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'लेफ्टिनेंट कर्नल तारापोर' को नहीं मिली इतिहास में सही जगह, पाकिस्तान के 60 टैंकों को किया था नेस्तनाबूद

राजकुमार ने कहा कि भारत-पकिस्तान के बीच हुए 1965 के युद्ध में वीर तारापोर एक ऐसा नाम है, जो आज भी अपने कुशल नेतृत्व के लिए याद किए जाते हैं।

Shashwat Mishra
Published on: 19 Aug 2022 7:59 PM IST
Lieutenant Colonel Tarapore did not get the right place in history
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Lieutenant Colonel Tarapore did not get the right place in history (Image: Newstrack) 

Lucknow: राजधानी के जीपीओ पार्क में शुक्रवार को अमृत महोत्सव के मौके पर महापुरुष स्मृति सामिति की ओर से परमवीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल आर्देशीर बुर्जोर्जी तारापोर का 100वाँ जन्मोत्सव मनाया गया। उनकी फोटो पर माल्यार्पण और पुष्पवर्षा की। महापुरुष स्मृति समिति की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में सुमंगलम प्रभा के अध्यक्ष राजकुमार उपस्थित बंधुओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश का हर नागरिक किसी जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र और सम्प्रदाय का नहीं, वह मात्र देशवासी होता है। इसी भावना के साथ 1965 का युद्ध पाकिस्तान के विरुद्ध लड़ा और जीते भी। परन्तु वर्तमान में दु:ख इस बात का है कि उन्हें उनकी वीरता को उचित सम्मान नहीं दिया गया।

1965 के युद्ध में पाकिस्तान के 60 टैंकों को नेस्तनाबूद करने वाले की कहानी

राजकुमार ने कहा कि भारत-पकिस्तान के बीच हुए 1965 के युद्ध में वीर तारापोर एक ऐसा नाम है, जो आज भी अपने कुशल नेतृत्व के लिए याद किए जाते हैं। सियालकोट सेक्टर के फिल्लौर पर विरोधियों को मुँहतोड़ जवाब देते हुए उनकी टुकड़ी ने जिस तरह से पाकिस्तानी सेना के 60 टैंकों को नेस्तानाबूद किया था, वह इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। स्तम्भकार सिंह ने कहा कि अफ़सोस इस ऐतिहासिक जंग में कई सैनिकों समेत तारापोर शहीद हो गए थे। मरणोपरांत तारापोर को अपनी इस अद्भुत शौर्यता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

पूना हॉर्स रेजिमेंट की कमान थी तारापोर के हाथ

वीरपुरुष तारापोर पर पुष्प वर्षा कर आर्थिक मामलों के स्तम्भकार मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध और भारत के विभाजन का ले. कर्नल तारापोर ने वह दौर भी देखा, लेकिन लगातार आगे बढ़ते रहे। 1965 के भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध से पहले वह भारतीय सैन्य बल में कमांडिंग ऑफ़िसर के पद पर पहुंच चुके थे। पूना हॉर्स रेजिमेंट के कमान उनके हाथों में ही थी। 11 सितम्बर 1965, यह वह तारीख थी, जब तारापोर के नेतृत्व में पूना हॉर्स रेजिमेंट ने चविंडा की लड़ाई के दौरान सियालकोट सेक्टर में फिलोरा जीतने का आदेश मिला। तारापोर अपने साथियों के साथ आगे बढ़ ही रहे थे कि अचानक से विरोधियों ने वजीराली क्षेत्र के आसपास धावा बोल दिया। पाकिस्तानी सेना अपने अमेरिकी पैटन टैंक के ज़रिए ज़बरदस्त हमला कर रही थी।

इस गोलाबारी में तारापोर बुरी तरह से घायल हो गए थे। साथियों समेत सीनियर्स ने उन्हें पीछे हटने की सलाह थी। मगर तारापोर नहीं माने। ज़ख़्मी हालत में भी वो लगातार मोर्चे पर अड़े रहे और 13 सितंबर को वजीराली पर भारतीय तिंरगा फहरा दिया। चाविंडा उनका अगला लक्ष्य था, जिसे जीतने के लिए वह योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़े। दूसरी सेना ने पूरी मज़बूती से उन्हें रोकने की कोशिश की, मगर वह कामयाब नहीं हुआ, उसे पीछे हटना ही पड़ा।

फिल्लौर पर लहरा भारतीय तिरंगा

मानवेन्द्र ने बताया कि लगातार मिलने वाली हार से विरोधी आग बबूला हो गया। उसने ज़्यादा से ज़्यादा अमेरिकी पैटन टैंकों को जंग के मैदान पर उतार दिया। तारापोर ने इसके जवाब की पूरी तैयारी कर रखी थी। जैसे ही विरोधियों की तरफ़ से गोलाबारी शुरू की गई, भारतीय सैनिक उन पर टूट पड़े। एक-एक करके उन्होंने पाकिस्तानी सेना के टैंकों को नष्ट करना शुरू कर दिया। भारतीय सैन्य के 43 टैंकों की टुकड़ी तारापोर की मदद के लिए पहुंचती। इससे पहले ही उन्होंने दुश्मन के 60 टैंकों को नेस्तनाबूत कर दिया था। तारापोर आगे बढ़ते इससे पहले दुश्मन का एक गोला उनके ऊपर आकर गिरा और वह शहीद हो गए। अपने लीडर की मौत के बाद भी भारतीय जवानों ने दुश्मनों से जमकर लोहा लिया और अंतत: फिल्लौर पर भारतीय तिरंगा लहराया था।

साजिशन इतिहास से बाहर किया गया नाम

वीर पुरुष तारापोर के चित्र पर पुष्प वर्षा करते हुए समिति के अध्यक्ष भारत सिंह ने बताया कि उनका जन्मदिवस एक दिन पहले 18 अगस्त को था, लेकिन समिति द्वारा आज मनाया गया। भारत सिंह ने कहा कि इतिहास लिखने और लिखाने का समीकरण मैं अच्छी तरह जानता हूँ। विजेताओं द्वारा इतिहास लिखा जाता रहा है। जैसे हम अब्दुल हमीद के बारे में अधिक जानते हैं, परन्तु तारापोर के बारे में नहीं जानते। भारतीयों को सिर्फ मध्य इतिहास पढ़ाया गया, हमारी मजबूरी है कि हम सिर्फ वही इतिहास जानते हैं, जो पाठ्यक्रम में पढ़ाए गये। 1947 के बाद हमारे पूर्वज पुस्तकों से गायब हो गए। वैसे अचानक नहीं गायब नहीं हुई बल्कि साजिशन कराई गई। अब्दुल हमीद को सबसे अधिक स्थान दिया गया और इसीलिए वोट बैंक से जोड़ दिया गया।

समिति गठित करके साल भर होगा आयोजन

भारत ने बताया कि देश के ऐसे महापुरुष का "लेफ्टिनेंट कर्नल ए. बी. तारापोर जन्मशती समारोह समिति" गठित करके वर्ष भर तक विभिन्न तरह का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न संगठनों, संस्थानों, संस्थाओं और स्कूल-कालेजों को भी शामिल किया जाएगा। जन्मदिवस कार्यक्रम में एडवोकेट पुष्कर सिंह सनी, मानवेन्द्र सिंह, भास्कर सिंह, एडवोकेट अनुरक्त सिंह, शनी प्रताप सिंह, अर्पिता सिन्हा, बैग्मीज कम्पनी के निदेशक शैलेश श्रीवास्तव, अश्विनी त्रिवेदी, अभिषेक तिवारी, अभिषेक बाजपेयी, बृजनंदन, निशांत बाजपेयी, विक्रांत अवस्थी ने तारापोर के चित्र पर पुष्प वर्षा कर उनकी वीरगाथा को भी सुनाया।



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Rakesh Mishra

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