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लाॅकडाउन में रेल स्टेशनों पर वेंडरों के लिए रोटी का संकट, वेलफेयर एसोसिएशन ने की ये मांग

कोरोना वायरस के चलते देश में लाक डाउन की अवधि में रेल सेवा बंद पूर्ण रूप से रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा है। साथ ही स्टेशनों पर कार्यरत लाइसेंसियों एवं उनके वेंडरों, खाना नाश्ता बनाने वाले सहयोगियों एवं लेबरों के समक्ष अब भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है।

Dharmendra kumar
Published on: 29 April 2020 6:58 PM GMT
लाॅकडाउन में रेल स्टेशनों पर वेंडरों के लिए रोटी का संकट, वेलफेयर एसोसिएशन ने की ये मांग
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गोंडा: कोरोना वायरस के चलते देश में लाक डाउन की अवधि में रेल सेवा बंद पूर्ण रूप से रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा है। साथ ही स्टेशनों पर कार्यरत लाइसेंसियों एवं उनके वेंडरों, खाना नाश्ता बनाने वाले सहयोगियों एवं लेबरों के समक्ष अब भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में लाइसेंस फीस एवं 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर पाना असंभव हो गया है। अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसी वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव गोपाल कृष्ण जायसवाल ने वेंडरों के लाइसेंस फीस एवं जीएसटी आदि को माफ करने की मांग की है।

लाखों वेंडरों, कामगारों के समक्ष रोटी का संकट

लाकडाउन की अवधि में पूर्ण रूप से गोंडा जंक्शन व अन्य रेलवे स्टेशनों जैसे बहराइच रेलवे स्टेशन, बलरामपुर, झारखंडी रेलवे स्टेशन, बस्ती रेलवे स्टेशन, सीतापुर रेलवे स्टेशन, गोरखपुर रेलवे स्टेशन, जरवल एवं बुढवल रेलवे स्टेशन, लूप लाइन और मेन लाइन के अन्य सभी जोनलों एवं मंडलों के रेलवे स्टेशनों तथा लखनऊ रेलवे स्टेशन तथा अन्य महानगरीय एवं उप नगरीय रेलवे स्टेशनों पर पूर्ण बंदी हो जाने के कारण लाखों लाइसेंसियों वेंडरों तथा अन्य कामगारों का जीवन यापन बहुत ही मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। रेलवे स्टेशनों पर कार्यरत लाइसेंसियों एवं उनके वेंडरों, खाना नाश्ता बनाने वाले सहयोगियों एवं लेबरों के समक्ष भुखमरी की समस्या भी मुंहबाए खड़ी है। इस स्थिति में रेलवे द्वारा आवंटित जीएमयू, एसएमयू के लाइसेंसियों के स्टालों, ट्रालियों एवं खोमचे आदि का लाइसेंस फीस एवं 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान असंभव हो गया है। जबकि रेलवे ने लाकडाउन के दौरान प्राइवेट पार्सल के ठेकेदारों एवं आईआरसीटीसी द्वारा अपने लाइसेंसियों का माफ किया है।

प्राइवेट पार्सल के ठेकेदारों, आईआरसीटीसी के लाइसेंसियों का माफ

अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर के राष्ट्रीय सचिव गोपाल कृष्ण जायसवाल ने बताया कि एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र गुप्ता ने रेल मंत्री एवं प्रधानमंत्री से मांग किया था कि लाकडाउन के दौरान प्राइवेट पार्सल के ठेकेदारों एवं आईआरसीटीसी द्वारा अपने लाइसेंसियों का फीस माफ किया गया है, उसी प्रकार बंदी के दिनांक से जब तक लाक डाउन जारी रहे तब तक रेलवे द्वारा आवंटित जीएमयू, एसएमयू के लाइसेंसियों के स्टालों, ट्रालियों एवं खोमचे आदि का लाइसेंस फीस एवं 18 प्रतिशत जीएसटी भी माफ कर दिया जाय। लेकिन रेल मंत्री एवं प्रधानमंत्री द्वारा कोई दिशा निर्देश संबंधित वाणिज्य रेलवे जोनल, मंडल को जारी नहीं किया गया। इससे स्थिति अत्यंत निराशाजनक है। जबकि रेलवे के दिशा निर्देशों के अंतर्गत लाइसेंस फीस का निर्धारण सेल के आधार पर किया गया है जोकि अग्रिम रूप से जमा है। लाक डाउन के कारण पूर्ण रूप से बंदी हो जाने के कारण जब स्टालों, ट्रालियों एवं खोमचों आदि पर जब कोई बिक्री नहीं हो रही है तो उस पर लाइसेंस फीस नहीं लिया जाना चाहिए। लाक डाउन हटने पर जब तक ट्रेनों का परिचालन पूर्ण रूप से पूर्व की भांति ना शुरू हो पाए तब तक वर्तमान में होने वाले सेल के आधार पर लाइसेंस फीस का निर्धारण होना चाहिए। जिससे कि सभी लाइसेंसी एवं वेंडर अपने कर्तव्यों का पालन उचित ढंग से कर सके और रेलवे को तदनुसार लाइसेंस फीस, राजस्व अदा कर सके और अपना जीवन यापन कर सकें।

'वेंडरों के लाइसेंस फीस, जीएसटी माफ करे सरकार'

राष्ट्रीय सचिव गोपाल कृष्ण जायसवाल ने बताया कि अकेले गोंडा रेलवे स्टेशन पर कार्यरत स्टालों, ट्रालियों एवं खोमचे पर लगभग 300 वेंडर तथा इस पर आधारित कामगारों जिनकी संख्या भी लगभग 300 है। इसी प्रकार लाखों की संख्या में अन्य स्टेशनों पर भी कार्यरत वेंडरों लाइसेंसियों और कामगारों के समक्ष परिवार का पेट भरने की विकराल समस्या खड़ी हो गई है। उन्होंने रेल मंत्रालय एवं रेलवे बोर्ड के अधिकारियों से मांग किया है कि लाकडाउन से उत्पन्न समस्याओं के निराकरण हेतु ठोस कदम उठाते हुए लाइसेंस फीस एवं जीएसटी आदि को बंदी के दौरान निरस्त करते हुए बंदी के उपरांत ट्रेनों के परिचालन के आधार पर होने वाले बिक्री पर लाइसेंस फीस तथा जीएसटी का निर्धारण करें। ताकि इस कठिन दौर में जीवन यापन चल सके। उन्होंने वेंडरों, कामगारों को सरकारी सहायता भी शीघ्र उपलब्ध कराने की मांग की है।

Dharmendra kumar

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