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सड़कें खोद कर केबिल डालने के मामले में हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर आयुक्त से पूछा है कि प्राइवेट ऑपरेटरों को सड़कें खोद कर केबिल डालने की अनुमति किस नियम के आधीन दी जाती है।
विधि संवाददाता
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर आयुक्त से पूछा है कि प्राइवेट ऑपरेटरों को सड़कें खोद कर केबिल डालने की अनुमति किस नियम के आधीन दी जाती है।
कोर्ट ने कहा कि क्या उसने किसी आपरेटर को इस प्रकार की कोई अनुमति दी है और यदि दी है तो किन शर्तों के तहत दी है। कोर्ट ने मामले की अग्रिम सुनवाई 19 जुलाई को लगाते हुए, नगर आयुक्त को शपथ पत्र दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है।
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यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने साफ-सफाई के विषय पर स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गयी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के पूर्व के आदेश के अनुपालन में नगर आयुक्त कोर्ट में मौजूद रहे। कोर्ट ने उनसे पूछा कि किस कानून के तहत प्राइवेट ऑपरेटरों को सड़कें खोद कर केबिल डालने की अनुमति दी जाती है।
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि यदि नगर निगम प्राइवेट ऑपरेटरों को अनुमति देता है तो उसकी शर्तें क्या होती हैं और क्या सड़कें खोदने के बाद प्राइवेट ऑपरेटरों पर किसी प्रकार का कोई दायित्व भी होता है।
कोर्ट ने नगर आयुक्त को इस सम्बंध में आवश्यक दस्तावेजों के साथ हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने 22 मई के आदेश के अनुपालन में भी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
22 मई को कोर्ट ने पॉलीथिन व आवारा पशुओं की समस्या से निजात के लिए कदम उठाने के आदेश दिये थे। कोर्ट ने शहर की साफ-सफाई का रोड मैप भी तलब किया था।
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