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UP Vidhan Parishad Election: राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद के लिए बिछेगी चौसर, अब BSP होगी जीरो, BJP-SP को मिलेंगी इतनी सीटें

UP Vidhan Parishad Election: मई महीने में खाली हो रही विधान परिषद की 13 सीटों में से 10 सीटों पर मौजूदा समय में भाजपा का कब्जा है जबकि एक सीट उसके सहयोगी दल अपना दल के पास है। बाकी बची दो सीटों में से एक-एक सीट सपा और बसपा के पास है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 23 Feb 2024 12:36 PM GMT
After the Rajya Sabha elections, chess will be played for the Legislative Council, now BSP will be zero, BJP-SP will get this many seats
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राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद के लिए बिछेगी चौसर, अब BSP होगी जीरो, BJP-SP को मिलेंगी इतनी सीटें: Photo- Social Media

UP Vidhan Parishad Election: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। 4 मार्च को चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी जबकि 11 मार्च तक नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं। 12 मार्च को नामांकन पत्रो की जांच होगी और 14 मार्च नाम वापसी की आखिरी तारीख होगी। जरूरी होने पर 21 मार्च को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा और उसी दिन चुनाव नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।

अब लोकसभा चुनाव से पहले विधान परिषद चुनाव में सपा और भाजपा के बीच जोर आजमाइश होगी। राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा की ओर से आठवां उम्मीदवार उतारे जाने के बाद सपा और भाजपा के बीच जबरदस्त जोड़-तोड़ की स्थिति दिख रही है। विधान परिषद चुनाव में भी ऐसी स्थिति दिखने की संभावना है। 13 सीटों पर हो रहे इस चुनाव के बाद विधान परिषद की तस्वीर बदलेगी और समाजवादी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का पद वापस मिल सकता है। दूसरी ओर कांग्रेस के बाद अब बहुजन समाज पार्टी भी विधान परिषद में शून्य पर पहुंच जाएगी।

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बसपा पहुंच जाएगी शून्य पर

विधान परिषद के 13 सदस्यों का कार्यकाल आगामी 5 मई को समाप्त होने वाला है और इन्हीं सीटों पर चुनाव कराने की तैयारी है। मई महीने में खाली हो रही विधान परिषद की 13 सीटों में से 10 सीटों पर मौजूदा समय में भाजपा का कब्जा है जबकि एक सीट उसके सहयोगी दल अपना दल के पास है। बाकी बची दो सीटों में से एक-एक सीट सपा और बसपा के पास है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पहले ही शून्य पर पहुंच चुकी है और अब बसपा का भी वही हाल होने वाला है। बसपा के पास विधानसभा में उमाशंकर सिंह के रूप में सिर्फ एक विधायक है और इस आधार पर पार्टी का कोई उम्मीदवार पर्चा भी नहीं भर सकता क्योंकि नामांकन के लिए भी 10 प्रस्तावक की जरूरत होती है। यही कारण है कि आगामी मई महीने में विधानपरिषद में बसपा का प्रतिनिधित्व पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

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सपा को मिल जाएगा नेता प्रतिपक्ष का पद

विधानसभा के मौजूदा गणित के हिसाब से विधान परिषद में एक प्रत्याशी जिताने के लिए 29 विधायकों की जरूरत होगी।आगामी 5 मई को खाली हो रही सीटों के हिसाब से सपा की सदस्य संख्या घटकर 8 पर पहुंच जाएगी। मौजूदा विधानसभा में सपा के पास 108 विधायकों की ताकत है। इस कारण सपा कम से कम तीन विधान परिषद सीटें अपने दम पर जीतने की स्थिति में है।

विधान परिषद में सपा के पास आठ सदस्य हैं और नेता प्रतिपक्ष के लिए जरूरी मानक 1/10 से वह दो पीछे है। लियाजा विधान परिषद में सपा का दहाई में जाना तय है और पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का पद वापस मिल जाएगा।

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एक सीट के लिए दिख सकती है जोड़-तोड़

दूसरी ओर सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन 9 सीटें जीतने की स्थिति में है। मौजूदा सियासी गणित को देखते हुए माना जा रहा है कि विधान परिषद की एक सीट के लिए राज्यसभा चुनाव की तरह भाजपा और सपा के बीच जोड़-तोड़ की स्थिति देखने को मिल सकती है।

रालोद से गठबंधन की स्थिति में सपा चार सीटों पर जीत हासिल कर सकती थी मगर गठबंधन टूटने के बाद बाकी बची एक सीट के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष में खींचतान की स्थिति दिख सकती है। रालोद ने अब भाजपा से हाथ मिलाते हुए एनडीए में शामिल होने का फैसला किया है।

इन सदस्यों का खत्म हो रहा है कार्यकाल

मई महीने में जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें भाजपा के यशवंत सिंह, विजय बहादुर पाठक, विद्या सागर सोनकर, सरोजनी अग्रवाल, अशोक कटारिया, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, महेंद्र कुमार सिंह, मोहसिन रजा, निर्मला पासवान,अपना दल (एस) से आशीष पटेल, सपा से नरेश चंद्र उत्तम और बसपा के भीमराव आंबेडकर शामिल हैं।

Shashi kant gautam

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