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Lucknow KGMU: 250 से अधिक डॉक्टरों ने काला फीता बांधकर जताया विरोध, नहीं मिल रही 7वें वेतनमान सहित ये सुविधाएं
Lucknow News: केजीएमयू के समस्त शिक्षकों द्वारा सोमवार को काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन किया गया, जो मांगें पूरी न होने पर 5 सितंबर, 2022 तक जारी रहेगा।
Lucknow News: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) अधिनियम व परिनियमावली में सरकार द्वारा प्रावधान किए जाने के बावजूद, प्राशासनिक उदासीनता के कारण केजीएमयू के शिक्षकों को एसजीपीजीआई (SGPGI) के समान वेतन, पेमेट्रिक्स एवं ग्रेजुयटी जैसे सेवानिवृत्तिक लाभ नहीं दिया जा रहा है।
इसके मद्देनजर, केजीएमयू (KGMU) के समस्त शिक्षकों द्वारा सोमवार को काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन किया गया, जो मांगें पूरी न होने पर 5 सितंबर, 2022 तक जारी रहेगा। इसके बाद 7 सितंबर, 2022 को आम सभा की बैठक बुलाकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। शिक्षकों की वाजिब मांगों के संदर्भ में शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने कुलपति से उनके कार्यालय में भेंट की और काला फीता बांधने का अनुरोध किया। कुलपति ने प्रशासनिक कारणों से फीता बांधने में असमर्थता व्यक्त की, लेकिन हमारी मांगों को शासन से पैरवी करके पूरा कराने का आश्वासन दिया।
23 जुलाई को हुई बैठक में लिया गया था निर्णय
गौरतलब है कि केजीएमयू में 23 जुलाई, 2022 को डॉ. के.के. सिंह (Dr. KK Singh) की अध्यक्षता में केजीएमयू शिक्षक संघ की बैठक (KGMU Teachers Union Meeting) में 250 से अधिक चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया था। संघ की आम सभा में सातवें वेतनमान के हिसाब से सैलरी न मिलने का मुद्दा उठा था। केजीएमयू शिक्षक संघ (KGMU Teachers Union) के अध्यक्ष डॉ के.के. सिंह (President KK Singh) ने बताया था कि 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी संसोधित पे मैट्रिक्स एवं सेवानिवृत्तिक लाभ आदि के आदेश एसजीपीजीआई व राम मनोहर लोहिया हेतु जारी किए जा चुके हैं, किंतु केजीएमयू के शिक्षकों हेतु अभी तक जारी नहीं किए गया है।
शिक्षकों को नहीं मिल पा रहीं ये सुविधाएं
महासचिव डॉ संतोष कुमार (Secretary General Dr. Santosh Kumar) के मुताबिक, प्रशासनिक उदासीनता के कारण वैधानिक मांगे पूरी करने में अनावश्यक विलम्ब पर शिक्षकों द्वारा अपनी नाराजगी जाहिर की गयी। इसमें से वाहन भत्ता, अर्जित अवकाश, प्रोन्नति की अर्हता तिथि से वेतन, चिकित्सीय सुविधाएं व बैंक सम्बंधित समस्याएं आदि का समाधान विश्वविद्यालय स्तर से ही सम्भव है और शेष शासन स्तर से लचर पैरवी के कारण लम्बित है।