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Loksabha Elections 2024: अमेठी और रायबरेली से गांधी परिवार ने बनाई दूरी! राहुल और प्रियंका ने लिया बड़ा फैसला

Loksabha Elections 2024: कांग्रेस से जुड़े जानकार सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी दोनों ने अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 17 March 2024 7:29 AM GMT (Updated on: 17 March 2024 9:13 AM GMT)
Loksabha Elections 2024
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Loksabha Elections 2024 (सोशल मीडिया) 

Loksabha Elections 2024: देश में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है मगर कांग्रेस ने गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले दो लोकसभा क्षेत्रों अमेठी और रायबरेली में अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। इस बीच बड़ी खबर यह है कि गांधी परिवार ने अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों से दूरी बना ली है। गांधी परिवार का कोई भी सदस्य परिवार की इन दोनों परंपरागत सीटों से आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।

कांग्रेस से जुड़े जानकार सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी दोनों ने अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। दोनों ने अपने इस फैसले के पीछे ठोस तर्क भी दिए हैं। सोनिया गांधी ने पहले ही स्वास्थ्य कारणों की वजह से लोकसभा चुनाव से दूरी बना ली है और अब वे राजस्थान से राज्यसभा की सदस्य बन चुकी हैं। भाई-बहन की जोड़ी के फैसले से साफ हो गया है कि इस बार उत्तर प्रदेश के सियासी रण में गांधी परिवार का कोई भी सदस्य नहीं दिखेगा।

राहुल ने फैसले के पीछे दिया यह तर्क

कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को पहले ही केरल की वायनाड सीट से प्रत्याशी घोषित किया जा चुका है। उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव भी इसी लोकसभा सीट से जीता था। एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी इस बार सिर्फ वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे और वे अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि यदि वे अमेठी और वायनाड दोनों सीटों से चुनाव लड़ते हैं और उन्हें दोनों सीटों से जीत हासिल होती है तो उन्हें एक सीट छोड़नी होगी।

दोनों सीटों से चुनाव जीतने की स्थिति में अगर उन्होंने एक सीट छोड़ी तो इसका गलत संदेश जाएगा। अमेठी के लोगों को महसूस होगा कि पिछले चुनाव में हार के बावजूद उन्होंने इस बार जीत दिलाई तब भी मैंने सीट छोड़ दी।

दूसरी ओर वायनाड के लोगों के बीच यह संदेश जाएगा कि पिछली बार अमेठी से हार के बावजूद उन्होंने वायनाड से जीत दिलाई थी। इसके बावजूद मैंने उस सीट को छोड़ दिया। उन्होंने अपना यह तर्क देते हुए इस बार सिर्फ वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

प्रियंका गांधी ने भी लिया बड़ा फैसला

दूसरी ओर प्रियंका गांधी को लेकर लंबे समय से यह अटकलें लगती रही हैं कि वे इस बार रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतर सकती हैं मगर जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी ने भी इस बार रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।

प्रियंका गांधी का मानना है कि अगर वे चुनाव लड़ती हैं तो परिवारवाद को लेकर गलत संदेश जाएगा। एक ही परिवार के तीन लोग संसद में होने पर भाजपा को भी हमला करने का बड़ा मौका मिलेगा।

इस कारण वे इस बार रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है। परिवारवाद को लेकर हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के अन्य शीर्ष नेता कांग्रेस पर तीखे हमले करते रहे हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी का फैसला भी सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है।

अमेठी में स्मृति ईरानी की कड़ी चुनौती

कांग्रेस ने अभी तक अमेठी और रायबरेली समेत उत्तर प्रदेश की 17 लोकसभा सीटों पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अमेठी में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर सियासी हल्कों में हड़कंप मचा दिया था। इससे पहले 2014 में भी दोनों नेताओं के बीच चुनावी भिड़ंत हुई थी मगर उस चुनाव में राहुल गांधी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे।

अमेठी में कांग्रेस की सियासी राह इस बार भी आसान नहीं मानी जा रही है क्योंकि स्मृति ईरानी अमेठी में लगातार सक्रिय बनी हुई हैं। अब उन्होंने अमेठी में अपना घर भी बना लिया है और हाल में उनके गृह प्रवेश के कार्यक्रम में तमाम सियासी दिग्गजों का जमावड़ा लगा था।

वे लगातार अमेठी से राहुल गांधी को चुनाव लड़ने की चुनौती दे रही हैं और ऐसे में अगर राहुल ने अमेठी से दूरी बनाई तो उन्हें राहुल गांधी को घेरने का बड़ा मौका मिल जाएगा।

रायबरेली में भी कांग्रेस की सियासी राह मुश्किल

अमेठी के अलावा रायबरेली में भी कांग्रेस को इस बार कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। भाजपा लगातार इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है जबकि सोनिया गांधी ने इस बार यहां से चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। वे राजस्थान से राज्यसभा की सदस्य भी बन चुकी हैं। पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सपा विधायकों को तोड़कर रायबरेली में अपनी सियासी स्थिति पहले ही मजबूत बना ली है। रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडेय ने पिछले राज्यसभा चुनाव में बागी तेवर दिखाते हुए भाजपा का समर्थन किया था। मनोज पांडेय के अलावा रायबरेली और अमेठी में दबदबा रखने वाले तीन और सपा विधायकों ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया था।

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था मगर सोनिया गांधी ने रायबरेली का दुर्ग बचा लिया था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ इसी एकमात्र सीट पर जीत हासिल हुई थी मगर अब अमेठी के साथ ही कांग्रेस का यह दुर्ग भी खतरे में आ गया है। अब प्रियंका गांधी के चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद इस लोकसभा सीट पर भी भाजपा की राह आसान मानी जा रही है।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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