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Awadh Mahotsav 2022: कला, संस्कृति और विरासत की छाप छोड़ हुआ विदा, अल्ताफ़ राजा की कव्वाली ने बांधा समां
Lucknow: 'वाजिद अली शाह अवध महोत्सव' की आखिरी शाम में देश के दिग्गज कलाकारों ने अपनी गायकी के रंग भरे। पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अवध महोत्सव की आखिरी शाम में संगीतप्रेमियों का जमावड़ा लगा।
Lucknow: 'वाजिद अली शाह अवध महोत्सव' (Wajid Ali Shah Avadh Festival) की आखिरी शाम में देश के दिग्गज कलाकारों ने अपनी गायकी के रंग भरे। पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अवध महोत्सव की आखिरी शाम में संगीतप्रेमियों का जमावड़ा लगा। दिन में कठपुतली और लोक कलाकारों ने स्वतंत्रता आंदोलन के वीर सपूतों की दास्तानों को बयां किया। लोगों ने पारंपरिक अवधी व्यंजनों का आनंद लिया और हस्तशिल्प प्रदर्शनी में खरीदारी की। लोक रंगों से सजे परिसर में बने सेल्फी प्वाइंट पर लोगों में पलों को कैद करने की होड़ लगी रही। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित महोत्सव की शाम में लोक संस्कृतियों के रंग देर रात तक छाये रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पर्यटन-संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, विशिष्ट अतिथि पद्मश्री राज बिसरिया ने संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने दीप प्रज्जवलित कर सांस्कृतिक शाम का उद्घाटन किया।
कमाल खान के भजनों से शाम हुई भक्तिमय
शुरुआत लखनऊ के कमाल खान (kamaal khan) और उनके साथियों ने अपने सुमधुर भजनों से पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया। उन्होंने जब राम नाम गुन गायेगा, तेरा जनम सफल हो जायेगा…, बाबा गोरखनाथ तुम्हारा है सहारा…, श्याम अम्बर है श्याम दिगंबर… और जय जननी मां जय गोमाता… सहित अन्य भजनों की प्रस्तुति से हर किसी को प्रभावित किया। इसके बाद गोंडा के शिवपूजन शुक्ल ने अवधी संस्कार गीतों से पारंपरिक अवधी परंपराओं की झलक पेश की। उन्होंने बधईया बाजै आंगने में…, मुड़े पे हाथ फेरि पूछैं कन्हैया…, हमरी सीता हैं गोरी तुम्हार राम करिया…, तीनों मइया चारों भईया का खिलावैं… भजनों की सुमधुर प्रस्तुति दी तो महोत्सव परिसर तालियों से गूंज उठा। नक्कारे पर सुनील विश्वकर्मा, ढोलक पर सत्यम सिंह, कीबोर्ड पर चंद्रेश पांडेय ने शानदार संगत की।
सोमा घोष ने गया 'हमरी अटरिया आजा ओ सांवरिया…'
मुंबई से आईं पद्मश्री सोमा घोष (Padmashree Soma Ghosh) ने एक से बढ़कर एक ठुमरी और दादरा सुनाकर दर्शकों को आनंदित कर दिया। उन्होंने अपनी शुरुआत चैती ठुमरी - कउने कारन जोगिया हो रामा…गाकर शुरुआत की। इसके बाद अवधी होरी – होरी खेलन नहीं जाने देखो आये अनोखे खिलइया… गाया, तो वाराणसी घराने की युगल जोड़ी पं सौरभ-गौरव मिश्र ने कथक की पारंपरिक झलक पेश कर होली के रंग जमाये। इसके बाद पदमश्री सोमा घोष ने हमरी अटरिया आजा ओ सांवरिया…, वो जो हममें तुममे करार था…, मीना कुमारी की चर्चित गजल- चांद तन्हा आस्मां तन्हा…सुनाकर आनंदित किया। तबला पर ललित कुमार, हारमोनियम पर पंकज मिश्र, बांसुरी पर मुकुंद शर्मा व साइड रिद्म पर मोहन कृष्ण ने शानदार संगत की।
दिल्ली की गौरी दिवाकर ने कथक नृत्य किया प्रस्तुत
दिल्ली की गौरी दिवाकर (Gauri Diwakar) के नृत्य निर्देशन में ग्रुप कलाकारों ने प्रभावी कथक नृत्य सरंचना पेश की। जिसमें उन्होंने स्त्री सुंदरता, स्वतंत्रता को बखूबी अभिव्यक्त किया। गीत-संगीत में ढली इस प्रस्तुति में राधा को प्रतीक मानकर नारी संवेदनाओं से रूबरू कराया। संगीत संयोजन शुभा मुदग्ल व अनीस प्रधान का था। प्रस्तुति में शुभी जौहर, अनुकृति विश्वकर्मा, मीरा रावत, सौम्या ने भावपूर्ण नृत्य पेश किया। तो लाइट डायरेक्शन गोविंद सिंह का रहा।
अल्ताफ़ राजा ने गाया 'इश्क़ और प्यार का मज़ा लीजिए'
मुंबई के अल्ताफ राजा (Altaf Raja) ने कव्वाली गायकी से लोगों को थिरकने पर मजबूर कर किया। उनकी प्रस्तुति के दौरान हर कोई थिरकता नजर आया। उन्होंने अपने एक बढ़कर एक चर्चित गाने सुनाये तो पूरा परिसर तालियों से गूंजता रहा। दोनों ही मोहब्बत के जज्बात में जलते हैं…, इश्क और प्यार का मजा लीजिए…, तुम तो ठहरे परदेसी…, तुमसे कितना प्यार…, आवारा हवा का झोंका हूं… और दिल का हाल सुने दिलवाला…जैसे कई गाने सुनाकर खूब प्रशंसा पाई।
कठपुतली में दिखा आजादी का संघर्ष
अवध महोत्सव (Avadh Festival In Lucknow) में लखनऊ के कठपुतली कलाकार मेराज आलम के ग्रुप कलाकारों ने शहीदों की गाथा का बखान किया। उन्होंने शहीद ऊधम सिंह के स्वतंत्रता आंदोलन में किये गये संघर्ष को बखूबी पेश किया। चंद्रशेखर, संतोष मौर्य, तान्या मेराज, अजय, दिलशाद, अब्दुल रहमान, सुरेंद्र प्रताप ने प्रभावी कठपुतली प्रस्तुति दी। शाहजहांपुर के कप्तान सिंह कर्णधार ने ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन एक्शन घटना का किस्सा पेश किया। जिसमें शहीद चंद्रशेखर आजाद, राजेंद्र लाहिड़ी, अशफाक और बिस्मिल सहित अन्य क्रांतिकारियों की वीरगाथा पेश की। वाराणसी के राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने जयसुभाष कठपुतली प्रस्तुति में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के देश के प्रति किये गये संघर्षों को बयां किया। शोभनाथ, महेंद्र कुमार, अमित, लालजी प्रसाद, महादेव, हौसला देवी व प्रदीप पटेल ने प्रभावी प्रस्तुति देकर लोगों में देशभक्ति का जोश भरा।
किस्सागोई और नृ्त्य प्रतियोगिताएं
ज्योति किरण रतन के संयोजन में बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों की प्रतियोगिताएं हुईं। जिसमें 150 प्रतिभागियों ने नृत्य, लोक गायन व लोक नृत्य के हुनर दिखाये। किस्सागो अरशना अजमत ने लखनऊ की चिकनकारी, दस्तरखान, बावर्ची, कथक और मोहल्लों के रोचक किस्से सुनाये। नौशाद ने लखनऊ की पारंपरिक कठपुतली का प्रदर्शन कर प्रभावित किया। दिन में अभिषेक यादव व सूर्य कुमार गौड़ ने पांरपरिक फरवाही नृत्य कर भगवान राम की गाथा का बखान किया।
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