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Hanuman janmotsav: लखनऊ में हनुमान जी के फेमस मंदिर, जहां पूजा करने से पूरी होती है मनोकामना
Hanuman janmotsav: शहर के दो प्रमुख हनुमान मंदिर - अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में और हनुमान सेतु मन्दिर लखनऊ में आज भक्तो की भारी भीड़ रही है।
Hanuman janmotsav In Lucknow: आज शनिवार को पूरे भारत वर्ष में हनुमान जन्मोत्सव बड़ी ही धूम धाम से मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मोत्सव की तैयारी बड़ी जोर की हुई है। शहर के हर छोटे बड़े मंदिर को भक्तो ने सजाया है। शहर के दो प्रमुख हनुमान मंदिर अलीगंज स्थित प्राचीन मंदिर में और हनुमान सेतु मन्दिर को भी बड़ी तैयारी की गई है।
अलीगंज के प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत ने बताया कि हनुमान जयंती के अवसर पर सुबह 8 बजे हनुमान जी का विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्रृंगार किया गया और पूजा आरती की गई । हनुमान सेतु मंदिर के आचार्य ने बताया कि आज सुबह दस बजे से हनुमानजी का अभिषेक पूजन, हवन एवं प्रसाद वितरण किया जाएगा। सुबह पांच बजे से ही मंदिर का पट खोल दिए गए है। इन दोनों ही मन्दिर की मान्यता है की यहां पूजा करने से भक्तो को सुख शांति यश और वैभव ही प्राप्ति होती है। हार बिगड़ा हुआ काम बन जाता है।
Hanuman janmotsav: श्री हनुमान जन्मोत्सव पर शहर के हनुमान मंदिरों में विशेष सजावट की गई है। शनिवार को मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तो ने हनुमानजी का विशेष श्रृंगार कर उन्हें सिंदूर अर्पित किया। लखनऊ विश्वविद्यालय मार्ग स्थित हनुमान सेतु मंदिर में शुक्रवार से ही अखंड रामायण पाठ चल रहा है। सुबह दस बजे से जवाहर भवन के चित्रगुप्त मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन और शाम पांच से सात बजे शोभायात्रा निकलेगी।
Lucknow अलीगंज प्राचीन मन्दिर का इतिहास
मन्दिर के महंत गोपालदास ने प्राचीन मंदिर के इतिहास के बारे में बताते है, कि मंदिर कितना पुराना है, यह बता पाना संभव नहीं है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम लंका जीत ने बाद जब अयोध्या लौटने के बाद सीता जी को त्याग दिया और जिसके बाद लक्ष्मण जी और हनुमान जी माता सीता को लेकर कानपुर जिले के बिठूर, जहां वाल्मीकि आश्रम था, उसके लिए प्रस्थान किया।
वाल्मीकि आश्रम जाते वक्त रास्ते में जब काफी अंधेरा हो गया था, तो मां सीता यहीं पर विश्राम करने के लिए लक्ष्मण और हनुमान संग आईं थीं, लेकिन लक्ष्मण जी गोमती के उस पार अयोध्या राज्य की चौकी में विश्राम करने चले गए, किन्तु सीता जी नहीं गईं। उनका मानना था कि वह राजभवन की सीमा में नहीं जाएंगी, और इसी बाग में रूक गईं, जहां हनुमान जी रात भर उनका पहरा देते रहे, दूसरी सुबह माता सीता ने यहां से वाल्मीकि आश्रम को प्रस्थान किया था
Lucknow हनुमान सेतु मन्दिर का इतिहास
गोमती में 1960 में बाढ़ के बाद बाबा की तपोस्थली व पुराने मन्दिर के पास रहने वालों से स्थान छोड़ने को कहा गया। खतरे को देखते हुए सभी ने जमीन खाली कर दी। लेकिन बाबा नीब करौरी नहीं गए। कुछ समय बाद सरकार ने पुल का निर्माण शुरू कर दिया। 1960 में बाबा नीम करौली जो सिद्ध संत थे। भक्त बताते हैं कि बाबा की बगैर अनुमति के पुल बन रहा था, इसलिए पुल बनने में बाधाएं आने लगी।
लोगों की राय पर बिल्डर ने बाबा के चरणों में गिर पड़ा और उपाय पूछा तो बाबा ने कहा कि पहले हनुमान जी का मन्दिर बनाओ उसके बाद ही पुल का निर्माण करो। बिल्डर ने पहले मन्दिर बनवाया बाद में पूल का निर्माण शुरु किया। बाद में 1967 में बाबा नीम करौली ने मूर्ति को वहां पर स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा किया। 26 जनवरी 1967 को मन्दिर का शुभारम्भ हुआ।