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हाईकोर्ट का फैसला : अवार्ड न देनेे से भूमि अधिग्रहण पर नहीं पड़ेगा कोई फर्क

Rishi
Published on: 5 Jan 2018 2:17 PM GMT
हाईकोर्ट का फैसला : अवार्ड न देनेे से भूमि अधिग्रहण पर नहीं पड़ेगा कोई फर्क
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इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण की घोषणा के दो वर्ष के भीतर यदि अवार्ड नहीं बनता तो अधिग्रहण कार्यवाही समाप्त नहीं होती। कोर्ट ने कहा है कि यदि अधिग्रहण के बाद भूमि पर कब्जा ले लिया गया है तो अवार्ड में देरी होने से अधिग्रहण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

याची का कहना था कि यदि अधिग्रहण की घोषणा के दो वर्ष के भीतर अवार्ड नहीं आता तो कार्यवाही लैप्स हो जायेगी। कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता तथा न्यायमूर्ति जयन्त बनर्जी की खण्डपीठ ने श्रीमती कमलेश देवी व दो अन्य की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि गौतमबुद्धनगर नोएडा की औद्योगिक विकास योजना के तहत 130.4109 हेक्टेयर जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहित की गयी और 27 फरवरी 2008 को धारा 6(1) का प्रकाशन भी हो गया। किन्तु अवार्ड दो साल के भीतर नहीं आ सका। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 19 मार्च 2008 को 124.6966 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा भी ले लिया। प्राधिकरण के प्रांजल मेहरोत्रा का कहना था कि धारा 17(1) एवं 17(4) के उपबन्ध धारा 4(1) एवं धारा 6 के प्रकाशन दोनों पर लागू होगी। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि धारा 11(ए) के तहत अधिग्रहण लैप्स कर गया।

कोर्ट ने कहा कि अधिगष्हीत भूमि पर कब्जे के बाद वह सरकार के आधिपत्य में आ गयी। अवार्ड आने में देरी से इस कार्यवाही पर फर्क नहीं पड़ेगा।

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एजेंसी निरस्त करने पर हस्तक्षेप से इंकार, लैप्स पालिसी धारक को फायदा पहुंचाने का आरोप

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लैप्स पालिसी धारक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति के मर जाने के बाद स्वस्थ बताकर दावा मंजूर कराने वाले बीमा एजेन्ट की एजेन्सी निरस्त कर अर्थदण्ड लगाने के आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि याची बीमा एजेंट ने खत्म पालिसी को पुनर्जीवित कर दावा दिखाने में भूमिका निभाई है। बीमार व्यक्ति को फिट घोषित करने में सहयोग दिया है। ऐसे में हस्तक्षेप करने का आधार नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति ए.पी.शाही तथा न्यायमूर्ति इफाकत अली खां की खण्डपीठ ने एलआईसी बीमा एजेंट की याचिका पर दिया है। बीमा कंपनी के अधिवक्ता वी.के चन्देल का कहना था कि याची ने एक गंभीर बीमारी से पीड़ित पालिसी होल्डर को डाक्टरी जांच में स्वस्थ घोषित कराया। इसके बाद पालिसी पुनर्जीवित करायी। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। इस प्रकार एजेंट ने निगम की नीतियों के खिलाफ काम किया।

पालिसी धारक गिरीश चन्द्र शुक्ल के अच्छे स्वास्थ्य घोषित करने में याची गवाह बना। पालिसी धारक की पालिसी किश्त न जमा करने के कारण लैप्स हो गयी थी, जिसे बहाल कराया। इससे फर्क नहीं पड़ता कि याची पालिसी धारक का एजेंट नहीं था। किन्तु उसी के कारण मृतक को भुगतान किया गया।

बीमा पालिसी नियमों के तहत एजेंट का दायित्व है कि वह उचित जांच करे। गंभीर बीमारी के बावजूद मेडिकल जांच में फिट दिखाना उचित नहीं किया जा सकता। याची ने स्वीकार भी किया है कि उसने पालिसी धारक की मेडिकल जांच में सहयोग किया है। याची को सुनवाई का मौका भी दिया गया। ऐेसे में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

यूपीएसआईडीसी के प्रबंधक रिकार्ड के साथ तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में यूपीएसआईडीसी द्वारा जमीन आवंटित कर कब्जा न सौंपने के खिलाफ याचिका पर क्षेत्रीय प्रबंधक को मूल पत्रावली के साथ 11 जनवरी को हाजिर रहने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि बिना जमीन का कब्जा सौंपे उस पर निर्माण कैसे किया गया। यह आदेश सुधीर अग्रवाल व जस्टिस इरशाद अली की खण्डपीठ ने सी.वी.के. चैरिटेबुल ट्रस्ट की याचिका पर दिया है।

मामले के अनुसार वाराणसी के रामनगर में यूपीएसआईडीसी ने 2012 में औद्योगिक विकास के लिए अर्जित भूमि में से दो लाख चालीस हजार वर्ग फीट जमीन ट्रस्ट को आवंटित की। पैसा जमा कराया गया, पर जमीन का कब्जा नहीं सौंपा गया। याची का कहना था कि उसे कब्जा सौंपा गया है। कोर्ट ने इस मामले में जमीन का कब्जा सौंपने का पत्र पेश करने को कहा है। 11 जनवरी को कोर्ट इस केस की सुनवाई करेगी।

राजस्व परिषद लखनऊ में मुकदमा भेजने से वकील नाराज

इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद इलाहाबाद के मुकदमे लखनऊ राजस्व परिषद में पेश करने की छूट का यहां के वकीलों ने विरोध किया है।

बार एसोसिएशन ने कहा है कि इस प्रकार का निर्णय लेकर राजस्व परिषद को लखनऊ शिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। एसोसिएशन के महासचिव बालकृष्ण पाण्डेय ने बताया कि एक जनवरी 18 से यह व्यवस्था लागू हो गयी है। इस व्यवस्था के तहत कोई भी इलाहाबाद या लखनऊ किसी भी राजस्व परिषद कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर सकता है।

बताया गया कि इलाहाबाद प्रधान पीठ में दो सदस्य हैं जबकि लखनऊ में चार सदस्य कार्यरत हैं। लखनऊ में मात्र दो पद ही स्वीकृत हैं। बार एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि वह इस मुद्दे को मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों के समक्ष उठाया जायेगा और एक प्रतिनिधि मण्डल शीघ्र ही मंत्रियों से मिलेगा।

हाईकोर्ट बार की नई कार्यकारिणी ने संभाला कार्यभार

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने शुक्रवार को भव्य समारोह में कार्यभार संभाल लिया। हाईकोर्ट के गेट नम्बर तीन ए के पास आज नई कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह सम्पन्न हुआ। मुख्य चुनाव अधिकारी वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मपाल सिंह, एल्डर्स/अन्तरिम कमेटी के चैयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता रविकांत अग्रवाल, सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी एवं चुनाव अधिकारी सुरेश चन्द्र द्विवेदी की मौजूदगी में बार की नई कार्यकारिणी ने जिम्मेदारी संभाली।

इस मौके पर मुख्य चुनाव अधिकारी धर्मपाल सिंह और अंतरिम कमेटी के चैयरमैन रविकांत अग्रवाल ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष इन्द्र कुमार चतुर्वेदी और महासचिव अविनाश चन्द्र तिवारी एवं सभी नए पदाधिकारियों का माल्यार्पण किया और उन्हें बार का प्रमाण पत्र भी सौंपा।

शपथ लेने वाली नवनिर्वाचित कार्यकारिणी में अध्यक्ष इन्द्र कुमार चतुर्वेदी, महासचिव अविनाश चंद्र तिवारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष आर एन ओझा, उपाध्यक्ष सुधीर दीक्षित, अफजल अहमद खान दुर्रानी, मुन्ना यादव, श्रीराम पांडेय, आंनद मोहन पांडेय, संयुक्त सचिव प्रशासन प्रशांत सिंह रिंकू, संयुक्त सचिव पुस्तकालय संजीव कुमार सिंह, संयुक्त सचिव प्रेस संतोष सिंह बबलू, संयुक्त सचिव महिला कुमारी कंचन सिंह, कोषाध्यक्ष राजकुमार सिंह समेत कार्यकरिणी के 16 सदस्यों ने शपथ ने शपथ लिया।

शपथ लेने के बाद अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित अध्यक्ष आई के चतुर्वेदी ने कहा कि अधिवक्ताओं की समस्याओं का निराकरण ही उनकी पहली प्राथमिकता होगी, इसके लिए शासन से वार्ता भी की गयी है। उन्होंने अधिवक्ताओं को भरोसा दिलाया कि बार की व्यवस्था को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया जायेगा। मेडिकल क्लेम की सुविधा को बगैर किसी भेदभाव के सभी अधिवक्ताओं को मुहैया करायी जायेगी।

चतुर्वेदी ने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए हाईकोर्ट परिसर में आरओ प्लांट लगवाया जायेगा। वहीं आवास की समस्या से जूझ रहे अधिवक्ताओं को आवासीय सुविधा दिलाने का प्रयास किया जायेगा। वहीं महासचिव अविनाश चन्द्र तिवारी ने भी अधिवक्ताओं की समस्याओं का निस्तारण करने का आश्वासन अधिवक्ताओं को दिया है। वहीं कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में अंतरिम कमेटी के चैयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता रविकांत अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी, मुख्य चुनाव अधिकारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मपाल सिंह, चुनाव अधिकारी सुरेश चंद्र द्विवेदी समेत हाईकोर्ट के तमाम अधिवक्ता उपस्थित रहे।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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