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नई आबकारी नीति: शराब एसो​सिएशन को एतराज, ई-लाटरी ने बढाई धड़कन

Rishi
Published on: 27 Jan 2018 6:09 PM IST
नई आबकारी नीति: शराब एसो​सिएशन को एतराज, ई-लाटरी ने बढाई धड़कन
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लखनऊ : यूपी सरकार का दावा है कि नई आबकारी नीति से पूर्व की सरकारों में शराब व्यवसाय पर काबिज माफियाओं के सिंडिकेट को धक्का पहुंचा है। उनकी मोनोपोली टूटेगी। पर लखनऊ शराब एसोसिएशन को इस पर ऐतराज है। खासकर दुकान आवंटन में ई-लाटरी सिस्टम ने उनकी सांसे तेज कर दी हैं। वे शराब दुकान आवंटन में हैसियत प्रमाण पत्र की नई व्यवस्था का भी विरोध कर रहे हैं। उनके मुताबिक नई नीति ने कारोबारियों की मुश्किलें बढा दी है। इसमें तमाम खामियां हैं। शराब व्यवसायी सड़क पर उतर कर इसका विरोध करेंगे।

दिल्ली में भी बैठा व्यक्ति कर देगा आवेदन

एसोसिएशन के महामंत्री कन्हैया लाल मौर्या के मुताबिक नई आबकारी नीति में बहुत खामिया हैं जो कारोबारी स्वीकार नहीं करेंगे। दुकानों के आवंटन में ई—लाटरी व्यवस्था होने की वजह से इंटरनेट से दिल्ली में बैठा कोई भी व्यक्ति आसानी से आवेदन कर सकेगा। उनकी मांग है कि दुकानों के लिए पूर्व की तरह ही मैन्यूल आवेदन कराया जाए। आनलाइन व्यवस्था पर अविश्वास जताते हुए मौर्या ने कहा कि आनलाइन सिस्टम से कोई भी छेड़खानी कर सकता है।

हैसियत प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं

मौर्या ने कहा कि सरकार ने शराब दुकान के आवंटन के समय हैसियत प्रमाण पत्र मांगा है। यह प्रमाण पत्र प्राप्त करने में बहुत जटिलता है। सरकार पूरी लाइसेंस फीस जमा करके ही दुकानों का आवंटन करती है और लाइसेंस देती है। दुकानों की प्रतिभूति राशि जमा होती है। ऐसे में हैसियत प्रमाण पत्र की आवश्यक्ता नहीं होनी चाहिए। यदि उनकी मांगे नहीं मांगी गई तो शराब एसोसिएशन सड़क पर उतरेगा।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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