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Tattoos Cause Cancer: लिवर कैंसर की दहलीज तक पहुंचा रहा कम खर्च में टैटू का शौक
Tattoos Cause Cancer: हैलट में हैपेटाइटिस बी और सी के हर महीने 250 से अधिक मरीज। किशोरों व युवाओं में तो जागरूकता पर बड़ी उम्र वालों में लापरवाही।
Tattoos Cause Cancer: शहर से सटे ग्रामीण इलाके में रहने वाले 43 वर्षीय युवक ने गर्दन में टैटू बनवा रखा है। कई दिनों से यूरीन का रंग बदलना, अधिक थकान लगने पर जांच कराई तो हैपेटाइटिस की चपेट में आने की पुष्टि हुई। 54 साल की महिला ने कुछ समय पहले कलाई पर पति का नाम गुदवाया था। उनकी खुशी कुछ ही दिन में तकलीफ में बदल गई। डॉक्टर को दिखाया तो हैपेटाइटिस सी होने के साथ लिवर काफी डैमेज हो चुका था। ये किस्से यह बता रहे हैं कि शौक भी सेहत को बड़े संकट में ला सकता है।
अगर कम खर्च के चक्कर में शौक पूरा किया जाए तो खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। सीधे तौर पर कहना है कि अगर आप भी टैटू गुदवाने की ख्वाहिश रखते हैं तो पैसे बचाने के बारे में ज्यादा मत सोचिएगा। आपकी यह सोच आपको हैपेटाइटिस बी, सी जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में ला सकती है। और तो और बेपरवाह और सही समय पर इलाज ने होने से लिवर ड्रैमेज या कैंसर का खतरा काफी बढ़ सकता है। कारण यह है कि टैटू गोदने वाली सुई काफी महंगी होती है। ऐसे में टैटू आर्टिस्ट अधिक से अधिक कमाई के फेर में सुई बदलते ही नहीं हैं। टैटू बनवाने वाला भी कभी उत्साह तो कभी दो-चार सौ रुपये बचाने के चक्कर में सुई बदलवाने के लिए नहीं कहता है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि टैटू बनवाने वाला कोई व्यक्ति हेपेटाइटिस बी व सी संक्रमित है तो उससे संक्रमित सुई के जरिये बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
अस्पताल पहुंच रहे हर महीने 250 से अधिक मरीज
शहर के सबसे बड़े अस्पताल हैलट के आंकड़े बताते हैं कि यहां हैपेटाइटिस बी और सी के हर महीने 250 से अधिक मरीज आते हैं। एक दिन की बात करें तो हैपेटाइटिस बी के 25 से 30 व सी के 15 से 20 मरीज इलाज कराने आते हैं। अधिकांश की आयु 35 से 55 साल के बीच की है।
25 फीसदी ने टैटू बनवाते समय नहीं बदलवाई सुई
विशेषज्ञों के अनुसार, हैपेटाइटिस बी और सी मरीजों में से 25 फीसदी ने टैटू बनवाते समय सुई नहीं बदलवाई। कई ऐसे भी रहे कि नाई के यहां ब्लेड बदलने पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे लोगों में ग्रामीण इलाकों की संख्या ज्यादा है।
30 फीसदी पर लिवर डैमेज व कैंसर तक का खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, 30 फीसदी मरीज ऐसी हालत में अस्पताल पहुंचे, जब उनका लिवर ड्रैमेज होने की स्थिति पर पहुंच गया था। साथ ही लिवर कैंसर तक होने का खतरा भी ज्यादा था। लंबे समय तक हैपेटाइटिस बी, सी होने के बाद भी इलाज में देरी व लापरवाही बरतना प्रमुख कारण है।
इन लक्षणों पर दें ध्यान
यूरीन का अचानक रंग बदलना
थकान, बार-बार जी मिचलाना
भूख ना लगना या कम लगना
अचानक से वज़न कम होना
डॉ विनय सचान, विभागाध्यक्ष, गैस्ट्रो के अनुसार हैलट में हर महीने हैपेटाइटिस बी, सी के लगभग 250 मरीज आ रहे हैं। टैटू बनवाने के दौरान सूई नहीं बदलवाने से बड़ी संख्या में बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। लापरवाही व इलाज में देरी से लिवर ड्रैमेज व कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है।