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सोलह साल पहले गुम हुए नाबालिग के मामले में FIR दर्ज करने का आदेश
लखनऊ : विशेष सीजेएम छवि अस्थाना ने 16 साल पहले गायब हुए एक नाबालिग लड़के के मामले में हाजी हसीब, एजाज, मुस्लिम, हफीज व नईम के खिलाफ एसओ मलिहाबाद को मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है। उन्होंने यह आदेश महिला वकील खुशनुमा खान की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है।
खुशनुमा का आरोप है कि उसके सौतेले नाना हाजी हसीब हवाला का काम करते थे। वर्ष 2001 में वह उसके बड़े भाई सुहेल खान को पढ़ाई के नाम पर हरदोई के शाहाबाद से मलिहाबाद ले आए। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते उसकी मां ने उसके भाई को नाना के साथ भेज दिया था। लेकिन उसके सौतेले नाना ने उसके नासमझ भाई को भी हवाला के धंधे में लगा दिया। इस बात की खबर जब मां को हुई तो वह उसके भाई को अपने घर ले आई। लेकिन कुछ दिन बाद उसकी मां को बहला-फुसलाकर उसके नाना फिर से उसके भाई को अपने साथ ले गए।
22 सितंबर, 2002 को उसके नाना ने सुहेल को तीन लाख 10 हजार रुपए देकर कहा कि इसे कानपुर लेकर जाना है। तभी नाना हाजी हसीब के मामा का बेटा मुस्लिम व हफीज भी वहां आ गए। जबकि एजाज वहां पहले से मौजूद था। फिर तीनों मुस्लिम, हफीज व एजाज भी सुहेल के साथ हो लिए, यह कहते हुए कि हमें भी कानपुर जाना है।
आरोप है कि उस रोज के बाद से उनका भाई आज तक नहीं मिला। विपक्षीगण भाई के बारे में पूछने पर उसकी मां को धमकी देते हैं कि तुम्हें भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है।
वर्ष 2003 से 2005 तक उसकी मां थाना मलिहाबाद व एसएसपी के साथ ही अल्पसंख्यक आयोग व मानवाधिकार आयोग के भी चक्कर लगाकर थक चुकी है। लेकिन आज तक उसकी किसी अर्जी पर कोई कार्यवाहीं नहीं हुई। उल्टे विपक्षीगण उसे धमकियाते रहते हैं। कहते हैं कि थाने वाने के चक्कर लगाना बंद करो। नही तो अभी एक ही लड़का खोया है, दूसरे से भी हाथ धो बैठोगी। तुम हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती। लिहाजा गुजारिश है कि विपक्षीगणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया जाए।
धमकी मामले मेें विवेचना की धीमी प्रगति पर कोर्ट नाखुश
सीजेएम संध्या श्रीवास्तव ने सीनियर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को फोन पर दी गई कथित धमकी के मामले में विवेचना की प्रगति पर नाराजगी जताई है। उन्होंने इस संदर्भ में एसएसपी व डीआईजी के साथ ही लखनऊ के आईजी को भी पत्र भेजने का आदेश दिया है। कहा है कि बीते आठ जुलाई व 10 अगस्त को अदालत ने इस मामले की विवेचना में हुई प्रगति का ब्यौरा मांगा था। लेकिन विवेचक ने कोई प्रगति आख्या प्रस्तुत नहीं की है। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।
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