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LU: 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति, भारतीयता की पुनर्स्थापना का प्रयास' पर हुआ व्याख्यान, प्रो. दीक्षित ने गुरुकुल पद्धति शिक्षा पर रखी बात
Lucknow University: "विज्ञान की गूढता, दर्शन की अलौकिकता, साहित्य का अद्भुत रस इन समस्त तत्वों का सम्मिलित रूप वेदों में प्राप्त होता है।
Lucknow News Today: "विज्ञान की गूढता, दर्शन की अलौकिकता, साहित्य का अद्भुत रस इन समस्त तत्वों का सम्मिलित रूप वेदों में प्राप्त होता है। प्राचीन गुरुकुल पद्धति (ancient gurukul system) में यह ज्ञान सरल रूप में शिष्यों को श्रुति परम्परा द्वारा प्राप्त हो जाता था।" ये बातें राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज कुमार दीक्षित (Former Vice Chancellor Prof. Manoj Kumar Dixit) ने कही। बता दें कि प्रो. दीक्षित लखनऊ विश्विद्यालय (Lucknow University) के संस्कृत और प्राकृत भाषा विभाग में पांच दिवसीय शिक्षक पर्व के आयोजन के मौके पर बुधवार को विशिष्ट व्याख्यान में "राष्ट्रीय शिक्षा नीति- भारतीयता की पुनर्स्थापना का प्रयास" विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।
क्रियान्वयन में 10 वर्ष का समय दिया गया
विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग (Public Administration Department) में विभागाध्यक्ष पद पर तैनात प्रोफेसर दीक्षित ने पांच दिवसीय शिक्षकपर्व महोत्सव में अनेकानेक संदर्भ ग्रंथों के माध्यम से भारतीय शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षानीति के विविध पहलुओं को वक्ता ने सरल शब्दों में स्पष्ट किया।
आचार्य दीक्षित ने बताया कि यह पॉलिसी मैकोले द्वारा स्थापित 1845 की शिक्षानीति में प्रतिपादित कोलोनियल मानसिकता परक शिक्षा नीति को परिवर्तित करने का उपक्रम है। यह नीति शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन के साथ शिक्षण में क्षैतिज पद्धति के स्थान पर वर्टिकल लंबवत पद्धति की पुष्टि करती है। यह शिक्षा नीति वस्तुतः शिक्षा को अध्येता केंद्रित के स्थान पर अधिगम केंद्रित करने को कहती है। इस पद्धति के सम्पूर्ण क्रियान्वयन में 10 वर्ष का समय दिया गया है।
इन लोगों की मौजूदगी में हुआ कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक कुमार शतपथी ने किया। इस मौके पर संस्कृत और प्राकृत भाषा विभाग व कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अभिमन्यु सिंह ने स्वागत भाषण और डॉ. सत्यकेतु द्वारा विषय प्रवर्तन किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ऋचा पाण्डेय द्वारा किया गया। विभाग के अन्य अध्यापक डॉ. गौरव सिंह, डॉ. ब्रजेश सोनकर, प्राच्य संस्कृत के डॉ. प्रेरणा माथुर एवं डॉ. श्यामलेश तिवारी और विश्वविद्यालय के अन्य विभाग के अध्यापक प्रो. अशोक दुबे, प्रो. रीता तिवारी, डॉ. मांडवी सिंह, डॉ. सान्त्वना द्विवेदी, डॉ. उमा सिंह एवं डॉ. लक्ष्मी नारायण यादव सह संबद्ध महाविद्यालयों के अध्यापक और शताधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।