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Loksabha Election 2024: यूपी में राजा भैया के वजह से फंसी ये सीटें, इन मतदाताओं में है मजबूत पकड़

Raja Bhaiya News in Hindi: प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा सीट से बाहुबली विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया का कौशांबी, इलाहाबाद और प्रतापगढ़ सीटों पर खासा प्रभाव देखने को मिलता है।

Sandip Kumar Mishra
Published on: 24 May 2024 6:17 PM IST
Loksabha Election 2024 Analysis Raghuraj Pratap Singh Raja Bhaiya
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Loksabha Election 2024 Analysis Raghuraj Pratap Singh Raja Bhaiya

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के छठवें चरण के मतदान की तैयारी शुरू हो गई है। ऐसे में यूपी के इलाहाबाद यानी की प्रयागराज, प्रतापगढ़ एक कौशांबी लोकसभा सीट को लेकर चर्चा तेज हो गई है। प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा सीट से बाहुबली विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया का इन सीटों पर खासा प्रभाव देखने को मिलता है। राजा भैया की गिनती ठाकुर नेता के रूप में होती है। इन सीटों की चर्चा तब और तेज़ हुई जब बेंगलुरु में गृहमंत्री अमित शाह और राजा भैया के बीच एक घंटे तक बातचीत होने की ख़बर मीडिया में आई। वहीं दूसरी तरफ़ कुछ दिन बाद ही कुंडा में अमित शाह की रैली में मंच पर राजा भैया नज़र नहीं आए। जबकि अमित शाह की मुलाक़ात के बाद माना जाता रहा था कि उनकी रैली में शामिल होकर राजा भैया भाजपा के उम्मीदवारों के लिए वोट की अपील करेंगे।

लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजा भैया ने लोकसभा चुनाव में समर्थन का बड़ा निर्णय लेने के लिए अपने आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। जिसमें यह निर्णय लिया कि वे किसी भी उम्मीदवार को समर्थन नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि जनता योग्य उम्मीदवार को चुनकर संसद भेजे। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के कार्यकर्ता किसी भी पार्टी को मतदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। राजा भैया का यह फैसला भाजपा के लिए किसी झटके की तरह है। जबकि सपा खेमा राहत महसूस कर रहा है। जिसके बाद भाजपा नेताओं द्वारा राजा भैया के खिलाफ बयानबाजी किए जाने पर अब वे खुलकर अपने समर्थकों को कौशांबी, इलाहाबाद और प्रतापगढ़ की तीन सीटों पर सपा को समर्थन के लिए कह दिए हैं। राजा भैया की पार्टी के नेताओं ने आधिकारिक तौर पर सपा के उम्मीदवार पुष्पेंद्र सरोज का समर्थन कर जनसभा करनी शुरू कर दी है।

राजा भैय्या अपने पार्टी को बढ़ाना चाहते हैं (Raghuraj Pratap Singh Raja Bhaiya Politics)

दरअसल, इस बार के लोकसभा चुनाव में राजा भैया अपने पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे। कोशिश थी कि भाजपा कौशाम्बी और प्रतापगढ़ की सीटें उन्हें दे। इस गठबंधन से यूपी में जनसत्ता दल को बड़ी ताकत मिल सकती थी। लेकिन भाजपा की तरफ से इस विषय पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल सका और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। ऐसे में राजा भैया अपने रसूख वाली प्रयागराज और प्रतापगढ़ लोकसभा सीटों पर चुनाव को अगर सीधे प्रभावित कर पाते हैं तो उनकी भविष्य में गठबंधन की दावेदारी और मजबूत होगी। वहीं इस कदम से कहीं न कहीं एक तीर से दो निशाने भी साधे जा रहे हैं। चूंकि अखिलेश यादव राज्यसभा चुनाव में हाथ बढ़ाने की पहल कर चुके हैं, तब राजा भैया ने उनका साथ नहीं दिया था। लिहाजा राजा भैया कहीं न कहीं रिश्तों में सुधार के इच्छुक हैं। वह मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श मानते रहे हैं। उनके इस कदम से अखिलेश के साथ संबंध बेहतर हो सकते हैं।

उधर राजा के इस रुख पर राजनीतिक विश्लेषकों में चर्चा है कि खुद राजा भैया सात बार से लगातार विधायक हैं। लेकिन अब उनके ऊपर अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने की बड़ी जिम्मेदारी है। बता दें 2018 में ही राजा भैया ने अपनी नई पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव से उन्होंने आगाज किया था। इस चुनाव में प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह और कौशाम्बी से शैलेंद्र कुमार मैदान में उतरे। लेकिन भाजपा ने उन्हें मात दे दी थी। फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में राजा भैया ने प्रतापगढ़, प्रयागराज, अमेठी सहित प्रदेश की 24 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। लेकिन दो सीटें कुंडा और बाबागंज में ही वह जीत दर्ज की है।

प्रतापगढ़ और कौशांबी लोकसभा सीट पर राजा भैया का मजबूत पकड़

माना जाता है कि राजा भैया का प्रतापगढ़, कौशांबी और इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र में ठीक-ठाक दखल है। प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर आज तक हुए 17 चुनावों में से 10 बार राजघराने से जुड़े उम्मीदवार ही जीत कर संसद पहुंचे हैं। यहां की राजनीति में तीन मुख्य राजघरानों का दखल हमेशा रहा है। उनमें से पहला विश्वसेन राजपूत राय बजरंग बहादुर सिंह का परिवार है। उनके वंशज रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया कुंडा विधानसभा सीट से विधायक हैं। राय बजरंग बहादुर सिंह हिमाचल प्रदेश के गवर्नर और स्वतंत्रता सेनानी थे। दूसरा परिवार सोमवंशी राजपूत राजा प्रताप बहादुर सिंह का है। इस राजघराने के नाम से ही प्रतापगढ़ का नाम पड़ा। तीसरा घराना कालाकांकर के राजा दिनेश सिंह का है, जो देश के वाणिज्य और विदेश मंत्री थे। हालांकि इस बार राजघराने से कोई भी उम्मीदवार नहीं है। ऐसे में इस सीट पर सीधा मुकाबला भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है। राजा भैया की भाजपा से नाराजगी और उनके फैसले के चलते भाजपा के उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता की राहें मुश्किल हो सकती हैं। प्रतापगढ़ सीट पर यादव, कुर्मी, मुस्लिम और मौर्य समाज के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कुर्मी, यादव और मुस्लिम मिलकर करीब 36 प्रतिशत हैं। जबकि 16 फीसदी ब्राह्मण और 8 फीसदी क्षत्रिय मतदाता भी हैं।

वहीं इलाहाबाद लोकसभा सीट की बात करें तो इसके अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों में से मेजा पर 13 प्रतिशत, करछना में 12 प्रतिशत, बारा में 8 प्रतिशत, कोरांव में 9 प्रतिशत और इलाहबाद दक्षिण में 6 प्रतिशत ठाकुर मतदाताओं पर अच्छा खासा पकड़ देखने को मिलता है। राजा भइया का प्रभुत्व कौशांबी लोकसभा की बाबागंज और कुंडा विधानसभा पर ख़ासा है। कुंडा से राजा भइया सात बार से विधायक हैं। जबकि बाबागंज सुरक्षित सीट से राजा भइया के विनोद सरोज लगातार विजय दर्ज कराते चले आ रहे हैं।



Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

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