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लम्बी फेहरिस्त है बसपा से बाहर हुए नेताओं की
दरअसल रामवीर उपाध्याय को पार्टी से बाहर होने की संभावनाएं लोकसभा चुनाव के शुरूआत में ही तय हो गयी थी जब उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय ने फतेहपुर सीकरी से टिकट मिलने के बाद चुनाव लडने से इंकार कर दिया था।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी से निकाले गए रामवीर उपाध्याय कोई पहले नेता नहीं है जिन्हे पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया हो। इसके पहले न जाने कितने कददावर नेताओं को बसपा से बाहर किया जा चुका है भले ही वह पार्टी के लिए कितना ही उपयोगी क्यों न हो। पार्टी की स्थापना से लेकर अबतक कई नेता पार्टी से बाहर हुए। कई ने तो अपना अलग दल बनाकर सियासी पारी खेली तो कई पार्टी से बाहर होने के बाद फिर बसपा में लौट आए।
दरअसल रामवीर उपाध्याय को पार्टी से बाहर होने की संभावनाएं लोकसभा चुनाव के शुरूआत में ही तय हो गयी थी जब उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय ने फतेहपुर सीकरी से टिकट मिलने के बाद चुनाव लडने से इंकार कर दिया था। बसपा ने इसे अनुशासनहीनता माना और आज उन्हे बाहर का रास्ता दिखा दिया।
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अतीत पर गौर करें तो पार्टी की स्थापना के कुछ वर्षो बाद पार्टी संस्थापक कांशीराम के खासमखास रहे जंग बहादुर और राजबहादुर ने खुद पार्टी छोड दी थी। राजबहादुर ने बसपा (राजबहादुर) पार्टी बनाई और जंगबहादुर सपा में शामिल हो गए। यहीं नहीं मायावती के बढते प्रभाव के चलते ही डा मसूद ने पार्टी छोडी और बाद में राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी बनाई। इसके बाद वह सपा में शामिल हो गए।
प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए डा सोनेलाल पटेल को भी उसी दौरान 1995 में बसपा से बाहर किया गया। तब उन्होंने अपना दल की स्थापना की। इसके बाद भी यह सिलसिला यहीं नहीं रूका और 2001 में बरखूराम वर्मा और आरके चैधरी को बसपा से बाहर किया गया। आरके चैधरी ने राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी बनाई।
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2013 में वह फिर बसपा में वापस आ गये। लेकिन उनका बसपा में एक बार फिर जब मन नहीं लगा तो फिर उन्होंने बसपा छोड दी। इसी तरह ओमप्रकाश राजभर भी 2002 में बसपा से बाहर हुए और फिर उन्होंने सुहेलदेव समाज पार्टी बनाई और 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश की सत्ता में शामिल हुए। इनके अलावा दददू प्रसाद बाबू सिंह कुशवाहा नसीमुददीन सिददीकी इन्दरजीत सरोज स्वामी प्रसाद मौर्या भी बसपा से बाहर हुए।