दिल्ली जैसे हादसे का इंतजार! लखनऊ में भी है पहाड़, जो ले लेगा आपकी जान

राजधानी का दुबग्गा डंपिंग स्टेशन दिल्ली जैसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है। दिल्ली के गाजीपुर इलाके में बना कूड़ा घर जैसा माहौल पूरी तरह से दुबग्गा डंपिंग स्टेशन पर भी दिख रहा है। यहां भी कूड़े के कई फीट ऊंचे पहाड़ दिख रहे हैं। जहां-तहां कूड़ों को डंप कर दिया गया है।

tiwarishalini
Published on: 2 Sep 2017 12:21 PM GMT
दिल्ली जैसे हादसे का इंतजार! लखनऊ में भी है पहाड़, जो ले लेगा आपकी जान
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लखनऊ: राजधानी का दुबग्गा डंपिंग स्टेशन दिल्ली जैसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है। दिल्ली के गाजीपुर इलाके में बना कूड़ा घर जैसा माहौल पूरी तरह से दुबग्गा डंपिंग स्टेशन पर भी दिख रहा है। यहां भी कूड़े के कई फीट ऊंचे पहाड़ दिख रहे हैं। जहां-तहां कूड़ों को डंप कर दिया गया है।

कूड़ों के ढेर से हमेशा धुआं निकलता रहता है। इन धुंओं से हानिकारक गैसों का रिसाव होता रहता है। स्थानीय लोगों के लिए यह काल बन चुका है। वहीं दूसरी ओर आवारा पशुओं का जमावड़ा भी दुबग्गा में हमेशा रहता है। नगर निगम विभाग दुबग्गा डंपिंग स्टेशन को लेकर लापरवाही कर रहा है। निगम के किसी भी अफसर का ध्यान इस ओर नहीं है। यहां दिल्ली जैसी घटना कभी भी हो सकती है।

क्या है दिल्ली वाली घटना ?

दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र में शुक्रवार को कूड़े का पहाड़ ढहने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा लाखों रुपए का नुकसान भी हुआ है। इस घटना के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नगर निगम को माना गया है। वहां पर क्षमता से अधिक कूड़ा रख दिया गया था। जिसके चलते एक के ऊपर एक कूड़ा लदने से विशाल पहाड़ बन गया। इसके बाद कूड़े से बने पहाड़ का बैलेंस बिगड़ने के चलते यह घटना हुई है।

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एनजीटी के नियम का नहीं हो रहा है पालन

दुबग्गा में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पूरी तरह से फेल दिख रहे हैं। नियमानुसार, अधिक कूड़ा होने पर डंपिंग रोक देनी होती है और कूड़ा निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन एनजीटी के नियम यहां पर काम नहीं कर रहे हैं। यहां ढेरो मात्रा में कूड़ा जमा हो चुका हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से अभी तक डंपिंग का कार्य चल रहा है। इसके अलावा कूड़े को नष्ट करने पर भी किसी अफसर का ध्यान नहीं जा रहा है।

आदेश का पालन देरी से

केंद्रीय पॉल्यूशन बोर्ड की नाराजगी के बाद शहरी विकास मंत्रालय ने साल 2000 में हर राज्य को यह आदेश दिया था कि वे सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट योजना 2003 से पहले प्रारंभ कर लें। लेकिन 10 सालों तक केवल कागजों पर ही काम चलता रहा।

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राजधानी का है ये हाल

साल 2009 में सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट बनाने के लिए कदम उठाया गया। आदेश मिलने के 9 साल बाद जाकर इस पर गाड़ी आगे बढ़ी। इसका जिम्मा ज्योति इंवाइरोटेक कंपनी को दिया गया। दुबग्गा में कूड़ा डंप करने का टेंडर भी इसी कंपनी को मिला। लेकिन हैरानी की बात यह है कि दुबग्गा डंपिंग स्टेशन खुलने के कई साल बाद भी चालू नहीं हो सका।

एनओसी पर उठते हैं सवाल

कूड़ा निस्तारण प्लांट चलाने के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेनी होती है। लेकिन इस एनओसी पर सवाल उठ रहे हैं। अगर एनओसी लिया है तो प्रदूषण बोर्ड की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ रही है या दुबग्गा डंपिंग स्टेशन बिना एनओसी के तो नहीं चल रहा है, यह सवाल बना हुआ है।

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tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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