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US की नौकरी छोड़ गायों में तलाशा रोजगार, बने शाहजहांपुर के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक
आज हम आपको ऐसे गोपालक से रूबरू कराएंगे जिसने अमेरिका में नौकरी छोड़ कर गायो में अपना रोजगार तलाशा। आज यह शख्स यूपी के शाहजहांपुर में सबसे बड़ा दूध उत्पादन करने वाला किसान बन गया है। अमेरिका से लौटे इस गोपालक के काम को देखने के लिए खुद जिला अधिकारी सहित तमाम अफसर वहां पहुंच रहे हैं।
शाहजहांपुर: आज हम आपको ऐसे गोपालक से रूबरू कराएंगे जिसने अमेरिका में नौकरी छोड़ कर गायो में अपना रोजगार तलाशा। आज यह शख्स यूपी के शाहजहांपुर में सबसे बड़ा दूध उत्पादन करने वाला किसान बन गया है। अमेरिका से लौटे इस गोपालक के काम को देखने के लिए खुद जिला अधिकारी सहित तमाम अफसर वहां पहुंच रहे हैं और उसके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। अमेरिका से आए इस शख्स का कहना है कि हमें अपने हुनर का इस्तेमाल अपने देश के लिए करना चाहिए।
करतना चाहते हैं देश की सेवा
गायों की सेवा कर रहे इस शख्स का नाम वैसे तो शरद गंगवार है, लेकिन जब आप इनके जज्बे के बारे में सुनेंगे तो इनकी सोच पर आपको भी गर्व होगा। शरद गंगवार के मुताबिक अमेरिका की ऊंची सैलरी वाली नौकरी छोड़कर उन्होंने गायों में अपना रोजगार तलाशा है, क्योंकि वह अपने देश की सेवा करना चाहते हैं।
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2009 में गए थे अमेरिका
दरअसल तिलहर तहसील के रामपुर गांव के रहने वाले शरद गंगवार ने दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद अपने कैरियर की शुरुआत की। 2009 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में उन्होंने अमेरिकन एक्सप्रेस नाम की कंपनी में नौकरी मिली, लेकिन 5 साल बाद उन्हें देश की मिट्टी अपने वतन और अपने गांव खींच लाई। 2014 में वह वापस लौट आए।
दो गायों से की थी शुरुआत, अब हैं 80 गायें
अमेरिका से वापस आने के बाद उन्होंने दो गायों से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन आज उनके पास लगभग 80 गाये हैं। ये गायें आज उनके लिए सबसे बड़ा रोजगार बन चुकी हैं। आज इन गायों से रोजाना 200 लीटर दूध का उत्पादन होता है। यही वजह है कि आज वह पूरे जिले के सबसे बड़े दूध उत्पादक हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर इंजीनियर बनने के बाद लोग अपनी काबलियत विदेशों को बेच देते हैं, लेकिन अगर अपनी योग्यता के हुनर अपने देश के लिए इस्तेमाल करें तो देश की दशा और दिशा दोनों बदल सकती हैं।
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पत्नी भी काम में बटाती हैं हाथ
शरद की जिंदगी अपनी गायों और इसी गौशाला में गुजरती है। इसमें उनका साथ उनकी पत्नी भी देती हैं। इतना ही नहीं उनकी इस गौशाला से 8 और लोगों को भी रोजगार मिला है। हर गाय उन्हें पहचानती हैं। शरद के इसी जज्बात को देखने के लिए जिला प्रशासन के अफसर भी उनके गौशाला को देखने यहां आते है। अधिकारी भी इस अमेरिका से आए शरद के जज्बे को सलाम कर हैं।
डीएम ने कहा- जज्बे को सलाम
वही डीएम अमृत त्रिपाठी ने बताया कि पता चला है कि अमेरिका की नौकरी छोङकर शरद गंगावार अपने घर आए और उन्होंने गायों की सेवा करके उसमें ही रोजगार तलाश लिया है। जब हमनें उनकी डेयरी देखी तो इनके जज्बे को सलाम करना चहिए। साथ ही जिले के 25 ऐसे किसानों को चिंहित किया है जो बगैर किसी सरकारी मदद से बहुत काम किया है। हम उन किसानों के घर-घर जाकर उनकी हौसला अफजाई करेगें और उनको सरकारी मदद चहिए होगी तो उनको दी जाएगी।
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पैसा कमाने के लिए आज ना जाने कितने हिंदुस्तानी विदेशों की नागरिकता तक ले चुके हैं। आज वह हिंदुस्तान को भूल चुके हैं, लेकिन शरद को अपने वतन की मिट्टी की खुशबू ने अपने गांव तक खींच लाई है। आज वो अपनी इन्ही गायों से अपना भविष्य तलाश रहे हैं। गायों के प्रति लगाव रखने वाले शरद अपने जिले के शान बने हुए हैं।