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KGMU: सड़क दुर्घटनाओं के कारण बढ़ रहीं एसिटाबुलर फ्रैक्चर की समस्याएं, रोगियों की हुई लाइव सर्जरी

Lucknow: एनाटॉमी विभाग के सहयोग से 'केजीएमयू पेलवी- एसिटाबुलर सीएमई और कैडेवरिक वर्कशॉप' का आयोजन किया है। सीएमई का उद्घाटन मुख्य अतिथि और कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने किया।

Shashwat Mishra
Published on: 14 Aug 2022 7:21 PM IST
Lucknow News In Hindi
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केजीएमयू पेलवी- एसिटाबुलर सीएमई और कैडेवरिक वर्कशॉप' का आयोजन 

Lucknow: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) के आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग ने उत्तर प्रदेश ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (Uttar Pradesh Orthopedic Association) के तत्वावधान में एनाटॉमी विभाग (Department of Anatomy) के सहयोग से 'केजीएमयू पेलवी- एसिटाबुलर सीएमई और कैडेवरिक वर्कशॉप' का आयोजन किया है। सीएमई का उद्घाटन मुख्य अतिथि और कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी (Vice Chancellor Lt Gen Dr Bipin Puri) ने किया।

रोगियों की हुई लाइव सर्जरी

इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (Indian Orthopedic Association) के अध्यक्ष डॉ आर.के. सेन (Chairman Dr. R.K. Sen) कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। प्रो. आर. के. सेन, डॉ अभय एलहेन्स और डॉ दिनेश काले ने एसिटाबुलर फ्रैक्चर के प्रबंधन और सर्जिकल दृष्टिकोण के बारे में बात की और उन्होंने उन रोगियों की लाइव सर्जरी की है, जिन्हें आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया था।

जाने-माने गेस्ट फैकल्टी की देखरेख में हुई कैडवेरिक सर्जरी

सीएमई की निरंतरता में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण का दिन था। देश के जाने-माने गेस्ट फैकल्टी डॉ. आर. के. सेन, डॉ अभय एलहेन्स, डॉ दिनेश काले, डॉ नदीम फारूकी और डॉ संजय श्रीवास्तव ने केजीएमयू ऑर्थोपेडिक्स संकाय और आयोजन सचिव डॉ धर्मेंद्र कुमार और उनकी टीम डॉ संजीव कुमार, डॉ अर्पित सिंह और रवींद्र मोहन की देखरेख में कैडवेरिक सर्जरी की। इन कैडवेरिक सर्जरी ने प्रतिनिधियों को पेलवी- एसिटाबुलर फ्रैक्चर के प्रबंधन के लिए विभिन्न तरीकों को सीखने में सक्षम बनाया।

सड़क दुर्घटनाओं के कारण बढ़ रहीं एसिटाबुलर फ्रैक्चर की समस्याएं

इस कैडवेरिक वर्कशॉप का मुख्य आकर्षण विभिन्न सर्जिकल दृष्टिकोणों पर कैडवर पर सर्जिकल प्रदर्शन था, जिसका उपयोग आमंत्रित प्रसिद्ध विशेषज्ञों द्वारा एसिटाबुलर फ्रैक्चर के प्रबंधन के लिए किया जाता है। डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि भारत में सड़क यातायात दुर्घटनाओं में वृद्धि के कारण एसिटाबुलर फ्रैक्चर की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं, इसलिए इस प्रकार की कार्यशालाएं आज के समय की आवश्यकता है। पहले इस तरह की चोटों का इलाज नॉनसर्जिकल से किया जाता था, जो आजीवन विकलांगता की ओर ले जाता है।



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Deepak Kumar

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