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सरकार पीटती है मुफ्त बिजली कनेक्शन का ढिंढोरा, जेई गर्म करते हैं अपनी जेबें
प्रदेश सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में एक करोड़ लोगों को निशुल्क बिजली कनेक्शन देने का दावा ठोंक रही है। वहीं सरकारी आंकडों के अनुसार सौभाग्य योजना के तहत 22 लाख से ज्यादा कनेक्शन दिए जा चुके हैं। मगर, यह सब आंकडें दलीलें, दावें उस वक्त खोखले, बेमानी और गलत साबित हो जाते हैं, जब इसे झुठलाते हुए बिजली विभाग के लोग ही एक-एक कनेक्शन के लिए 30-30 हजार रुपयों की वसूली करते हैं। मामला कहीं दूर का नहीं बल्कि सरकार की नाक के नीचे ही राजधानी लखनऊ का है। आगे पढ़ें newstrack.com का खुलासा...
मनोज द्विवेदी
लखनऊ: प्रदेश सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में एक करोड़ लोगों को निशुल्क बिजली कनेक्शन देने का दावा ठोंक रही है। वहीं सरकारी आंकडों के अनुसार सौभाग्य योजना के तहत 22 लाख से ज्यादा कनेक्शन दिए जा चुके हैं। मगर, यह सब आंकडें दलीलें, दावें उस वक्त खोखले, बेमानी और गलत साबित हो जाते हैं, जब इसे झुठलाते हुए बिजली विभाग के लोग ही एक-एक कनेक्शन के लिए 30-30 हजार रुपयों की वसूली करते हैं। मामला कहीं दूर का नहीं बल्कि सरकार की नाक के नीचे ही राजधानी लखनऊ का है। आगे पढ़ें newstrack.com का खुलासा...
यह है पूरा मामला
लखनऊ के गुडंबा थाना क्षेत्र में मिश्रपुर गांव है, जिसकी सीमा से सटी जगह पर प्लाटिंग करके जमीन बेची गई है। यहां कुल 80 प्लाट हैं जिसमें ज्यादातर मकान बन चुके हैं। यहां से जब भी कोई बिजली का कनेक्शन लेने कार्यालय जाता है तो उससे सीधे-सीधे 30 हजार की डिमांड की जाती है। न देने पर कनेक्शन आवेदन खारिज कर दिया जाता है और धमकी दी जाती है। उपभोक्ता कनेक्शन लेने पहुंचे अशोक दीक्षित के साथ भी यही हुआ और मकान बनने के एक साल बाद तक उन्हें कनेक्शन नहीं मिला है। वहीं आरएस याादव भी बिजली कनेक्शन के लिए पहुंचे तो उन्हें खंभे इत्यादि का खर्च बताकर 30 हजार रुपए मांगे गए। न देने पर उन्हें आज तक कनेक्शन नहीं मिला है। यदि किसी तरह आवेदन फॉर्म ऑनलाइन भर दिया तो उसे काटकर वापस कर दिया जाता है।
समिति के माध्यम से होता है खेल
बिजली विभाग के अधिकारी यह रकम खुद नहीं मांगते बल्कि समिति का सहारा लेते हैं। इस क्षेत्र में जब समिति के बारे में जानकारी की गई तब कोई रजिस्टर्ड आवासीय समिति या आरडब्लयूए नहीं मिली। समिति के नाम पर भोले-भाले निवासियों को एक फर्जी रसीद दी जाती जिसपर किसी समिति का नाम पता दर्ज नहीं है। बिना नाम वाली समिति चलाने वाले लोग पैसा लेकर इसी फर्जी रसीद पर साइन करके दे देते हैं, जिसे बिजली विभाग मान्य करता है और कनेक्शन दे दिया जाता है। लखनऊ की ज्यादातर नई बनी कॉलोनियों में इसी तरह समिति के नाम पर प्रति कनेक्शन वसूली की जा रही है।
यह है नियम
सरकार का नियम है कि विकसित कॉलोनी में एक साथ तीन उपभोक्ता कनेक्शन मांगते हैं और उनके घर से नजदीकी पोल की दूरी 40 मीटर से अधिक है तो उन्हें 3 खंभे निशुल्क लगाए जाएंगे। 15 से ज्यादा कनेक्शन की मांग है तो 5 खंभे नि:शुल्क लगाए जाएंगे। बिजली के कर्मचारी, अधिकारी इसी नियम का हवाला देकर निशुल्क खंभों की कीमत भी अवैध रुप से उपभोक्ताओं से खुलेआम वसूल करते हैं। जहां तक बात समिति की है तो एक ही प्लाट पर बनी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में बिल्डर या स्थानीय आरडब्ल्यूए के माध्यम से बल्क कनेक्शन दिए जाते हैं, जिसका भुगतान अकेले आरडब्ल्यूए करके एक-एक उपभोक्ता से औसत राशि लेती है, वह राशि भी प्रति कनेक्शन 7 या 8 हजार से ज्यादा नहीं होती।
विभाग की दलील
लखनऊ के दुरियापुरवा के जेई राम इकबाल से जब newstrack.com ने बात की तो उन्होंने सवाल का गोलमोल जवाब दिया और कहा कि आप शिकायत करने वाले से ही पूछिए कि यह पैसा विभाग मांग रहा है या समिति। जब उनसे समिति की वैधानिकता पर सवाल किया गया तो सही जवाब नहीं दे पाए और उन्होंने मीडिया कंपनी का नाम पूछकर फोन काट दिया।