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रिहायशी इलाकों में कामर्शियल गतिविधियों पर नाराज है कोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर निगम व अन्य संबधित विभागों द्वारा शहर के रिहायशी इलाकों में बैंकिग, नर्सिग और अन्य किसी प्रकार की कामर्शियल गतिविधियों केा रेाकने के लिए उठायें गये कदमों की जानकारी न देने पर शुक्रवार को नाराजगी जतायी ।
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर निगम व अन्य संबधित विभागों द्वारा शहर के रिहायशी इलाकों में बैंकिग, नर्सिग और अन्य किसी प्रकार की कामर्शियल गतिविधियों केा रेाकने के लिए उठायें गये कदमों की जानकारी न देने पर शुक्रवार को नाराजगी जतायी । कोर्ट ने इन विभागों केा चेताया कि यदि अगले छः हप्ते में यह जानकारी नहीं प्रदान की जाती है तो जिम्मेदारों के खिलाफ उचित कार्यवाही की जायेगी।
यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने निशातगंज रेजीडेंटस वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से 2001 में दाखिल एक विचाराधीन याचिका पर शुक्रवार को सुनवायी करते हुए पारित किया। याचिका में शहर में विभिन्न जगहों पर अतिक्रमण के चलते होने वाली परेशानी का मुददा उठाया गया है।
29 मार्च केा सुनवायी के दौरान याची के वकील बीके सिंह ने केार्ट को बताया था कि 2002 में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आरके मित्तल के केस में आदेश दिया था कि यूपी के किसी भी जिले में रिहायश के लिए चिन्हित इलाकों में केाई भी वाणिज्यिक या औद्योगिम गतिविधियां नहीं संचालित की जा सकती हैं।
कहा गया कि इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गयी थी जिस पर उसने अंतरिम आदेश के तहत हाई केार्ट के आदेश पर फैारी रेाक लगा दी थी। सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका को 5 दिसम्बर 2011 को निस्तारित करते हुए फैसले के पैराग्राफ 74 में स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि रिहायशी इलाकेंा में बैंकिग, नर्सिग और अन्य किसी प्रकार की कामर्शियल गतिविधियां नहीं चलायी जा सकती है। सिंह ने कहा कि अब जबकि सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश आ गया है तो ऐसे में नगर निगम व अन्य विभागों को सख्ती से कार्य करना चाहिए जबकि ये विभाग आंख मूंदे बैठे हैं और शहर इलाकेां में इस प्रकार की गतिविधियां धड़ल्ले से चल रहीं है।
इस पर केार्ट ने पिछली सुनवायी पर ही विपक्षीगणेां को एक महीने में अपना जवाब देने का आदेश दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में वे क्या कर रहें है। किन्तु शुक्रवार को जब सुनवायी का समय आया तो सरकारी वकील ने जवाब देने के लिए और समय की मांग की । जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी और कहा कि यदि अगली सुनवायी पर जवाब नही ं आता तो जिम्मेदार विभागों के खिलाफ उचित कार्यवाही की जायेगी।
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