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Lucknow Jila Jail: लखनऊ मोहनलालगंज स्थित जिला जेल में लखनऊ विश्वविद्यालय की टीम का दौरा, जाने क्या है व्यवस्थाएं

Lucknow Jila Jail: रोटी बनाने वाले मशीन के कामकाज के बारे में बताया जो प्रति घंटे 4000 रोटियां बनाने में सक्षम है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक ही पाली में कुल 24000 रोटियों का उत्पादन किया जाता है।

Anant kumar shukla
Published on: 15 Feb 2023 6:20 PM IST (Updated on: 15 Feb 2023 6:28 PM IST)
Lucknow University team visits Mohanlalganj District Jail
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Lucknow University team visits Mohanlalganj District Jail (Social Media)

Lucknow Jila Jail: लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय, में स्थापित कानूनी सहायता केंद्र, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के सहयोग से "सभी के लिए न्याय तक समान पहुंच" प्रदान करने के उद्देश्य से जिला जेल, मोहनलालगंज, लखनऊ का दौरा किया। यह दौरा लखनऊ विश्वविद्यालय हेड एंड डीन लॉ फैकल्टी प्रोफेसर डॉ. बी.डी. सिंह और डॉ. आलोक अध्यक्ष विधिक सहायता केंद्र के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण और समन्वय के तहत किया गया था। आइए जानते हैं जेल में कैदियों के लिए क्या व्यवस्थाएं है।

जेल की क्षमता

  • जेल की कुल क्षमता- 3,500
  • वर्तमान में रहने वाले कैदी- 4,500
  • पुरुष कैदी- 4,350
  • महिला कैदी- 150
  • जेल को 5 सर्किलों में बांटा गया है,
  • प्रत्येक सर्कल में अलग- अलग संख्या में कैदी रहते हैं।
  • पुरुष और महिला जेल अलग- अलग हैं।

कैदियो को दी जाने वाली सुविधाएं

  • कैदियों को सप्ताह में तीन बार पीसीओ के उपयोग की अनुमति थी.
  • कैदी मात्र पांच मिनट के लिए कॉल कर सकते है.
  • परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों को 20 मिनट के लिए कैदी से मिलने की अनुमति है।
  • वे सप्ताह में तीन दिन मिल सकते है.
  • रविवार को किसी से मिलने की इजाजत नहीं है।
  • इसके बाद डिप्टी जेलर डीडी सिंह ने टीम को कम्यूनिटी किचन के बारे में जानकारी दी।

रसोईं संचालक मानवित्रा रोटी बनाने वाले मशीन के कामकाज के बारे में बताया जो प्रति घंटे 4000 रोटियां बनाने में सक्षम है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक ही पाली में कुल 24000 रोटियों का उत्पादन किया जाता है।

जेल में कार्य आवंटन

  • कार्य का आवंटन जेलर द्वारा किया जाता है.
  • कार्य का समान बंटवारा होता है.
  • श्रमिकों को रसोई में कार्य करने के लिए पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है।.
  • बंदियों को दिन में दो बार सुबह 11 बजे और शाम को 5 बजे भोजन दिया जाता है..

जेल की अस्पतालों में क्या है व्यवस्था

  • अस्पताल में सौ बिस्तरों की कुल क्षमता वाले पांच वार्ड थे,
  • क्षय रोग के मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाए गए थे
  • महिला बंदियों को साप्ताहिक जांच की सुविधा दी गई जिसके लिए महिला चिकित्सक कोशनिवार को अलग से बुलाया जाता हैं ।
  • अस्पताल में कुल चार चिकित्सक नियुक्त है.
  • कोई महिला चिकित्सक नियुक्त नही है.
  • जेल में कोई आपातकालीन वार्ड की व्यवस्था नही हैं,
  • आपातकाल की स्थिति में मरीज को निकटतम अस्पताल ले जाया जाता हैं जो की जिला जेल से 30 किमी की दूरी पर स्थित हैं.
  • यहां 11 आइसोलेशन वार्ड थे, जो पुरानी बीमारी, मानसिक अस्थिरता या दिवालियापन से पीढित मरीजो को उपलब्ध कराये गए थे.

बंदियों के बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था

  • महिला बंदियों के 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों को जेल में उनके साथ रहने की अनुमति है।
  • ऐसे बच्चों की शिक्षा पर भी अधिकारियों का ध्यान था।
  • स्थानीय स्कूलों के अध्यापक ऐसे बच्चों को पढ़ाने आते है.
  • महिला कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है लेकिन COVID-19 के बाद व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं दिया गया है.
  • जेल में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का नियमित दौरा होता है।
  • सप्‍ताह में एक बार संयुक्‍त मुलाक़ात की अनुमति है.
  • जेल में कोई शिकायत पेटी नहीं है।

कैदियों की मानसिक स्थिति

  • कुछ कैदी तनाव, चिंता और अवसाद में थे।
  • कुछ अपने परिवार के सदस्यों, उनकी स्थिति और पीड़ा के बारे में सोचते थे।
  • जेल में काउंसलिंग सेशन की जरूरत है
  • जेल अधिकारी दो महीने में एक बार काउंसलिंग सत्र आयोजित करते थे।

कैदियों को दी गई कानूनी जानकारी

कानूनी सहायता केंद्र के सदस्यों ने कई विषयों पर एक कार्यशाला भी आयोजित की-

दलील सौदेबाजी

दलील सौदेबाजी (प्ली बार्गेनिंग) के संबंध में एक संक्षिप्त विवरण दिया गया. जिसमें बताया गया कि यदि एक अभियुक्त कम अपराध का अपराध स्वीकार करता है. दूसरे पक्ष को मुआवजा देता है या अपराध स्वीकार करता है, तो सजा को तदनुसार कम किया जा सकता है. या अन्य आरोपों को खारिज किया जा सकता है।

निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार

गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने का अधिकार. वकीलों की नियुक्ति. प्राथमिकी प्रति के प्रावधान जैसे निष्पक्ष परीक्षण या निष्पक्ष सुनवई के अधिकार पर संक्षेप में चर्चा की गई।

जीवन का अधिकार

अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार पर चर्चा की गई. कैदियों को अमानवीय व्यवहार के खिलाफ उनके अधिकारों के बारे में बताया गया।

कानूनी सहायता

जेल के अंदर बंदियों को कानूनी सहायता और नैतिक सहायता के प्रावधान की जानकारी दी गई. जागरूकता के अभाव में उन्हें होने वाली असुविधाओं पर चर्चा की गई।

सर्वे के दौरान मिली खामियां

सुधार की और गुंजाइश के लिए जेल में एक शिकायत पेटी स्थापित की जानी चाहिए जो अभी नहीं है। जेल के निकटतम अस्पताल लगभग 30 किलोमीटर दूर था, जो संभवतः इलाज योग्य परिस्थितियों में भी रोगी के लिए घातक स्थिति पैदा कर सकता है। इसके अलावा जेल में ऑपरेशन वार्ड भी नहीं थे।



Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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