा: काशी में आस्था का सैलाब, घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

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Published on: 4 Nov 2017 6:21 AM GMT
कार्तिक पूर्णिमा: काशी में आस्था का सैलाब, घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
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वाराणसी: कार्तिक पूर्णिमा पर धर्म नगरी काशी में आस्था का सैलाब उमड़ा। घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त किया। आलम ये था कि शुक्रवार की देर रात से लगभग सभी घाट श्रद्धालुओं से पट गए थे। भगवान भाष्कर के उदय और उनकी प्रथम किरण की आभा के साथ पतित पावनी मां गंगा में डुबकियां लगाने वालों की तादात बढ़ने लगी। गंगा घाटों पर गोताखोर, जल टीम, पीएसी के जवान सहित कई थानों की पुलिस, होमगार्ड के जवानों के साथ गैर जिलों से भी पुलिस की कई टीमें मंगाई गई हैं।

क्या है मान्यता?

माना जाता है कि भगवान विष्णु का प्रथम मतस्य अवतार आज ही हुआ था। शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक मास में दो दीपावली पड़ती हैं। अमावस्या के दिन मनुष्यों की और कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं की दीपावली। काशी में इसीलिए आज देव लोक के सभी देवी-देवता दीपावली मनाते हैं। महादेव ने इसी दिन त्रिपुरासुर को मारने में अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था। महादेव को गंगा अति प्रिय है, स्नान के बाद दान की परंपरा है।

पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन चार महीनों बाद भगवान विष्णु शयन से उठते हैं और विष्णु-तुलसी विवाह के बाद से सारे मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है और इसी दिन से कार्तिक पूर्णिमा तक गंगा में स्नान विशेष फलदायी हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने का भी बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा स्नान और दान से कई पापों से मुक्ति मिलती है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इतंजाम किए गए थे। सभी प्रमुख घाटों पर बैरिकेडिंग के अलावा जल पुलिस को तैनात कर दिया गया था। ड्रोन कैमरों से अवांछनिय तत्वों पर नजर रखी जा रही थी। हालांकि हर साल की अपेक्षा इस बार ज्यादे भीड़ देखी गई। प्रमुख घाटों के लगभग एक किमी पहले ही वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्रशासन का दावा है कि सुबह दस बजे तक लगभग तीन लोगों ने काशी के अलग-अलग घाटों पर स्नान कर लिया है।

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