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चलिए इस बर्फीली और लुभावनी जगह, जहां से मन कभी भरे नही, पैसे भी कहें रुको यहीं

गर्मी की छुट्टियों में लोग अकसर ठंड और सुहाने मौसम वाली जगहों पर जाना पसंद करते हैं। अगर आप गर्भी से छुटकारा के साथ सैर और मन की शांति चाहते हैं तो स्पिति इसके लिए बेहतर और बिल्कुल सही डेस्टीनेशन है।

Vidushi Mishra
Published on: 27 May 2019 12:38 PM IST
चलिए इस बर्फीली और लुभावनी जगह, जहां से मन कभी भरे नही, पैसे भी कहें रुको यहीं
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नई दिल्ली: गर्मी की छुट्टियों में लोग अकसर ठंड और सुहाने मौसम वाली जगहों पर जाना पसंद करते हैं। अगर आप गर्भी से छुटकारा के साथ सैर और मन की शांति चाहते हैं तो स्पिति इसके लिए बेहतर और बिल्कुल सही डेस्टीनेशन है। स्पीति एक ऐसी जगह है जहां न केवल अप्रैल, मई और जून में बल्कि साल में 6 महीने यहां बर्फ की चादर ओढ़ी रहती है।

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यहां का नजारा इतना खुशनुमा और खूबसूरत होता है कि इसका आभास तो आप यहां आकर ही कर सकते हैं। यह डेस्टीनेशन न केवल रोमान्स और एडवेंचरस बल्कि धर्म-अध्यात्म की नजरिए से भी काफी अच्छा है।

यह जरूर कहा जा सकता हैं कि यहां एक बार आया हुआ पर्यटक दूसरी बार जाना चाहेगा और अपने लोगों को यहां की सैर करने की जरूर सलाह देगा।

मंदिर में होता है हिन्दू-बौद्ध परंपरा के अनुसार पूजा

त्रिलोकीनाथ मंदिर

यहां एक प्राचीन त्रिलोकीनाथ मंदिर है। 2002 में जिला मुख्यालय से करीब 50 किलो मीटर की दूरी पर स्थित त्रिलोकीनाथ मंदिर परिसर से मिले शिलालेखों के मुताबिक यह मंदिर 10वीं शताब्दी में बना था।

मंदिर परिसर में मिले शिलालेख में मिले वर्णन के मुताबिक इसका निर्माण दवनज राणा ने बनवाया था और उस वक्त इसका नाम डुंडा विहार था। दवनज राणा त्रिलोकीनाथ गांव के राणा ठाकुर के शासकों के पूर्वज थे और चंबा के राजा शैल बर्मन ने उनकी मदद की थी। इस त्रिलोकीनाथ मंदिर में हिन्दू और बोद्ध परंपराओं के तहत पूजा होती है।

घेपन लाहुल घाटी

लाहुल-स्पीति के राजा माने जाने वाले राजा घेपन का यह मंदिर मनाली-केलंग मार्ग में सिस्सु में स्थित है। केलंग जाने वाला हर पर्यटक यहां रुककर देवता के दर्शन करता है। देश-विदेश के पर्यटक भी यहां सुख-समृद्ध की कामना से माथा टेकते हैं। मान्यता है कि हर तीसरे सैल देवता राजा घेपन लाहुल घाटी की परिक्रमा पर निकलते हैं और ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं।

इसी झील से होता हैं चिनाब नदी का उगम

चंद्रतला झील

स्पीति घाटी में 14,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऐतिहासिक चंद्रताल झील का अपना ही महत्व है। अगर आप मानाली से स्पिति जा रहे हों तो कुंजुम से पहले बातल के बाद सीधा संपर्क मार्ग से चंद्रताल के रुख कर सकते हैं। कुंजुम पहाड़ी के साथ सटी चंद्रताल झीप अपने आप में अजूबा है।

इस झील से चंद्रा नदी का उदय होता है जो आगे चलकर चिनाब नदी का रूप ले लेती है। झील का दायरा लगभग तीन किलो मीटर है। यहां आने के लिए जून 15 से अक्टूबर तक बेहतर समय बताया जाता है।



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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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