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खिल उठे गन्ना किसानों के चेहरे, सालों से बंद पड़े चीनी मिल का जल्द खुलेगा ताला

tiwarishalini
Published on: 3 Jan 2018 3:57 PM IST
खिल उठे गन्ना किसानों के चेहरे, सालों से बंद पड़े चीनी मिल का जल्द खुलेगा ताला
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गोरखपुर: एक ज़माना था जब पूर्वांचल को चीनी का कटोरा कहा जाता था लेकिन सरकारी उदासीनता और बड़े उद्यमियों की मनमानी ने इस खिताब को पूर्वांचल से छीन लिया। और इसी के बाद किसानो की बदहाली का सिलसिला भीशुरू हो गया जो अबतक जारी है। चीनी मिलों पर वर्षों से हजारों, लाखों रुपए के बकाये के बाद किसानो के हौंसलें टूटते चले गये। मज़बूरी में आकर किसानों ने गन्ना खेती से मुंह मोड़कर अन्य खेतियों व व्यापार का रुख कर लिया।

आज भी गन्ना किसानों को उम्मीद है कि सरकार की नजरे गन्ना किसानों पर पड़ेगी। क्योंकि अब गन्ना किसान और उनकी समस्या केवल चुनावी मुद्दा बन कर रहे गया है।

इस विभाग के डॉ आर बी राम गन्ना ने कहा कि समस्याएं तो है लेकिन सरकार निरंतर उन समस्याओं को खत्म करने का प्रयास कर रही है। कई योजनाओं को लाकर गन्ना किसानों को गन्ना पैदावार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। वही उनके बकाये को भी मिल मालिको से दिलवाने का कार्य किया जा रहा है।

- जिले में बंद पड़ी तीन मिलों की वजह से दम तोड़ चुके चीनी उद्योग व गन्ने की खेती को पिपराइच में नई मिल की स्थापना से पुनर्जीवन मिलने वाला है।

- युवाओं को रोजगार मिलेगा तो गन्ना किसानों में खुशहाली आएगी। कभी चीनी का कटोरा कहे जाने वाले इलाके में पिपराइच मिल के खुलने की उम्मीद से ही आसपास के किसानों के चेहरे खिल गए।

- नकदी फसल गन्ने की खेती की तैयारी शुरू कर दी। अब बजट जारी होने के बाद पिपराइच चीनी मिल में नित प्रति चल रहे काम को देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है।

मायावती सरकार ने लगाया ताला

- गोरखपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित पिपराइच टाउन एरिया में चीनी मिल वर्ष 2008 में मायावती की बसपा सरकार के प्रकोप का शिकार हो गया था।

- बसपा की सरकार ने घाटा दिखा कर मिल पर ताला लगवा दिया था। तब से यह मिल बंद होकर एक खंडहर में तब्दील हो गया था।

- इस मिल को गन्ना सप्लाई करने वाले कुशीनगर, महाराजगंज और गोरखपुर के गन्ना किसान गन्ना की फसल करना छोड़ दिए।

प्रदेश में सत्तारूढ़ होते ही बीजेपी की योगी सरकार ने इस चीनी मिल को चालू करने का ऐलान किया। उसके लिए नई जमीन आवंटित कर बाउंड्री वाल और बोर्ड लगाए जाने पर स्थानीय लोगों में बेहद खुशी का माहौल है। लोगों का मानना है कि 2008 के बाद हम बेरोजगार हो गए थे । अब योगी सरकार में हमें उम्मीद जगी है कि हम अपने परिवार के लिए 2 जून की रोटी का इंतजाम करने का साहस कर सकते हैं ।

गौरतलब है कि 2008 से बंद चल रही मिल की जगह खोली जाने वाली नई मिल की क्षमता 3 हजार 500 टन आफ केन पर डे है। इस क्षमता को पांच हजार टीसीडी तक विस्तारित किया जा सकता है।

- कभी गन्ने की खेती के रकबे को हैसियत से आंके जाने वाले इस इलाके में शुरुआती वर्षो (1995-96) में गोरखपुर जिले में गन्ने की क्षेत्रफल 19 हजार हेक्टेयर था।

- मुसीबत तब शुरू हुई जब साल 2000 में धुरियापार चीनी मिल को शासन ने बंद कर दिया। साल 2004 में इसे चलाया या पर 2008 में बंद कर दिया गया।

- इसके एक साल बाद साल पिपराइच चीनी मिल भी बंद हो गई।

- फिर तो यहां के किसान टूटते चले गए। रही कसर सरदारनगर चीनी मिल ने पूरी कर दी। बकाए का भुगतान नहीं होने से किसानों ने गन्ना की खेती से करीब-करीब तौबा कर दिया।

- साथ ही 2012 में यह मिल भी बंद हो गई।

- मिलों की बंदी का नतीजा हुआ कि साल 1995-96 में जिले में गन्ने का जो क्षेत्रफल 19 हजार हेक्टेयर था वह साल 2010-11 में घटकर 4006 हेक्टेयर तक पहुंच गया।

- साल 2011-12 में क्षेत्रफल 4754 हेक्टेयर तक पहुंचा पर इसके बाद फिर से 2012-13 में कम होकर 4200 हेक्टयर पर आ गया।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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