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Lucknow: डॉ गीता खन्ना ने कहा- 'समय पर आईवीएफ अपनाएं, बांझपन से छुटकारा पाएं'

IVF Session: 'होप- 22 बांझपन और हाई रिस्क प्रेगनेंसी विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। इसमें देशभर से आए विशेषज्ञों ने विचार रखे। डॉ. गीता खन्ना ने सत्र को संबोधित करते हुए महत्वपूर्ण बातें बतायी।

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Newstrack Network
Published on: 4 Sept 2022 7:05 PM IST
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लखनऊ में 'होप-22 बांझपन और हाई रिस्क प्रेगनेंसी' कार्यशाला

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Workshop on IVF in Lucknow: समय पर आईवीएफ (IVF) उपचार और आईवीएफ विशेषज्ञ (IVF Specialist) का चयन बांझपन (Infertility) से निजात दिलाने का सबसे सटीक उपाय है। ये बातें आईवीएफ विशेषज्ञ और अजंता अस्पताल तथा आईवीएफ केंद्र की निदेशक डॉ. गीता खन्ना (Dr. Geeta Khanna) ने कही। उनका दावा है कि उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था को संभालना बड़ी चुनौती होती है। उन्होंने कहा, 'आईवीएफ एक ज्ञात तकनीक है, लेकिन समय पर आईवीएफ उपचार और आईवीएफ विशेषज्ञ का चयन तथा देखभाल के बाद समय की जरूरत है।

डॉ. गीता खन्ना (Dr. Geeta Khanna) ने ये बातें रविवार को लखनऊ के होटल में आयोजित शैक्षणिक सत्र 'होप- 22-बांझपन और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था' को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने ये भी कहा, कि निदान और उपचार की योजना बनाने के लिए हर बांझ रोगी को कम से कम समय में न्यूनतम संभव परीक्षणों के अधीन किया जाना चाहिए। क्योंकि, जोड़े की बढ़ती उम्र सफलता का एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्धारक है।

तनाव कम कर शुक्राणु बेहतर किया जा सकता

डॉ. गीता खन्ना ने कहा, 'डिम्बग्रंथि प्रोटोकॉल का सावधानीपूर्वक चयन तथा 'प्रोजेस्टेरोन प्राइमेड ओव्यूलेशन' का उपयोग कम लागत वाले आईवीएफ में योगदान देता है। यह सभी के लिए बजट के अंदर रहता है। आईवीएफ-आईसीएसआई (IVF-ICSI) में उपयोग किए जाने वाली नई तकनीकों का उपयोग कर और शुक्राणु डीएनए विखंडन को कम करने के लिए तनाव को कम करके बेहतर बनाया जा सकता है।'


बार-बार IVF विफलता पर जांच कराएं

अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI) अभी भी गर्भावस्था प्राप्त करने में अपना महत्व रखता है। इसे जरूरतमंद व्यक्ति IVF के रूप में भी जाना जाता है। बार-बार आईवीएफ विफलता या बार-बार गर्भपात होने पर प्रति रक्षात्मक कारणों के लिए खुद की जांच करवाएं।

ऐसे मामले बड़ी चुनौती

सत्र के दौरान चर्चा की गई कि गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में एक कुशल सोनोलॉजिस्ट और भ्रूण चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा अल्ट्रासाउंड, टेस्ट गर्भावस्था को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों ने उल्लेख किया कि ये मामले एक बड़ी चुनौती हैं। इन्हें बचाने के लिए कुशल देखभाल की आवश्यकता है।

सत्र में 300 से अधिक स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हुए

दिन भर चले सत्र के दौरान देश भर के दौरान 300 से अधिक स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस दौरान प्रमुख वक्ताओं में गंगा राम अस्पताल की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ.आभा मजूमदार, इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. केडी नायर, महासचिव डॉ.सुरवीन घूमन, डॉ. पंकज तलवार, डॉ. कुलदीप जैन, डॉ. कुलदीप सिंह, दिल्‍ली से प्रोफेसर सोनिया मलिक, त्रिची से डॉ. रमानी देवी, पुणे से डॉ. गिरिजा वाघ, नागपुर से डॉ. सुषमा देशमुख, जानी मानी शिक्षिका प्रोफेसर चंद्रावती और प्रोफेसर मीरा अग्निहोत्री शामिल रहीं। इस अकादमिक सत्र को आईएफएस, लॉग्स का सहयोग हासिल रहा और आईसीओजी का समर्थन भी जिसमें सभी प्रतिभागियों का बांझ रोगियों को गुणवत्ता और नवीनतम देखभाल प्रदान करने में ज्ञानवर्धन हुआ।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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