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Lucknow University पुनर्जीवित करेगा 'लाहौल स्पीति घाटी' की 5 भाषाएं, मदद करेगी यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ टेक्सास

Lucknow Latest News : लखनऊ विश्वविद्यालय प्रदेश और देश के विभिन्न लुप्त हुए भाषाओं के शोध में लगा हुआ है। अब लखनऊ यूनिवर्सिटी के शोध में यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ टेक्सास मदद करेगी।

Shashwat Mishra
Published on: 4 April 2022 9:06 PM IST
Lucknow University
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लखनऊ विश्वविद्यालय (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया) 

Lucknow News: राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) का भाषा विज्ञान विभाग अपने शुरुआती वर्षों से लेकर, आज तक प्रदेश और देश के विभिन्न भाषाओं से संबंधित शोध में लगा हुआ है। इन भाषाओं में कई भाषाएं ऐसी भी हैं, जो लुप्त प्राय भाषाओं की श्रेणी में गिनी जाती हैं। भाषा विभाग की वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कविता रस्तोगी, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के. श्री कुमार ने अपने जीवन के विभिन्न पड़ावों पर अन्य विषयों के साथ-साथ लुप्त प्राय भाषाओं के संरक्षण व पुनर्जीवन पर कार्य किया है। जिसे अब बाक़ी प्रोफेसर भी आगे बढ़ा रहे हैं।

लाहौल स्पीति घाटी की पांच भाषाओं होंगी पुनर्जीवित

वर्तमान समय में विभाग प्रो. कविता रस्तोगी के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश की 5 भाषाओं के साथ काम कर रहा है। यह भाषाएं हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति घाटी में बोली जाती हैं। प्रोफेसर रस्तोगी और विभाग के अन्य शिक्षकों ने उत्तराखंड राज्य के लुप्त प्राय भाषाएं राजी, जाड़ और दारमा के काम और शोध के विषय में जानकर लाहौल स्पीति घाटी में विभिन्न भाषाएं बोलने वाले कुछ वक्ताओं ने स्वयं अपनी तरफ से अपनी भाषा का संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लक्ष्य की दृष्टि से विभाग के साथ काम करने की इच्छा जताई।

डाटा को आर्काइव करने में मदद करेगी यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ टेक्सास

इस संदर्भ में विभाग आज स्टोडपा, पट्टनी, तिनान, गढ़ी और स्पीति भाषाओं पर काम कर रहा है। इस शोध के मुख्य लक्ष्य हैं; भाषाओं का डॉक्यूमेंटेशन करना, जिनमें शब्दकोश, प्राइमर एवं व्याकरण के साथ-साथ लोक संगीत, लोक नृत्य, लोक कला और लोक कथाएं भी शामिल है। विभाग इन भाषाओं के वक्ताओं के साथ ट्रेनिंग वर्कशॉप भी कर रहे हैं। जिनसे स्वयं वक्ताओं को ही अपनी भाषा को डॉक्यूमेंट कर उसे सहेजने की समझ दी जा सके। इन वर्कशॉप में भाषा संरक्षण से संबंधित जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। ताकि संरक्षण के कार्य में भाषाई समाज के सभी पीढ़ियों को जोड़ा जा सके। इस कार्य में अब तक शब्द सूची, वाक्य सूची का काम संपन्न हो चुका है। इस समस्त डाटा को आर्काइव करने में यूनिवर्सिटी ऑफ़ नॉर्थ टेक्सास की कॉर्सल यानी कंप्यूटेशनल रिसोर्स फॉर साउथ एशियन लैंग्वेजेस विभाग की मदद कर रहा है।



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Bishwajeet Kumar

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