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Lakhimpur Kheri: जानवर चराने गए किसान पर बाघ ने किया हमला, हुई मौत
Lakhimpur Kheri: तलाशी अभियान के दौरान परिजनों और साथ ही ग्रामीणों को किसान का अधखाया शव जंगल में बरामद हुआ ।
किसान पर बाघ ने किया हमला (photo: social media )
Lakhimpur Kheri: लखीमपुर खीरी जिले के निघासन जंगल से सटे खेत में जानवर चराने गए कोतवाली तिकुनिया क्षेत्र के ग्राम मंझरा पूरब के एक किसान की बाघ के हमले में मौत हो गई । यह इलाका बेलरायां वन रेंज में आता है , युवा किसान की मौत से परिजनों में हाहाकार मचा हुआ है।
जानकारी के अनुसार गत 6 सितंबर को सांयकाल के समय तिकुनिया क्षेत्र के ग्राम मंझरा पूरब निवासी रमेश भार्गव 40 वर्ष पुत्र बहादुर भार्गव अपने जानवर को चराने घने जंगल से सटे खेर के पास गया था, जहां पहले से मौजूद बाघ ने अचानक रमेश पर हमला कर दिया। बाघ ने हमले में किसान के चेहरे और उसके अन्य अंगों को बुरी तरह नोचा है । उसे पहचान के काबिल तक नहीं छोड़ा ।
रात हो जाने पर भी जब किसान घर नहीं लौटा तो परिजनों ने जंगल में उसकी तलाश शुरू कर दी । तलाशी अभियान के दौरान परिजनों और साथ ही ग्रामीणों को किसान का अधखाया शव जंगल में बरामद हुआ । इस घटना की खबर सुनकर परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है।
ग्रामीणों में काफी आक्रोश
बताया जाता है कि घटना स्थल पर एक वन कर्मी के अलावा इस समाचार के लिखे जाने तक कोई झांकने तक नहीं पहुंचा। बेलराया रेंज की कार्यशैली से ग्रामीणों में काफी आक्रोश व्याप्त है, इस प्रतिनिधि ने रेंजर बिलरायां से घटना के संबंध में जानकारी के लिए जब फोन किया तो उन्होंने उठाया ही नहीं ।
गौरतलब है कि बेलरायां रेंज और जंगल से सटे गांवो में पिछले 2 साल से बाघ और तेंदुए जैसे हिंसक वन्यजीवों के हमले में दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों की मौत हो चुकी है लेकिन जंगल विभाग कानों में तेल डाल कर बैठा है। अभी कुछ माह पहले जब एक बाघ और बाघिन ने इस क्षेत्र में आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा । उस समय बहुत चीख पुकार मचाने पर एक आदमखोर हिंसक जीव को वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा तमाम प्रयासों के उपरांत पकड़ कर चिड़ियाघर भेजा गया था। इसके बावजूद तराई क्षेत्र में बाघ और तेंदुए का आतंक लगातार जारी है । ज्ञातव्य है कि आवारा गोवंश की वजह से किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए जान दांव पर लगानी पड़ रही है। पशुपालकों को चारे की समस्या के कारण जानवरों को चराने के लिए जंगल या जंगल से सटे इलाके में जाना ही पड़ता है ।यह पशुपालकों की मजबूरी भी है यही मजबूरी उनके लिए प्राणघातक सिद्ध हो रही है । गत दिवस बाघ के हमले में मारे गए किसान का अधखाया शव जंगल से रात्रि करीब 8:30 बजे बरामद हुआ था , शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है ।