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15 साल की उम्र में हुआ था एसिड अटैक , आज दूसरों के लिए बन रहीं प्रेरणा

चले चलिए कि चलना ही दलीले कामरानी है, जो थककर बैठ गए वो मंज़िल पा नहीं सकते। महिलाओं पर होने वाला एसिड अटैक उनकी ज़िंदगी पूरी तरह बर्बाद कर देता है। लेकिन कुछ औरतें ऐसी घटनाओं से डर कर बैठती नहीं, बल्कि अपने हौसले से अपने लिए एक अलग राह बनाती हैं।

Anoop Ojha
Published on: 3 Dec 2018 8:24 PM IST
15 साल की उम्र में हुआ था एसिड अटैक , आज दूसरों के लिए बन रहीं प्रेरणा
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स्वाति प्रकाश

लखनऊ : चले चलिए कि चलना ही दलीले कामरानी है, जो थककर बैठ गए वो मंज़िल पा नहीं सकते। महिलाओं पर होने वाला एसिड अटैक उनकी ज़िंदगी पूरी तरह बर्बाद कर देता है। लेकिन कुछ औरतें ऐसी घटनाओं से डर कर बैठती नहीं, बल्कि अपने हौसले से अपने लिए एक अलग राह बनाती हैं। ऐसी ही एक महिला हैं लक्ष्मी जो एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं। महिलाओं को कमज़ोर समझने वालों के लिए लक्ष्मी ने एक अलग मिसाल कायम की है।

15 साल की उम्र में हुआ ऐसिड अटैक

लक्ष्मी बताती हैं कि साल 2005 में 15 साल की उम्र में उनपर ऐसिड अटैक हुआ। एक 32 साल के लड़के का शादी प्रस्ताव ठुकराने के कारण उसने उन पर ऐसिड फेंक दिया। इस घटना में उनका चेहरा बुरी तरह बिगड़ गया। लक्ष्मी कई महीनों तक उस दर्द से जूझती रहीं। लेकिन इस दर्द ने उनके हौसले पस्त नहीं किए। कुछ समय तक अपना चेहरा ढकने के बाद उन्होंने फैसला लिया कि अब वह अपना चेहरा किसी से नहीं छुपाएंगी। तबसे लेकर आजतक वह पूरे आत्मविश्वास के साथ लोगों से मिलती हैं।

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नहीं मिली कहीं नौकरी

लक्ष्मी के मुताबिक 2012 में बीमारी के कारण उनके पिता की मौत हो गई। अपने घर में कमाने वाले केवल वही थे। उनकी मौत के बाद लक्ष्मी ने कई जगह नौकरी पाने की कोशिश की, लेकिन हर जगह उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि उनके चेहरे से लोग डर जाएंगे। साल 2014 में अचानक उनके भाई की भी मौत हो गई। वो वक़्त लक्ष्मी के लिए सबसे ज़्यादा चुनौती पूर्ण था।

अपने हक के लिए उठाई आवाज़

2009 में लक्ष्मी ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने सरकार से ऐसिड बैन करने की मांग की। 3 साल बाद साल 2012 में सरकार ने ऐसिड पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। इसी दौरान वह छांव फाउंडेशन से जुड़ीं।

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दूसरी महिलाओं को भी बनाया आत्मनिर्भर

छांव फाउंडेशन से जुड़ने के बाद लक्ष्मी ने अपनी ही तरह कई ऐसिड अटैक सर्वाइवर्स को आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने इन सभी महिलाओं को समाज में इज़्ज़त दिलाने के साथ ही सिर उठाकर जीना सिखाया।

जब व्हाइट हाउस में मिला सम्मान

लक्ष्मी को अपनी और बहादुरी के जज़्बे के लिए अमेरिका के व्हाइट हाउस में सम्मानित भी किया गया। मिशेल ओबामा ने उन्हें 'वीमेन ऑफ करेज ' सम्मान से नवाजा। कभी हार न मानने के उनके जज़्बे ने उन्हें देश ही नहीं, विदेश में भी लोकप्रिय बना दिया।

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कठिन समय में पति ने छोड़ा साथ

लक्ष्मी ने कुछ साल पहले छांव फाउंडेशन के संस्थापक आलोक से शादी की थी। कुछ सालों तक सब कुछ ठीक रहा , लेकिन फिर धीरे धीरे दोनों में गलतफहमियां पैदा हो गईं। आखिरकार दोनों अलग हो गए। लक्ष्मी आज अपनी 3 साल की बच्ची के साथ अकेले रह रहीं हैं।

कमाई का नहीं है कोई ज़रिया

लक्ष्मी ने बताया कि पति से अलग होने के बाद उनपर आर्थिक संकट आ गया। अपनी बच्ची की परवरिश के लिए उन्हें बहुत जद्दोजहद करनी पड़ती है। कुछ इवेंट में बतौर स्पीकर उन्हें बुलाया जाता है, लेकिन अधिकतर यह कहकर उन्हें पैसे नहीं दिए जाते कि वह केवल एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जबकि पैसे केवल सेलिब्रिटी को दिए जाते हैं।

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ज़रूरत है सरकारी नौकरी की

लक्ष्मी चाहती हैं कि उन्हें एक सरकारी नौकरी दी जाए ताकि वह एक सम्मानजनक ज़िन्दगी बिता सकें। प्राइवेट नौकरी में उन्हें न ही वह सम्मान मिलेगा, न ही उनका भविष्य सुरक्षित होगा। अपनी बच्ची की सही परवरिश के लिए उन्हें एक सरकारी नौकरी की बहुत ज़रूरत है।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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