TRENDING TAGS :
दुर्दांत अपराधियों की तरह बंद कमरे में ठोका गया लेपर्ड, अखिलेश यादव ने उठाये सवाल
लखनऊ : यूपी हाईटेक पुलिस ने बेजुबान का एनकाउंटर कर दिया है। लखनऊ पुलिस ने उसे तीन गोलियां मारीं। विधानसभा में नेता विपक्ष से लेकर मानवाधिकार के लिए काम करने वाले पुलिस के जिस निरंकुश होने की आशंका जता रहे थे उस की नज़ीर लखनऊ में देखने को मिली। अब एक बेजुबान के एनकाउंटर के बाद थानेदार ने वही रटे रटाये शब्दों में कुछ इस तरह शेखी बघारी जैसे सामने बेज़ुबान जानवर नहीं दुर्दांत अपराधी हो। एसओ ने कहा तेंदुआ यानि लेपर्ड/ पैंथर जब उन की तरफ बढ़ा तो दोनों बीच हाथापाई हुई जिस के बाद लेपर्ड मारा गया। इस पूरे मामले पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट कर सवाल उठाये हैं।
ये भी देखें : तेंदुआ मौत मामला: आईजी ने एसओ को दिया इनाम, वन विभाग दर्ज कराएगा मुक़दमा
कहानी फिल्मी लगेगी लेकिन यह सच्चाई है। आप ने बदमाशों से मुठभेड़ और एनकाउंटर की ढेरों कहानीयां सुनी होगी लेकिन बेजुबान जानवर के एनकाउण्टर की कहानी आप ने कभी नहीं सुनी होगी। कहानी बिलकुल फिल्मी वैसी ही जैसी एनकाउण्टर में सुनी जाती रही हैं। लेपर्ड को गोली से मौत की नींद सुलाने वाले एसओ आशियाना त्रिलोकी सिंह पर ईनाम की बारिश भी शुरू हो गई। आईजी लखनऊ रेंज सुजीत पाण्डेय ने एसओ को 50 हजार के ईनाम देने का एलान कर दिया हालाकिं बाद में एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार ने ईनाम दिए जाने की खबर का खंडन कर दिया है।
एक बेज़ुबान की मौत पर जश्न मनाती लखनऊ पुलिस का आज अलग चेहरा देखने को मिला। लेपर्ड को तीन गोलियां मारने के बाद एसओ आशियाना पुलिस अफसरों को अपनी बहादुरी के क़िस्से सुनाते नज़र आये। पुलिस के आला अधिकारी पुलिस की इस बहादुररी पर फूले नहीं समा रहे थे। मारा बेज़ुबान गया था जिस की क़ुसूर सिर्फ इतना था की रास्ता भटक कर वह आबादी में घुस आया था। जंगल उस के लिए बचा नहीं था, तो उस ने इंसानो के घर पर क़ब्ज़ा जमा लिया। उस को इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था की वह जानवर है या कौन।
जंगल से रिहाइशी इलाक़े में घुसे लेपर्ड को लखनऊ पुलिस के बहादुर जवानो ने हिकमत अमली से घेराबंदी कर उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन लेपर्ड ने थानाध्यक्ष पर हमला कर दिया। जिस के बाद पुलिस ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए मुकाबला किया। आत्मरक्षार्थ गोली चलाई जिसमें लेपर्ड मारा गया। कुछ इसी तरह की लिखा पढ़ी राजधानी पुलिस ने लेपर्ड को मारने के बाद की है। सलाम हो ऐसे बहादुर जवानो पर जो जंगली जानवरों का रेस्क्यू करने के बजाये एनकाउण्टर करना जानते हैं। उस को पुलिस के सामने गिड़गिड़ाने और अपनी जान की भीख मांगने तक का मौक़ा नहीं दिया गया।