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सावधान! लखनऊ के मेडिकल कॉलेज की इस कैंटीन का खाना आपको दे सकता है मौत

Gagan D Mishra
Published on: 30 Nov 2017 1:52 PM
सावधान! लखनऊ के मेडिकल कॉलेज की इस कैंटीन का खाना आपको दे सकता है मौत
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सावधान ! लखनऊ के मेडिकल कॉलेज की इस कैंटीन का खाना आपको दे सकता है मौत

अमित यादव

लखनऊ: देश के 10 संस्थानों में से एक यूपी की राजधानी का केजीएमयू शुमार है। दूर-दराज से लोग यहां पर इलाज के लिए आते हैं। सीरियस कंडीशन से लेकर साधारण केस का उपचार रोजाना केजीएमयू में होता है, लेकिन यहां पर पीड़ितों को राहत देने के बजाय उनको कैंटीन में संक्रमित खाना परोसा जाता है। मेडिकल के छात्रों से लेकर मरीज और उनके तीमानदार इसके शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा कैंटीन में वाटर कूलर से लेकर बाथरूम का हाल बहुत बुरा है। जी हां, चौकिए मत हम बात कर रहे हैं केजीएमयू ट्रामा सेंटर के पीछे वाली 1905 कैंटीन की।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रामा सेंटर के पीछे बनी 1905 की कैंटीन मेडिकल छात्रों के लिए मौत बनकर मडरा रही है। 3 साल पहले केजीएमयू के पूर्व कुलपति डॉक्टर रवि कांत ने मेडिकल छात्रों और मरीज के तीमारदारों को कैंटीन सौगात के तौर पर दिया था। समय बीतने के साथ ही आज 1905 की कैंटीन बदहाली का शिकार हो गई है। बाथरूम और किचन का हाल खस्ता है। कढ़ाई और बर्तन ठीक तरीके से साफ नहीं किए जाते हैं। सिर्फ पानी से धो दिए जाते हैं।

पीने के लिए लगा 3 साल पुराना वाटर कूलर आज पानी के साथ मुरचा भी फेंकता है। कई बार मेडिकल छात्रों ने इस कैंटीन की अव्यवस्था को लेकर कैंटीन संचालक और ट्रामा प्रभारी के ऊपर उंगलियां भी उठाया है, लेकिन उन मेडिकल छात्रों को शांत करा दिया गया।

संवाददाता के कैंटीन में पहुंचने के बाद जब कैंटीन संचालक से बात हुई तो कैंटीन संचालक अपना दुखड़ा रोने लगा और कहने लगा कि हमारे द्वारा 50,000 रुपये प्रतिमाह केजीएमयू प्रशासन को किराया दिया जाता है। साफ-सफाई, पीने का पानी और शौचालय की व्यवस्था ट्रामा के प्रभारी हैदर अब्बास देखते हैं। कई बार चिट्ठी लिखने के बाद भी हैदर अब्बास की आंखें नहीं खुली। मासूम मेडिकल के छात्रों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ तो हो ही रहा है साथ ही उनके खाने पीने में भी दिक्कत है।

कौशल इंटरप्राइजेज के नाम से हैं टेंडर

कैंटीन के इंचार्ज हरनाम सिंह ने बताया कि 5 मार्च 2015 से हम इस कैंटीन को चला रहे हैं। हर महीने तय किराया देते हैं। 5 वर्ष के लिए हमारा टेंडर है। कागज में कौशल इंटरप्राइजेज के नाम से कैंटीन है। उन्होंने बताया कि हम दो लोग मिलकर कैंटीन का संचालन करते हैं। साथी व्यक्ति का नाम अनुपम द्विवेदी है। अभी 2 साल के लिए हमारे पास कैंटीन चलाने की परमिशन है। उन्होंने बताया कि वाटर कूलर खराब की शिकायत कई बार ट्रामा प्रभारी डॉ हैदर अब्बास से कर चुके हैं लेकिन अभी तक राहत नहीं मिली है। वाटर कूलर जर्जर स्थिति में है। केवल उसके एक ही टोटी में पानी आता है। वो भी बहुत मुश्किल से।

जीएसटी के झोल में पेंच फंसा

कैंटीन के इंचार्ज हरनाम का कहना है कि पिछले 3 महीने से कैंटीन का किराया जीएसटी क चक्कर में उलझा है। अभी तक हमको यह नहीं पता है कि अब कितना किराया देना है।

बाथरूम का हाल बुरा

कैंटीन के बाथरूम का हाल किसी से भी छुपा नहीं है। यहां अंदर सफाई नहीं है।

किचन में दिखी गंदगी

1905 कैंटीन के किचन में भी बहुत गंदगियां हैं। जहां पर खाना बन रहा है वहीं पर कूड़ेदान लगा हुआ है। मौके पर किचन गंदा मिला है। बर्तनों का तो हाल बुरा है। वे पूरे काले हो चुके हैं और इसी बर्तन में खाना बनता है और परोसा जाता है। छात्र से लेकर मरीज और उनके परिजन इसके शिकार हो रहे हैं।

Gagan D Mishra

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