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Dussehri Mango: जल्द गायब हो जाएगी दशहरी की मिठास, जल्दी ले लें स्वाद

दशहरी का पहला पेड़ लखनऊ के काकोरी स्टेटशन से सटे दशहरी गांव में लगाया गया था। इसी गांव के नाम पर इसका नाम दशहरी आम पड़ा।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shashi kant gautam
Published on: 11 Jun 2021 7:07 AM GMT
Dussehri mango is the identity of Lucknow
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दशहरी आम लखनऊ की पहचान है: फोटो- सोशल मीडिया  

लखनऊ: वैश्विक महामारी के बीच मलिहाबादी दशहरी आम ने इस बार काफी इंतजार कराया। लेकिन शौकीनों को उस समय बहुत निराशा हुई जो इसकी खुशबू और मिठास के मुरीद थे। मार्केट में मलिहाबादी आम तो आ रहा है लेकिन उसमें न तो वह खुशबू है न ही स्वाद।

ये तो सभी को पता है कि दशहरी आम लखनऊ की पहचान है। यूपी के बाहर कहीं इसका उत्पादन भी नहीं होता है। हर साल करीब 20 लाख टन दशहरी आम पैदा होता है। दशहरी नाम पड़ने के पीछे बागवान बताते हैं कि, दशहरी का पहला पेड़ लखनऊ के काकोरी स्टेटशन से सटे दशहरी गांव में लगाया गया था। इसी गांव के नाम पर इसका नाम दशहरी आम पड़ा। बताया जाता है कि वह पेड़ आज भी मौजूद है, जिस पर पहला दशहरी आम आया था। इस पेड़ की उम्र करीब 200 साल हो चुकी है। इसे 'मदर ऑफ मैंगो ट्री' कहा जाता है।

उत्तर प्रदेश में हर साल करीब 20 लाख टन दशहरी आम पैदा होता है: फोटो- सोशल मीडिया

इस बार दशहरी घाटे का सौदा साबित हो रही

बागवानों के लिए भी इस बार दशहरी घाटे का सौदा साबित हो रही है क्योंकि उन्हें लागत नहीं निकल रही है। वजह यह है कि इस बार आए दो दो चक्रवाती तूफानों से मलिहाबादी की 25 फीसदी फसल तो सीधे बर्बाद हो गई और 25 फीसदी फसल खराब हो गई। लॉकडाउन के असर से जो आम बाजार में आया उसका ग्राहक नहीं मिला। इसके चलते बागवानों को मात्र 10,12 रुपये किलो पर आम बेचना पड़ गया। दशहरी की महक और मिठास के चलते सात समुंदर पार भी इसकी डिमांड रहती है। कुछ बड़े बागवानों ने इंग्लैंड, सउदी अरब, कतर, दुबई, इजाराइल, तुर्क, जापान समेत कई देशों के आर्डर बुक किये लेकिन माल भेजने में दिक्कत आ रही है। खाड़ी देशों को आम की एक बड़ी खेप भेजी गई है।

कोरोना कर्फ्यू में ढील से उम्मीद बढ़ी

दुबग्गामंडी में जो आम आया है उसकी क्वालिटी बढ़िया न होने से अच्छे भाव नहीं मिल रहे हैं। कोरोना कर्फ्यू में ढील होने के बाद आम निर्यातकों को उम्मीद है कि ट्रांसपोर्ट कंपनियों के सहारे प्रदेशों की मंडियों में मलिहाबादी दशहरी आम की सप्लाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा। मानसून की शुरुआत के बाद अब दशहरी की खुशबू देशभर की मंडियों में पहुंचाने की तैयारी जोरों पर है।

दशहरी की अच्छी फसल के मौसम सूखा रहना जरूरी

रहमानखेड़ा के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉक्टर शैलेश राजन ने एक बातचीत में कहा कि दशहरी की फसल अच्छी होने के लिए मौसम सूखा रहना चाहिए। लखनऊ का मौसम सामान्यतः सूखा रहता था लेकिन इस बार मौसम की तब्दीली से दशहरी पर असर पड़ा है और उसके जल्दी खराब हो जाने की आशंका हो गई है। इस वजह मलिहाबाद के बागवान और आम कारोबारी भी परेशान हैं। संक्रमण के डर से निर्यात पर भी असर पड़ने की आशंका है।

कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को बाजार नहीं मिल रहा: फोटो- सोशल मीडिया

आम का कारोबार करीब दस हजार करोड़ का

मलिहाबाद में आम का कारोबार करीब दस हजार करोड़ का है। बागवानों को इस बार मौसम के साथ कोरोना की मार ने भी भारी नुकसान पहुंचाया है। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को बाजार नहीं मिल रहा है। इसके चलते बागवान 20 से 25 फीसद कम कीमत पर आम बेचने को मजबूर हो रहे हैं।

दशहरी को जीआइ टैग

दशहरी को जीआइ टैग :- लखनऊ के माल, मलिहाबाद और काकोरी की दशहरी मिठास, आकार और रंग दूसरे राज्यों या देशों की दशहरी से अलग है। लू में यहां के दशहरी की मिठास और बढ़ जाती है। इसी गुण की वजह से दशहरी को जीआइ (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) टैग दिया गया है।

Shashi kant gautam

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