AKTU का विलेन कुलपति: कर दी सारी हदें पार, दलित उत्पीड़न का लगा आरोप

आयोग के पत्र में कहा गया है कि कुलपति पाठक से पूछा जाए कि उनके पास ऐसा कौन सा अधिकार पत्र है, जिसके तहत वह कुलाधिपति (राज्यपाल) के आदेश का पालन नहीं कर रहे है और लगातार चार साल से दलित उत्पीड़न किए जा रहे है।

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Published on: 1 Sep 2020 9:09 AM GMT
AKTU का विलेन कुलपति: कर दी सारी हदें पार, दलित उत्पीड़न का लगा आरोप
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AKTU के कुलपति पर दलित उत्पीड़न का लगा आरोप (file photo)

लखनऊ: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के कुलपति विनय कुमार पाठक द्वारा एक दलित कर्मचारी का उत्पीड़न किए जाने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कुलाधिपति (राज्यपाल) के विशेष कार्याधिकारी को पत्र भेजकर 21 दिनों में उच्च स्तरीय जांच करा कर रिपोर्ट से अवगत कराने को कहा है। आयोग के पत्र में कहा गया है कि कुलपति पाठक से पूछा जाए कि उनके पास ऐसा कौन सा अधिकार पत्र है, जिसके तहत वह कुलाधिपति (राज्यपाल) के आदेश का पालन नहीं कर रहे है और लगातार चार साल से दलित उत्पीड़न किए जा रहे है।

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एकेटीयू ने कुल 72 कर्मियों को विनियमित कर दिया

दरअसल, एकेटीयू में कम्प्यूटर आपरेटर के तौर पर मानदेय पर बीते 18 वर्षों से काम कर रहे मनीष कुमार की पत्नी रत्ना ने आयोग में शिकायत की है कि वर्ष 2016 में एकेटीयू ने कुल 72 कर्मियों को विनियमित कर दिया लेकिन इसमे मनीष कुमार शामिल नहीं किया गया और न ही इसका कोई कारण बताया गया। जबकि मनीष कुमार के कार्य और व्यवहार की प्रशंसा करते हुए समय-समय पर कई अधिकारियों ने उन्हे प्रशंसा पत्र भी जारी किए है। अपनी शिकायत में रत्ना ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2015 में कुलपति पाठक के आने के बाद से ही उनके पति मनीष कुमार का जातिगत आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है।

AKTU-logo AKTU-(file photo)

कम्प्यूटर आपरेटर मनीष कुमार की पत्नी रत्ना ने की शिकायत

रत्ना ने अपनी शिकायत में कहा है कि कुलाधिपति (राज्यपाल) ने 25 अक्टूबर 2019 को साफ आदेश दिया था कि मनीष कुमार को कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर ज्वाइन करा कर विनियमितिकरण का परिणामिक लाभ दिया जाए। लेकिन 07 दिन तक मनीष कुमार को गेट पर ही खड़ा रखा गया और फिर उन्हे एकेटीयू लखनऊ में न ज्वाइन करा कर नोएडा में ज्वाइनिंग दी गई। जहां उनके पति मनीष कुमार ने ज्वाइन भी कर लिया लेकिन इसी साल बीती 13 जून को उन्हे एक बार फिर संविदा कर्मी मानते हुए सेवा से अलग कर दिया गया।

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रत्ना ने बताया कि उन्होंने शासन में भी विनियमतिकरण में भेदभाव की शिकायत की थी। जिसकी जांच के लिए शासन में दो अलग-अलग कमेटियां भी बनी और दोनों ही कमेटियों ने उनकी शिकायतों को सही पाया लेकिन इसके बाद कुलपति ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके एक तीसरी कमेटी बनवा दी। तीसरी कमेटी ने उनके पति मनीष कुमार को अपना पक्ष रखने का मौका दिए बगैर उनके खिलाफ रिपोर्ट लगा दी।

मनीष श्रीवास्तव

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