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मीटर गेज पर लखनऊ से चली आखिरी ट्रेन, 1885 में शुरू हुई थी सेवा
लखनऊः लखनऊ से शनिवार को मीटर गेज की आखिरी ट्रेन मैलानी तक चली। ऐशबाग से मैलानी तक का ये ट्रैक 130 साल पहले अंग्रेजों ने बिछाया था। पैसेंजर ट्रेन के आखिरी सफर के दौरान इसमें सफर करने वालों की आंखें नम दिखीं। ट्रेन को आखिरी सफर के लिए खूब चमकाया गया था।
आखिरी पैसेंजर ट्रेन की सवारी करता परिवार
1885 में शुरू हुई थी सेवा
-एनईआर के पीआरओ आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि 1885 में मैलानी तक ट्रेन शुरू हुई थी।
-पहले इस ट्रेन को भाप का इंजन खींचता था, बाद में डीजल इंजन लगाया गया।
-पैसेंजर ट्रेन के अंतिम सफर में इससे जुड़े सभी 32 कर्मचारी साथ गए।
-ट्रेन को ड्राइवर रमेश कुमार सिंह और दिलीप कुमार ने चलाया।
पैसेंजर ट्रेन का टाइम टेबल दिखाता स्टाफ
अतिरिक्त डिब्बे जोड़े गए
-ऐशबाग-मैलानी पैसेंजर ट्रेन 12 डिब्बों की थी।
-आखिरी सफर में पांच और डिब्बे इसमें जोड़े गए।
-इन डिब्बों में ट्रेन से जुड़ा काफी सामान भी रखा गया।
-40 मिनट देरी से चली आखिरी पैसेंजर ट्रेन।
मीटर गेज की आखिरी ट्रेन के साथ सेल्फी लेते रेलवे कर्मचारी
यात्रियों की आंखें हुईं नम
-इस मौके पर सफर करने वाले कई यात्रियों की आंखें नम दिखीं।
-यात्री एसबी गुप्ता ने ट्रेन से जुड़ी यादें साझा की।
-कहा, लेट होना ऐसा लगता है, जैसे दुल्हन घर छोड़ने से पहले सामान देख रही हो।
-80 साल के श्यामलाल इसी ट्रेन से आकर लखनऊ में पढ़ाई करते थे।
-श्यामलाल ने ट्रेन को अपना आखिरी साथी बताया।
...और मैलानी की ओर चल पड़ी मीटर गेज की आखिरी ट्रेन
इस खंड पर ब्रॉड गेज पटरी पड़ेगी
-लखनऊ और मैलानी के बीच 40 किलोमीटर की है दूरी।
-दो घंटे में पैसेंजर ट्रेन सफर तय करती थी।
-ट्रैक को अब मीटर गेज से ब्रॉड गेज में बनाया जाएगा।
-ब्रॉड गेज ट्रैक पर ज्यादा तेजी से ट्रेनें चल सकेंगी।
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