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Lakhimpur kheri : दस से बारह तक सभी अधिकारी जनसुनवाई करेंगे - दुर्गा शक्ति नागपाल
Lakhimpur Kheri: प्रेस वार्ता में सीडीओ अनिल कुमार सिंह, एडीएम संजय कुमार सिंह आदि मौजूद थे।इनपर मस्जिद की दीवार को गिराने का लगा था आरोप
Lakhimpur kheri : आज सुबह नवागंतुक डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल लखीमपुर आयी। अधिकारियों से मिली और कोषागार जाकर डीएम का कार्यभार संभाला। अधिकारियों की बैठक की। मीडिया से भी रूबरू हुईं। डीएम ने कहा कि मीडिया से सामंजस्य जरूरी है । मीडिया कमियों को खुल कर बताए। सभी अधिकारी 10 से 12 बजे तक जनसुनवाई करेंगे । फरियादी दूर से आता है। उसकी बात ध्यान से सुनी जाए। जो सरकारी सुविधाएं उसे मिल सकती दी जाएं। 39 वर्षीय डीएम 2010 बैच की आईएएस हैं। उनकी देश मे 20 वीं रैंक थी। श्रीमती नागपाल बांदा जिले की डीएम थी। अब लखीमपुर की डीएम बनाई गई हैं। वह सीडीओ, जॉइंट मजिस्ट्रेट , उप शासन में विभिन्न पदों भारत सरकार की सेवा में भी कार्यरत रही है। प्रेस वार्ता में सीडीओ अनिल कुमार सिंह, एडीएम संजय कुमार सिंह आदि मौजूद थे।इनपर मस्जिद की दीवार को गिराने का लगा था आरोप
दुर्गा शक्ति नागपाल (जन्म: 25
जून 1985)[1] 2009 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। जो अपनी ईमानदारी के लिये जानी जाती हैं। उन्हें अवैध खनन के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण निलम्बित कर दिया गया। उन पर आरोप यह लगाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से बनाई जा रही एक मस्जिद की दीवार को गिरा दिया था, जिससे इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल जाने की आशंका थी। बाद में जनता के विरोध के मद्देनज़र उन्हें राजस्व विभाग से सम्बद्ध कर दिया गया था।
खनन माफियाओं के खिलाफ चलाया था अभियान
मूल रूप से पंजाब कैडर की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने 2011 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी अभिषेक सिंह से शादी करके अपना स्थानान्तरण उत्तर प्रदेश में करा लिया था। उनकी पहली तैनाती सितम्बर 2012 के दौरान गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में हुई जहाँ उन्हें उ०प्र० सरकार द्वारा सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एस०डी०एम०) के पद पर तैनात किया गया। 28 वर्षीय युवा व स्वभाव से ही तेजतर्रार इस महिला प्रशासनिक अधिकारी ने यमुना नदी के खादर में रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में ले लिया था। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिये विशेष उड़न दस्तों का गठन किया और उनका नेतृत्व भी स्वयं सम्भाला। जिसके चलते वे राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकार हो गयीं।