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Lucknow: महिलाओं एवं पुरुषों में आम वॉइडिंग डिसफंक्शन की समस्या, सुने मेदांता हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों को

Lucknow Medanta Hospital: वहीं मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. ए.के. ठाकर ने पहले 24 घंटे स्ट्रोक के विषय पर चर्चा की और किडनी एवं यूरोलॉजी संस्थान के डायरेक्टर डॉ. मयंक मोहन अग्रवाल ने वॉइडिंग डिसफंक्शन विषय पर अपने विचार रखे।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 4 Jun 2022 9:16 PM IST
Lucknow Medanta Hospital
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Lucknow Medanta Hospital: शनिवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से रिवर बैंक कालोनी के आईएमए भवन में मेदांता हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ एक इंटरेक्टिव सेशन का आयोजन किया गया। इसमें मेदांता हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. आर के शर्मा ने क्रोनिक किडनी डिजीज एवं हाइपरटेंशन मैनेजमेंट विषय पर बोला। वहीं मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. ए.के. ठाकर ने पहले 24 घंटे स्ट्रोक के विषय पर चर्चा की और किडनी एवं यूरोलॉजी संस्थान के डायरेक्टर डॉ. मयंक मोहन अग्रवाल ने वॉइडिंग डिसफंक्शन विषय पर अपने विचार रखे।

ब्रेन स्ट्रोक के मरीज़ की जान पहले 16-24 घण्टे में बचाई जा सकती

इंटरेक्टिव सेशन के दौरान मेदांता लखनऊ के न्यूरोलॉजी के निदेशक डॉ ए.के. ठाकर ने पहले 24 घंटे स्ट्रोक के विषय पर चर्चा की। डॉ ठाकर ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित मरीज की जान स्ट्रोक के 16-24 घंटे के दौरान तक बचाई जा सकती है। स्ट्रोक में 16-24 घंटे में यदि मरीज अस्पताल में पहुंचते हैं, तो थ्रांबेक्टॉमी से इलाज किया जा सकता है। थ्रंबोक्टॉमी नाम की तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें पैर के नस से एक कैथेटर को दिमाग के उस हिस्से में पहुंचाया जाता है, जहां रक्त का थक्का जमा हुआ है। उसके बाद उसे कैथेटर के जरिए वहां से निकाल लिया जाता है।

नमक और तेल के कम इस्तेमाल से इन बीमारियों से बचेंगे

डॉ आर के शर्मा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष भारत में तकरीबन 2 लाख 20 हजार मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है और इन्हें डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। वहीं क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) मामलों में से लगभग 60 से 70 प्रतिशत मामले डायबिटीज और हाइपरटेंशन के कारण होते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि समय पर किडनी की बीमारियों का पता न लगने पर कुछ महीने या फिर साल बाद यह एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। जिसके चलते किडनी प्रत्यारोपरण की स्थिति मरीज के सामने पैदा हो जाती है। इसके अलावा उन्होंने जानकारी दी कि नमक और तेल के कम इस्तेमाल से सिर्फ हाइपरटेंशन या किडनी की बीमारियां ही नहीं, बल्कि डायबिटीज और मोटापे जैसी गंभीर समस्याओं से भी आराम मिलता है। इसलिए आप सभी को यह सलाह दी जाती है कि रोजाना की डाइट में कम से कम नमक का सेवन करें और घर की महिलाओं को नमक के सीमित उपयोग के बारे में जागरूक करें।

महिलाओं व पुरुषों दोनों को वॉइडिंग डिसफंक्शन से परेशानी

किडनी एवं यूरोलॉजी संस्थान के डायरेक्टर डॉ. मयंक मोहन अग्रवाल ने वॉइडिंग डिसफंक्शन विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं एवं पुरुषों में वॉइडिंग डिसफंक्शन एक आम समस्या है, लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है, शायद शर्मिंदगी के कारण या इसे सामान्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक हिस्सा मानने के कारण। हालांकि, यह महिलाओं के जीवन पर भी काफी प्रभाव डालता है। महिलाओं में वॉयडिंग डिसफंक्शन का निदान काफी चुनौतीपूर्ण है। चिकित्सकों को इस स्थिति के निदान के लिए जांच के परिणामों पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि वॉयडिंग डिसफंक्शन तब होता है जब मूत्र भरने और खाली करने में असामान्यताएं होती हैं। हालांकि यह समस्या महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित कर सकती है।



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