Lucknow: बिलकिस बानो केस में सजा काट रहे 11 अभियुक्तों को रिहा करने पर सोशलिस्ट महिला सभा ने किया विरोध

Lucknow News: बिलकिस बानो के गैंगरेप मामले में सजा काट रहे 11 अभियुक्तों को रिहा करने के मामले में शुक्रवार को लखनऊ के शहीद स्मारक पर सोशलिस्ट पार्टी ने प्रदर्शन किया

Shashwat Mishra
Published on: 2 Sep 2022 11:06 AM GMT
Lucknow News In Hindi
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सोशलिस्ट महिला सभा ने किया विरोध

Lucknow News: बिलकिस बानो के गैंगरेप मामले में सजा काट रहे 11 अभियुक्तों को रिहा करने के मामले में शुक्रवार को लखनऊ के शहीद स्मारक पर सोशलिस्ट पार्टी ने प्रदर्शन किया। पार्टी के महासचिव संदीप पांडेय की अगुवाई में सोशलिस्ट महिला सभा ने जमकर प्रदर्शन कर गुजरात सरकार को कोसा।

पार्टी की ओर से जारी किये गए पत्र में लिखा गया है कि गुजरात में बिलकिस बानो के बलात्कारी सजा काट रहे थे, और उनकी सजा माफ कर उन्हें जेल से छोड़ दिया गया। यह शायद गुजरात मॉडल है कि दोषी जेल से बाहर हैं और तीस्ता सेतलवाद, आर.बी. श्रीकुमार व संजीव भट्ट जो न्याय की लड़ाई लड़ रहे थे, वे जेल के अंदर हैं। इसके अलावा, पार्टी द्वारा झारखंड के शाहरुख व इंद्र कुमार मेघवाल का भी मामला उठाया।


गुजरात सरकार में मंत्री माया कोडनानी की सजा माफ

पार्टी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि इससे पहले 2002 की गुजरात साम्प्रदायिक हिंसा में नरोदा पाटिया में मुस्लिम जन संहार के आरोप में उस समय की मोदी सरकार में मंत्री रही माया कोडनानी और उनके सहयोगी बाबू बजरंगी को भी सजा हुई थी। माया कोडनानी की सजा माफ हो गई और बाबू बजरंगी भी जमानत पर जेल से बाहर हैं। 2002 की हिंसा के दोषियों के प्रति जिस प्रकार की नर्मी बरती जा रही है, जबकि बिना सबूत के आरोपों में कई बुद्धिजीवी व छात्र जेलों में सड़ रहे हैं और उन्हें जमानत नहीं मिल रही, वह आपराधिक न्यायिक व्यवस्था का मजाक ही है।


कब तक जातिवादी भेदभाव व हिंसा का दंश झेलेगा?

सोशलिस्ट महिला सभा की ओर से कहा गया कि इंद्र कुमार मेघवाल को शायद जातिवादी हकीकत का अंदाजा नहीं था। आखिर वह कक्षा 7 का ही छात्र था। उच्च वर्ण के शिक्षक द्वारा पिटाई से उसकी मौत ने एक बार हमें फिर जातिवाद के घिनौने रूप से सामना करा दिया है। आरोपी शिक्षक है, तो जाहिर है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था भी हमें जातिवादी मानसिकता से नहीं उबार पा रही। सवाल खड़ा होता है कि छुआछूत के खिलाफ कठोर कानून होते हुए भी हम इस समस्या से निजात क्यों नहीं पा रहे हैं? क्या इसी बात में सच्चाई है कि जाति जाती नहीं कब तक हमारा समाज जातिवादी भेदभाव व हिंसा का दंश झेलता रहेगा?।

Deepak Kumar

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