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हिंदी में बीटेक की पढ़ाई करने वाला पहला विश्वविद्यालय है AKTU, राज्यपाल बोलीं- पारंपरिक खेल का हो आयोजन

Lucknow: रविवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के 22 वर्ष पूरे होने के मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि हर विश्विद्यालय में बरगद का पेड़ होना चाहिए। परंपरागत खेल होने चाहिए। जिससे लोगों के अंदर बचपन जीवित रहे।

Shashwat Mishra
Report Shashwat MishraPublished By Deepak Kumar
Published on: 8 May 2022 5:53 PM IST
Lucknow News in Hindi
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आईईटी के नवनिर्मित उत्तरी द्वार का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल।

Lucknow: हर विश्विद्यालय में बरगद का पेड़ होना चाहिए। परंपरागत खेल होने चाहिए। जिससे लोगों के अंदर बचपन जीवित रहे। यह बातें रविवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के 22 वर्ष पूरे होने के मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची सहकुलाधिपति आनंदी बेन पटेल (Anandiben Patel) ने मातृ दिवस के दिन महिलाओं की भागीदारी पर बात की। कहा कि पुरुष और महिला को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने विश्वविद्यालय के भविष्य पर भी अपने विचार रखे।

हिंदी में बीटेक की पढ़ाई कराने वाला पहला विश्विद्यालय

बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में शामिल प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल (Technical Education Minister Ashish Patel) ने एकेटीयू के 22 वर्षीय यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस 22 साल में विश्वविद्यालय ने बहुत से उतार-चढ़ाव को देखते हुए तकनीकी शिक्षा के विकास में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय न केवल तकनीकी शिक्षा बल्कि उद्यमिता, नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ाने में भी अपनी भूमिका निभा रहा है। हिन्दी में बीटेक की पढ़ाई करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। इस विश्वविद्यालय से जुड़े जितने कालेज हैं, उन्होंने अपने यहां अपने स्रोतों से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की न्यूनतम एक छात्रा को पढ़ाने की पहल की है।


उत्तरी द्वार का किया अनावरण

इसके पहले राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) से आईईटी के नवनिर्मित उत्तरी द्वार का उद्घाटन किया।

विश्वविद्यालयों में होंगे परंपरागत खेल

इस मौके पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने कहा कि हम अपने पारंपरिक खेलों से दूर हो गये हैं। जबकि ये खेल हमें एक-दूसरे से जुड़ने का मौका देते थे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पारंपरिक खेल जैसे, कबड्डी, खो-खो, लट्टू, गिल्ली डंडा का, लंगड़ी का आयोजन किया जाएगा। जिसमें छात्र से लेकर अध्यापकों तक की भागीदारी होगी। उन्होंने कहा कि हर विश्वविद्यालय परिसर में बरगद का पेड़ लगाना चाहिए।

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