Naimisharanya: नैमिषारण्य क्षेत्र में लोकभारती द्वारा अभिनव व प्रेरक प्रयोग

UP News : यूपी के सीतापुर में स्थित नैमिषारण्य गोमती क्षेत्र जो महर्षि वेदव्यास की प्रेरणा स्थली और मनु शतरूपा की साधना की स्थली है। वहां लोक भारती द्वारा प्रेरक काम किए जा रहे हैं।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet Kumar
Published on: 6 April 2022 5:14 AM GMT
Naimisharanya Gomti Kshetra
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नैमिषारण्य गोमती क्षेत्र (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

Naimisharanya: नैमिषारण्य गोमती क्षेत्र, सम्पूर्ण देश में 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, मनु-शतरूपा की साधना स्थली, महर्षि दधीचि के अस्थिदान, महर्षि वेदव्यास की प्रेरणा स्थली, चक्र तीर्थ एवं अरण्य के लिए जाना जाता है। यहां चौरासी कोसी परिक्रमा पथ पर महर्षि दधीचि के अस्थि दान के अवसर पर आमंत्रित सम्पूर्ण भारत के तीर्थ आज भी स्थपित हैं।

लोकभारती द्वारा इस क्षेत्र में पिछले एक दशक से अनेक प्रकार के प्रयत्न किए जा रहे हैं

1- गोमती अध्यन यात्रा (2010) के समय दधीचि अश्रम में लिया गया संकल्प-इस क्षेत्र को अपने नाम नैमिषारण्य के अनुरूप विकसित करना।

2- संकल्प पूर्णता हेतु गोमती अध्यन यात्रा के तुरन्त बाद (मई 2010) दिवसीय चौरासी कोसी क्षेत्र के 108 ग्रामों में देव वृक्ष रोपण जागरुकता यात्रा का आयोजना।

3- यात्रा के परिनाम स्वरूप समाज द्वारा 40 हजार देव वृक्षों (पीपल, बरगद, पाकड, गुलर, आम, नीम, जामुन आदि) का रोपण, हरदोई जिला अधिकारी द्वारा 10 हजार, सीतापुर जिलाधिकारी द्वारा 5 हजार पेड़ ट्री गार्ड सहित रोपित कराए जो अब बड़े छायादार वृक्ष बन गए हैं। वहीं परिक्रमा पथ पर चित्रकूट स्थल पर वन विभाग के एक पर्यावरण के लिए समर्पित अधिकारी द्वारा 5 हजार पौधों का रोपण और उनकी सुरक्षा केलिए चारो ओर खाई का का निर्माण कराया गया, वही वन विभाग के एक अन्यअधिकारी की सतत प्रेरणा व साधना से नैमिषारण्य के आश्रमों व गोमती बंधे पर 28 हजारों पौधों का रोपण, पोषण किया गया। इस प्रकार उस समय 88 हजार देव वृक्ष रोपित व पोषित किए गए।

4- नैमिषारण्य के पांडा, पुजारी एवं तीर्थ पुरोहित वर्ग के अनेक जागरुकता आयोजन (2010 से अनवरत) किए गए।

5- नैमिषारण्य क्षेत्र में गौ पालन को प्रोत्साहन तथा गौ आधारित प्राकृतिक कृषि के प्रशिक्षण एवं विस्तार हेतु (2011 से निरन्तर) कार्य।

6- क्षेत्र में भूगर्भीय जल स्तर सुधारने हेतु रामगढ़ सुगर मिल के सहयोग से (2018 से) 20 तालाबों का पुनर्जीवन कार्य।

7- गोमती की सहायक नदी कठिना जो नैमिषारण्य क्षेत्र में ही गोमती में मिलती है, उसका (2019 से) पुनर्जागरण अभियान।

8- परिणाम स्वरूप 30 गांवों में जागरुकता यात्रा, कठिना पर स्वच्छता अभियान, 30 गावों में 1500 नीम का रोप तथा 3 गावों में कृषि एवं वागवानी विभाग के सहयोग से 60 आम (प्रति किसान एक एकड़ के अनुसार 60 किसान) के वागो का रोपण 2020।

9- उक्त 60 बाग का विवाह 60 इमली के साथ सम्पन्न हुआ जिसमें 1000 बारातियों की सहभागिता (2021) हुई।

10- जल उत्सव अभियान के अवसर पर 3 अप्रैल को कठिना तट पनाहीया घाट पर संकल्प सभा का आयोजन, जिसमें 10 गावों के 150 कर्मयोगी, क्षेत्र के प्रमुख 50 गौ सेवक, कृषि, पशुपालन विभाग के अधिकारी तथा लोकभारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह सहित 50 लोकभारती के समर्पित कर्मयोगी कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही।

11- जल उत्सव अभियान के अंतर्गत 5 अप्रैल, 2022 को ज़न जागरुकता एवं प्रेरणा यात्रा का आयोजन सम्पन्न हुआ।

य़ह यात्रा कठिना तट पनहिया घाट से दोपहर 1 बजे प्रारम्भ होकर, द्रोणाचार्य आश्रम पर मार्ग के पिसावा विकास खण्ड के 1- भिथुरा,2- रमूआपूर, 3- अमरेपूर, 4- अफजलगढ तथा मिश्रिख विकास खण्ड के 1- सतनापूर, 2- हुसेनपूर, 3- रामपुर भूडा, 4- तेजी पूरवा, 5- मधुवन, 6- दधनामउ, 7- लोहरखेड़ा सहित 11 गावों में सम्पूर्ण गांव द्वारा स्वागत के साथ सम्पन्न हुई।

यात्रा में 40 चार पहिया वाहन, 162 दो पहिया वाहन, 400 कर्मयोगी, 11 गावों में सैकड़ों गावं वासियों द्वारा अभूत पूर्व स्वागत किया गया।

ये लोग रहें कार्यक्रम में उपस्थित

यात्रा में उत्तर प्रदेश के डि जी डाक्टर संजय सिंह, सी डी ओ, डी एफ ओ, मुख्य पशुपालन चिकित्सा अधिकारी तथा रामा महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य तथा लोहार खेड़ा के वरिष्ठ समाजसेवी कार्यकर्ता डाक्टर जयवीर सिंह सहित लोकभारती के कार्यक्रम संयोजक कमलेश सिंह, सह संयोजक नीरज सिंह, सीतापुर नगर प्रभारी कमलेश पांडे, संयोजक पवन बाजपेई, पिसावा विकास खण्ड संयोजक साकेत सिंह उर्फ रिंकू, मिश्रिख विकास खण्ड के संयोजक देसराज प्रधान बरेथी, संरक्षक BHU सिंह प्रधान Bhithura सहित जागरण समाचार पत्र के अखिलेश सिंह, amarujala के अजय विक्रम सिंह, वरिष्ठ पत्रकार गोविंद मिश्र का पूर्ण सहयोग के साथ उपस्थिति रही।

उक्त सभी 11 गावों में निम्न कार्य संकल्पित हैं

1- पूर्ण गौ आधारित प्राकृतिक कृषि।

2- प्रत्येक परिवार में देशी गाय।

3- गांव के सभी तालाबों, कुओं का पुनर्जीवन।

4- गांव बन का विकास हेतु सघन पंच पल्लब, नीम, औषधियों तथा फलदार वृक्षों का रोपण।

5- ग्राम पर्यटन का विकास।

6- गौ आधारित प्राकृतिक उत्पादों का हब विकास।

7- सीतापुर जिले में कृषि विभाग एवं लोकभारती द्वारा चयनित 20 सेक्टरों के 1000 प्राकृतिक कृषकों (प्रति किसान एक एकड़) के प्रमुख मास्टर ट्रेनरो हेतु मई 2022 में दो दिवसीय आवासी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा।

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