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Ram Leela In Lucknow: केवट संवाद, श्रवण कुमार, दशरथ स्वर्ग, कैकेई-भरत संवाद लीला ने किया दर्शकों को मंत्र मुग्ध
Lucknow: लखनऊ में रामलीला के आज चौथे दिन निषादराज राम मिलन, केवट संवाद, सुमंत्र का वापस जाना, दशरथ विलाप, श्रवण कुमार कथा, मंथरा का महल से निष्कासन और कैकेई परित्याग लीला हुई।
Lucknow: लखनऊ में रामलीला (Ram Leela in Lucknow) के आज चौथे दिन निषादराज राम मिलन, केवट संवाद, सुमंत्र का वापस जाना, दशरथ विलाप, श्रवण कुमार कथा, दशरथ स्वर्ग, कैकेई भरत संवाद, मंथरा का महल से निष्कासन और कैकेई परित्याग लीला हुई। आज रामलीला (Ram Leela 2022) की शुरूवात निषादराज राम मिलन लीला से हुई, इस प्रसंग में राम, सीता और लक्ष्मण जब वन गमन के लिए प्रस्थान करते हैं तो रास्ते में अयोध्या की सारी प्रजा उनके साथ चलती है, वहीं निषादराज से राम जी कहते हैं कि आप अब वापस चले जाइये और राज्य की सीमा की सीमा की रक्षा कीजिए।
इसके बाद केवट संवाद लीला हुई, इस प्रसंग में जब भगवान राम नदी पार करने के लिए केवट से आग्रह करते हैं कि वह नदी पार करा दे तब केवट राम जी से कहते हैं कि पहले वह आपके पांव पखारेंगे, फिर नौका से नदी पार करायेंगे। इसके बाद केवट अपनी पत्नी से कहते हैं कि वह भगवान के पांव पखारने के लिए परात लेकर आए, इसके बाद केवट भगवान राम के पांव पखरते हैं और पांव पखारने के बाद परात के उस जल को चरणामृत के रूप में स्वयं, पत्नी और बाकी घर वालों ग्रहण कराते हैं। इसके बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को केवट नदी पार कराते हैं।
राजा दशरथ राम के लिए हुए व्याकुल
राम के वन जाने के बाद राजा दशरथ राम के लिए काफी व्याकुल रहते हैं, राम के बिना वह अपने आपको अकेला महसूस करते हैं इसलिए वह अपने मंत्री से कहते हैं कि वह राम को समझा बुझाकर वापस ले आएं, सुमंत्र राम के पास जाकर राजा दशरथ की सारी बात बताते हैं, इस पर राम, सुमंत्र से कहते हैं कि वह अपने पिता के वचनों के कारण यहां आये हैं, इसलिए मैं वनवास के बाद ही अयोध्या वापस आऊंगा। इस बात को सुनकर सुमंत्र अयोध्या वापस जाकर सारा वृतान्त राजा दशरथ से बताते हैं। इस बात को लेकर वह काफी परेशान रहने लगते हैं। यह प्रसंग यहीं पर समाप्त हो जाता है।
श्रवण कुमार लीला दर्शकों की आँखों को किया नम
इसके बाद श्रवण कुमार लीला हुई, इस प्रसंग में एक दिन दशरथ आखेट खेलने के लिए वन जाते हैं, काफी दूर जाने पर उनको कुछ आवाज सुनाई देती है, जिसको सुनकर वह धनुष बाण लेकर उस आवाज के सहारे जाते है जहां उनको पोखर में पानी पीता हुआ एक मृग दिखाई देता है, इसको देखकर वह उस पर बाण चला देते हैं, जैसे ही वह बाण उनसे छूटता है वैसे ही जोर से आवाज आती है, इसको सुनकर वह उसके पास जाते हैं जहां पर वह एक युवक को मरणासन्न अवस्था में देखते हैं उससे सारी बात जानने के बाद वह श्रवण कुमार के माता-पिता से मिलकर पूरी बात बताते हैं, इसके बाद उनके माता-पिता दशरथ से कहते हैं कि जैसे मुझे अपने पुत्र के वियोग में प्राण त्यागने पड़ रहे है, वैसे ही पुत्र वियोग में आपको भी प्राण त्यागने होंगे।
कैकेई भरतसंवाद
इस लीला के पश्चात दशरथ स्वर्ग गमन लीला हुई, इस प्रसंग में राजा दशरथ राम के वियोग में काफी व्याकुल रहते हैं, जिसके कारण वह एक दिन स्वर्ग सिधार जाते हैं। इसी क्रम में कैकेई भरत संवाद, मंथरा का महल से निष्कासन और कैकेई परित्याग लीला हुई, इन प्रसंगों में भरत अपने पिता दशरथ की मृत्यु से आहत हो अपनी मां कैकेई से कहते हैं कि आपके ही कारण पिता जी का यह हाल हुआ है, इस कारण आप मंथरा को महल से बाहर निकाल दीजिए, पिता की असली मृत्यु का कारण मंथरा ही है, जिसके बाद मंथरा महल से बाहर कर दिया जाता है।