Lucknow News: लखनऊ में हुआ महिलाओं का ज़बरदस्त दंगल- बीते 100 सालों से हो रही कुश्ती, पुरुषों का आना है सख़्त मना

Lucknow News: लखनऊ में हुआ महिलाओं का ज़बरदस्त दंगल: अहिमामऊ गांव में 'हापा' नामक दंगल होता है। जहां पुरुषों का आना सख़्त मना होता है। दर्शकों व खेल में सिर्फ़ महिलाएं ही महिलाएं होती हैं।

Shashwat Mishra
Published on: 3 Aug 2022 3:05 PM GMT
Womens riot took place in Lucknow: Wrestling is going on for the last 100 years, men are strictly forbidden to come
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लखनऊ में हुआ महिलाओं का ज़बरदस्त दंगल: Photo- Newstrack

Lucknow News: दंगल, मैरीकॉम और अकीरा जैसी फिल्मों में आपने लड़कियों को लड़ते हुए देखा होगा। देखकर ख़ूब तालियां भी बजाई होंगी। सराहना भी की होगी। मग़र, फ़िल्मी दुनिया से इतर एक ऐसी जगह है, जहां बीते 100 से अधिक वर्षों से नागपंचमी के दूसरे दिन महिलाएं पहलवानी करती नज़र आती हैं। ये जगह और कहीं नहीं, प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में ही है। यहां के अहिमामऊ गांव में 'हापा' (Hapa wrestling) नामक दंगल होता है। जहां पुरुषों का आना सख़्त मना होता है। दर्शकों व खेल में सिर्फ़ महिलाएं ही महिलाएं होती हैं।




विनय कुमारी बनी विजेता

बुधवार को गांव की महिलाएं इकट्ठी होकर देवी पूजन और गीत गाने के बाद मैदान में दंगल के लिए एक-दूसरे को ललकारती हुई उतरीं। एक ओर मेला लगा हुआ था। तो, दूसरी ओर गांव की महिलाओं का दंगल यानि 'हापा' चल रहा था। हापा शुरू होता है और विनय कुमारी औरों को मुकाबले के लिए ललकारती हैं। शांति मुकबले के लिए मैदान में उतरती हैं और शुरू होती है; इन दोनों के बीच पटका-पटकी। विनय कुमारी उसे जोरदार पटखनी देती हुई उसकी छाती पर चढ़कर बैठ जाती है। शांति चारों खाने चित्‍त और जीत विनय कुमारी की होती है। दंगल जीतने के लिए विनय कुमारी को पांच सौ रूपए मिले, वहीं अन्‍य विजेताओं को साड़ी दी गई।




बेगम यहां आकर आराम फरमाती थी

जानकारों का बताना है कि 100 साल से पहले नवाबों के जमाने में बेगम यहां आकर आराम फरमाती थी। उस समय नाच-गाना और खाना पीना होता था। महिलाएं आपस में मुंहजबानी कर चुहलबाजी करती थी। लेकिन, समय के साथ यह सब बदल गया है। उस समय कुश्‍ती नहीं होती थी। अब यह सब होने लगा है। उस समय के आयोजन को ही हापा कहते थे। पिछले 8-9 साल से हो रही कुश्‍ती को भी 'हापा' कहा जाने लगा है।




महिलाओं के हाथों में पूरा आयोजन

विनय कुमारी बताती हैं कि इस कार्यक्रम का सारा काम महिलाएं खुद ही करती है। इसमें किसी और की मदद नहीं ली जाती है। इसमें देवी पूजा के लिए एक टोकरी में फल, बताशे, खिलौने और श्रृंगार का सामान रखा होता है। जिसे रीछ देवी, गूंगे देवी और दुर्गा की पूजा के साथ भुईया देवी की जयकार के साथ होती है। इसके बाद महिलाएं ढोलक के साथ गाने गाकर मनोरंजन करती है।




पुरूषों के आने पर प्रतिबंध

हापा में पुरूषों का आना पूरी तरह से मना होता है। यहां तक कि अगर कोई पुरूष अपनी घर की छत पर भी खड़ा होता है, तो उसे भी अंदर जाने के लिए कहा जाता है। ताकि कोई इसे देख ना सके। महिलाओं के साथ केवल छोटे बच्‍चों को ही आने की अनुमति है।

Shashi kant gautam

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