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Lucknow News: बीबीएयू में हुआ किसान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन, कई गाँव के किसान रहे मौजूद

Lucknow News: बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में किसान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। किसानों को जैविक खाद बनाने और फूलों की खेती से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया।

Hema Shrivastava
Written By Hema Shrivastava
Published on: 16 Dec 2022 1:42 PM GMT
Lucknow News
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 ( Babasaheb Bhimrao Ambedkar University Farmers training workshop )

Lucknow News: बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में विज्ञान प्रौद्योगिकी नवाचार परियोजना के तहत किसान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला विवि के सामान्य सुविधा केंद्र में आयोजित हुई, जहां किसानों को जैविक खाद बनाने और फूलों की खेती से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के कई गांवों से आये 25 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला में श्रमिक भारती संस्थान से जुड़े किसानों और संस्थान के कोऑर्डिनेटर राणा सिंह भी मौजूद रहें।

विश्वविद्यालय के विज्ञान प्रौद्योगिकी इनोग्रेशन के प्रमुख अन्वेषणक प्रो0 नवीन कुमार अरोड़ा ने कानपुर देहात से आए किसानों का कार्यक्रम में स्वागत किया और कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने किसानों से उनके गावों में चल रही भूमि सुधार की योजना से हो रहे बदलावों के बारे में भी जानकारी ली। प्रो0. अरोड़ा ने वहाँ उपस्थित किसानों की कृषि संबंधित शंकाओं का समाधान भी किया।


बैक्टीरिया बचाव के जैविक तरीकों की जानकारी

कार्यशाला के प्रथम सत्र में जिन किसानों को जैविक पद्धति से खेतीबाड़ी करने में परेशानी आ रही थी उनकों प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस सत्र में डॉक्टर जितेंद्र मिश्रा, समन्वयक, एसटीआई हब, बी.बी.ए.यू. लखनऊ ने किसानों को जैव–ऊर्वरकों के बारे व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। डॉ. जितेन्द्र ने किसानों को ऊसर ग्रस्त ज़मीन का जैविक तरीकों से उपचार करने की विधि भी प्रदर्शित की। उन्होंने बताया कि ट्रायकोडर्मा नामक फफूंद के प्रयोग से ऊसरग्रस्त भूमि का उपचार संभव है। इस फफूंद को किसान अपने खेतों में बिना किसी आर्थिक व्यय के बड़ी ही आसानी से तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा शोध सहायक, डॉ. प्रद्युम्न सिंह ने हानिकारक बैक्टीरिया तथा निमेटोड से बचाव के जैविक तरीकों की जानकारी दी।

खेती से आमदनी बढ़ाने के तरीकें

एनबीआरआई से आये वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 खुरेजम जीबन कुमार सिंह ने किसानों को फूलों की खेती और उससे आय बढ़ाने के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कम लागत में आसानी से गेंदे, ग्लैडियोलस, जरबेरा और गुलाब की खेती की जा सकती है। बाजार में इसकी काफी मांग है क्योंकि सभी मांगलिक कार्यों और संस्कारों में गेंदे का फूल ही प्रयोग होता है। इससे न सिर्फ ताजे फूल बल्कि सूखे फूल भी आमदनी का अच्छा साधन है। सूखे फूलों से अगरबत्ती, धूप बत्ती, प्राकृतिक रंग आदि का व्यापार किया जा सकता है। इस सभी उत्पादों की मांग साल भर बनी रहती है। उन्होंने किसानों को सीएसआईआर फ्लोरीकल्चर मिशन के बारे में भी समझाया जिसके माध्यम से किसानों के समूह बना कर उनको फूलों की खेती से जुड़ा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। जो भी किसान इस दिशा में आगे व्यापार बढ़ाना चाहते हैं उन्हें भी सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली की तरफ से भूमि सुधार की ये परियोजना बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा उत्तर भारत के तीन राज्यों- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश में चलाई जा रही है।

Hema Shrivastava

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