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आरक्षित जमीनों के बैनामे पर फंस गया एलडीए, हाईकोर्ट ने लताड़ा

बिना हक मकदुमपुर की आम प्रयोजन के लिए आरक्षित जमीनों का बैनामा करने कोर्ट एलडीए को हाईकोर्ट ने लगायी फटकार, कहा कि नहीं बदली जाये उक्त जमीनों की प्रकृति , अन्यथा अफसरों के खिलाफ चलेगा अवमानना का केस

राम केवी
Published on: 7 Jun 2023 11:05 PM IST
आरक्षित जमीनों के बैनामे पर फंस गया एलडीए, हाईकोर्ट ने लताड़ा
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विधि संवाददाता। लखनऊ

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखनऊ विकास प्राधिकरण, एलडीए को गेामतीनगर विस्तार स्थित ग्राम मखदुमपुर की बंजर, खलिहान, ऊसर, कब्रिस्तान , चकमार्ग , नाली आदि के लिए आरक्षित जमीनों पर कब्जा करने, उसका बैनामा करने तथा भूमि की प्रकृति में किसी प्रकार बदलाव करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए सख्त लहजे में उक्त जमीनों पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने आगे कहा कि ग्राम सभा की जिन जमीनों का बैनामा एलडीए पहले ही कर चुका है वे सब बैनामे उसके अग्रिम आदेश के आधीन रहेंगे। कोर्ट ने प्राधिकरण के अफसरों को चेताया है कि यदि आदेश का उल्लंघन किया गया तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जायेगी।

अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को

यह आदेश जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की बेंच ने मकदुमपुर ग्राम सभी की भूमि प्रबंधक समिति की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया। कोर्ट ने राज्य सरकार व प्राधिकरण को याचिका पर अपना विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवायी 30 अक्टूबर को होगी।

याचिका दायर कर ग्राम सभा की ओर से कहा गया कि प्राधिकरण ने अपने लेआउट प्लान में अवैध रूप से उसके खातों में दर्ज बंजर, खलिहान, ऊसर, कब्रिस्तान , चकमार्ग , नाली आदि जमीनेंा का बिना अधिग्रहण की कार्यवाही किये ही आवंटियों को बैनामा करने प्रारम्भ कर दिया है जो कि सरासर मनमानापन व अवैध कार्य है। ऐसा करना ग्राम सभा के अधिकारों में गंभीर दखल है क्येांकि इन जमीनों का जबरन कब्जा कर बैनामे कर देने से ग्रामवासियों के पास आम प्रयोजन के लिए जमीनें नहीं रह जायेंगी। कहा गया कि प्राधिकरण ने बिना किसी हक के उसमें निहित तमाम जमीनों का बैनामा भी कर दिया है ।

याचिका पर सुनवायी के बाद कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों पर विचार करने के बाद उसे यह उचित लगता है कि फिलहाल जमीनों पर यथास्थिति बनाये रखना उचित होगा। कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण न तो जमीनों का कब्जा लेगा और न ही उन पर कोई ऐसा कार्य करेगा जिससे किसी पक्षकार का हित निहित हो जाये।



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राम केवी

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