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लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रावासों का बुरा हाल, ऐसे में कैसे रहें छात्र
यूपी के विश्वविद्यालयों में नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत के साथ ही छात्रावासों के आवंटन का दौर भी शुरू हो चुका है। छात्रावासों में रहने के लिए पहुंचे छात्र उनकी खस्ता हालत देखकर हैरान हैं। पुराने छात्र भी तमाम दिक्कतें झेलते हुए उनमें रहने को मजबूर हैं।
सुधांशु सक्सेना
लखनऊ : यूपी के विश्वविद्यालयों में नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत के साथ ही छात्रावासों के आवंटन का दौर भी शुरू हो चुका है। छात्रावासों में रहने के लिए पहुंचे छात्र उनकी खस्ता हालत देखकर हैरान हैं। पुराने छात्र भी तमाम दिक्कतें झेलते हुए उनमें रहने को मजबूर हैं।
लड़कों के ही नहीं बल्कि लड़कियों के छात्रावासों की भी हालत काफी खराब है। छात्र इस बाबत कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन को अवगत करा चुके हैं मगर फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। अपना भारत ने लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) के विभिन्न छात्रावासों का जायजा लिया तो पता चला कि छात्र ऐसी परिस्थितियों में रहने को विवश हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिहाज से भी उचित नहीं है।
टूटे दरवाजों के पीछे रहने को मजबूर हैं लड़कियां
एलयू के तिलक गर्ल्स हॉस्टल के अंदर की फोटो छात्रावास में रह रही छात्राओं ने उपलब्ध कराई। छात्राएं सीलन भरी दीवारों और गंदगी के बीच रहने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं यहां कई कमरों के दरवाजे भी टूटे हुए हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक छात्रा ने बताया कि यूनिवॢसटी ने प्रवेश के समय हॉस्टल दुरुस्त कराकर आवंटन की बात कही थी, लेकिन जब सामान लेकर यहां पहुंचे तो नजारा कल्पना से परे था। यहां टूटे दरवाजे और गंदे शौचालय देखकर सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों को खतरा महसूस होने लगा। ऐसे हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करना संभव ही नहीं है। इसके लिए प्रोवोस्ट और कुलपति तक को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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हबीबुल्लाह हॉस्टल में जगह-जगह गंदगी और बदबू
एलयू के हबीबुल्लाह ब्वॉयज हॉस्टल में रहने वाले छात्रों का आरोप है कि यहां पर नियमित रूप से सफाई नहीं होती। इस कारण यहां पर रहना दूभर है। इसके अलावा शौचालय खस्ताहाल हैं। सभी शौचालयों के फ्लश टूटे हुए हैं। भवन काफी जर्जर हो चुका है। तमाम कोशिशों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है। छात्रनेता अंकित सिंह बाबू का कहना है कि हाल ही में छात्रावास की फीस में तीन गुना बढ़ोत्तरी की गई। कई स्टूडेंट ने बढ़ी हुई फीस दी मगर उन्हें इस तरह के हॉस्टल में रहना पड़ रहा है।
आचार्य नरेंद्रदेव हॉस्टल के पीछे ही डंप होता है कूड़ा
आचार्य नरेंद्र देव हॉस्टल के पास तो गंदगी का अंबार है। इस हॉस्टल के पीछे ही कूड़ा डंप किया जा रहा है। बदबू के चलते छात्र अपनी खिड़कियां बंद ही रखते हैं। जिन कमरों की खिडक़ी टूटी हुई है, उनमें रहने वाले बदबू झेलने को मजबूर हैं। जर्जर भवन का कहीं प्लास्टर झड़ रहा है तो कहीं पर बिजली के तार लटक रहे हैं।
करोड़ों खर्च करने पर भी समस्या जस की तस
एलयू में 16 छात्रावास हैं। इनमें आचार्य नरेंद्र देव, बीरबल साहनी, लाल बहादुर शास्त्री, बलरामपुर इंटरनेशनल हॉल, हबीबुल्लाह, होमी जहांगीर भाभा लॉ हॉल, मैनेजमेंट ब्वॉयज हॉस्टल, महमूदाबाद छात्रावास, सुभाष हॉस्टल, रणवीर सिंह बिष्ट आट्र्स हॉल, चंद्रशेखर आजाद, गोल्डन जुबली ब्वायज हॉस्टल हैं। इसके अलावा कैलाश, मैनेजमेंट गर्ल्स हॉस्टल, तिलक हॉस्टल, डॉ भीमराव अंबेडकर गर्ल्स हॉस्टल हैं।
5 लाख से 7 लाख सालाना का मेंटेनेंस
सूत्रों के मुताबिक प्रतिवर्ष हर छात्रावास पर 5 लाख से 7 लाख सालाना का मेंटेनेंस बजट उपलब्ध रहता है। इसके बावजूद बारिश में इन छात्रावासों में जगह-जगह जलभराव से लेकर पानी टपकने के साथ गंदगी का अंबार लगा रहता है। शौचालयों से लेकर यहां के स्नानागारों में पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। चीफ प्रोवोस्ट संगीता रानी के मुताबिक अभी हॉस्टलों की साफ-सफाई का काम युद्ध स्तर पर जारी है, लेकिन व्यवस्था पूरी तरह सही होने में एक माह का समय लग जाएगा। उन्होंने बताया कि एलयू प्रशासन छात्रावासों में छात्रों को बेहतर माहौल देने के लिए प्रतिबद्ध है।
क्या कहना है वीसी का?
एलयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर एसपी सिंह का कहना है कि जब मैंने कार्यभार संभाला था तो यहां की व्यवस्था में काफी कमियां थीं। धीरे धीरे समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा रहा है। मेस की समस्या सुलझाने के लिए सेंटर मेस बना ली गई। ठीक उसी तरह उपद्रवी छात्रों पर नियंत्रण करके हॉस्टल की व्यवस्था को भी दुरुस्त कर लिया जाएगा। उम्मीद है कि जल्दी ही सबकुछ ठीक हो जाएगा।
एलयू का शुल्क हॉस्टल फीस
-बलरामपुर छात्रावास 6,000 रुपए प्रतिमाह
-मैनेजमेंट गल्र्स हॉस्टल 18,500 रुपये प्रतिवर्ष
-अन्य छात्रावास 5,800 रुपये प्रतिमाह
-डबल सीटर 6,000 रुपए प्रतिमाह सिंगल सीटर