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Devarhwa Baba Special: काव्य संगोष्ठी के माध्यम से दिया श्रद्धांजलि, माना प्रकृति और गौ सेवा को परम धर्म
Devarhwa Baba Special: भारत पावन भूमि पर संतों और श्रद्धालुओं के आत्मिक संबंधों की प्राचीन परंपरा रही है।
Devarhwa Baba Special: भारत पावन भूमि पर संतों और श्रद्धालुओं के आत्मिक संबंधों की प्राचीन परंपरा रही है। दैहिक दैविक वैदिक शक्ति के सन्यासी "बाबा देवरहा"। देवरिया प्रांत से वैदिक शक्तियों को अपनाकर विश्व कल्याण के लिए समर्पित रहे योगिनी एकादशी 19 जून 1990 को यमुना के तट पर वृंदावन में उनका महाप्राण हुआ परम योगी तपस्वी "देवरहा बाबा" जी को श्रद्धांजलि समर्पित करने के लिए एक काव्य गोष्ठी का आयोजन मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट विराट कवयित्री परिवार के द्वारा किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में अतर सिंह प्रेमी जी उपस्थित रहे उन्होंने कहा मानवीय मूल्यों की अद्भुत प्रेरणा हमें बाबा जी के द्वारा प्राप्त होती है। प्रकृति और गौ सेवा ही परम धर्म है यही बाबा का परम ज्ञान है जिसे हम सभी को आत्मसात करना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में प्रशासनिक सेवा प्रदाता ,गौ रक्षक मानवीय गुणों के संवाहक देवराहा बाबा के अनन्य सेवक आदरणीय ऋषिकेश पांडे जी उपस्थित रहे। पांडे ने कहा यह गौ माता की कृपा का ही परिणाम था कि जब घर घर में गाय पाली जाती थी ।सोने के सिक्के भारत में प्रचलित थे और जैसे-जैसे गायों का पतन होता गया ,वह स्वर्ण भी कहीं लुप्त होता गया। देवदूत महात्मा दुखों को अपने में समेट लेते हैं और खुशियों का विस्तार करते हैं जैसे वृक्ष हमें धूप बरसात ताप से बचाते हैं और शीतल वायु प्रदान करते हैं।
बाबा का एकमात्र संदेश गौ रक्षा और प्रकृति रक्षा ही था जिसे अपनाकर ही भारत अपना खोया हुआ गौरव पुनः प्राप्त कर सकता है।गोबर और गोमूत्र से बंजर भूमि भी उपजाऊ बन जाती है। हम अपने मेहनत से कमाए गए धन का व्यय केमिकल से युक्त रसायन में ना करके गोपालन करें गौमाता जहां निवास करती हैं। वहां ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है और टॉक्सिंस को गौ माता के शरीर से निकलने वाली ऊर्जा स्वता ही नष्ट कर देती है।
कार्यक्रम मे काशी नगरी की पावन धरा से आचार्य विपिन बिहारी जी महाराज जी के मंत्र उच्चारण से कार्यक्रम की सुंदर शुरुआत हुई। कार्यक्रम में संतोष सिंह हसौर जी ने सुंदर वाणी वंदना प्रस्तुत की तत्पश्चात दिलीप सिंह परमार जी ने "पेड़ लता पशु अपनी पीड़ा बाबा से कहते थे, जल पर बाबा चल लेते थे गंगा तट पर रहते थे"। मनमोहक रचना के द्वारा बाबा को श्रद्धांजलि समर्पित की, कार्यक्रम में, संतोष सिंह, ने "पूजिला चरण हम तोहार हे देवराहा बाबा सुनाकर बाबा को श्रद्धांजलि समर्पित की, प्रभु जी मेरी लागी लगन मत तोड़ना के सुंदर भाव से सुधा द्विवेदी ने अपने श्रद्धा सुमन बाबा को समर्पित किए,
"दुनिया में देव हजारों है देवराहा बाबा का क्या कहना" सुंदर भावों से रजनी वर्मा जी ने देवराहा बाबा जी को शब्द श्रद्धांजलि समर्पित की,"मुझे कोई प्रेम की डगर बता दे मुझे कोई सत मार्ग बतला दे मेरा आगम निगम मिटा दे" सुनाते हुए आशा श्रीवास्तव ने बाबा को शब्द सुमन समर्पित किए। गौमाता है परम पूज्य पाप हारिणी सुनाते हुए डॉ मीना कुमारी परिहार जी ने बाबा को शब्द श्रद्धांजलि समर्पित की," मात तुल्य है गाय हमारी" गौ माता की स्तुति के द्वारा गायत्री ठाकुर सक्षम ने शब्द सुमन समर्पित किए,"इस धरती मां ने जाने कितने पुत्र दिए देवराहा बाबा के रूप में पुत्र एक अनमोल दिए," सुनाते हुए रीमा ठाकुर ने भाव भरे शब्द सुमन बाबा को समर्पित किए।
"बड़े जतन से रखना चुनरिया बाबुल की ,भाल संभाल के रखना चुनरिया बाबुल की"सुंदर शब्दों में सहेज कर सुजाता प्रियम ने बाबा को शब्द सुमन समर्पित किए, कार्यक्रम में देश विदेश के प्रतिष्ठित कलम साधक, बाबा के भक्त, और श्रोता गण सम्मिलित रहे, कार्यक्रम में गीता पांडे अपराजिता ,चंद्रकला भागीरथी, दिलीप सिंह परमार, डॉ सुषमा तिवारी ,वंदना खरे,सुधा द्विवेदी, श्रीमती रीमा ठाकुर, रजनी वर्मा, चंद्र प्रकाश गुप्त चंद्र, नीलू सक्सेना,आशा श्रीवास्तव, डॉ मीना कुमारी परिहार, वीना आडवाणी, अरुणा केवरा यदु मीरा, सुजाता प्रिय समृद्धि, डॉ अंजु गोयल ,डॉ निधि गुप्ता, संगीता शर्मा कुंद्रा ,गायत्री ठाकुर सक्षम, कविता मोटवानी, चंदा देवी स्वर्णकार, डॉ नैना अरविंद,वह नोएडा से डॉ अर्पिता अग्रवाल, उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम को वरिष्ठ साहित्यकार ओज कवि आदरणीय चंद्र प्रकाश चंद्र व साधना मिश्रा विंध्य जी ने कुशल संचालन के द्वारा भव्यता प्रदान की कार्यक्रम की समाप्ति पर साधना मिश्रा विंध्य ने अपनी रचना शब्द श्रद्धांजलि के रूप में बाबा को समर्पित की "देवराहा बाबा नाम अपारा ,जन्म मृत्यु का पार न पाया। मचान आसन बैठे पाया, दिव्य ज्ञान को शीश नवाया।"भारत मां को वंदन नमन करते हुए आज कवि चंद्र प्रकाश चंद्र ने सुंदर भूमि वंदना प्रस्तुत की कार्यक्रम की समाप्ति आदरणीया विद्या शुक्ला के भक्ति मय भजन के साथ हुई। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष अतर सिंह प्रेमी ने व संयोजक साधना मिश्रा विंध्य ने सभी का आभार व्यक्त किया जय बाबा के उद्घोष के साथ कार्यक्रम का सुंदर समापन हुआ।