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वाह रे नगर निगम! जब आयुक्त के आदेश ही रद्दी की टोकरी में, बाकियों का तो...
लखनऊ: एक तरफ स्वच्छता सर्वे में लखनऊ को अच्छी रेटिंग दिलाने के लिए जोर-शोर से विज्ञापन किए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर अधिकारियों ने नगर आयुक्त के आदेश को ही रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। अब चर्चा है कि जब निगमकर्मी जब आयुक्त का आदेश ही नहीं मानते, तो बाकी अधिकारियों को क्या जवाब देते होंगे। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि नगर निगम के कर्मचारी अब सिर्फ कर्मचारी नेताओं की ही बात मानते हैं और किसी की नहीं।
यह आदेश नहीं माना गया
नगर आयुक्त की ओर से यह आदेश जारी किया गया था, कि काम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों की सूची बनाई जाए। उसी आधार पर उन पर करवाई की जाए। इसमें यह भी था कि जिन कर्मियों पर दो बार से ज्यादा अनुशासनात्मक करवाई हो चुकी है, उनकी छंटनी की जाए। साथ ही, 50 की उम्र पार कर चुके अकर्मण्य कर्मचारियों की भी छंटनी की जाए। निगम के अधिकारियों ने ऐसे 100 से ज्यादा कर्मचारियों की सूची बना भी ली थी, लेकिन उसे कर्मचारी नेताओं के दबाव में डंप कर दिया गया।
17 फरवरी को होने हैं कर्मचारी संघ के चुनाव
बता दें, कि 17 फरवरी को कर्मचारी संघ के चुनाव होने हैं। ऐसे में कर्मचारियों पर कोई करवाई की गई, तो बवाल मच सकता है। इसलिए सूची जारी नहीं की गई।लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि आखिर नगर आयुक्त के आदेश का अब क्या होगा?
घोटाले खुलने का डर
नगर निगम के सूत्रों की मानें, तो यदि कर्मचारियों की छंटनी होती है तो नाराज कर्मचारी कई घोटालों की पोल खोल सकते हैं, जो नगर निगम के सामने नई मुसीबत खड़ी कर देगा। इसलिए आनन-फानन में इस आदेश को रद्द कर दिया गया। निगम के कर्मचारी इसे अपनी जीत मान रहे हैं।