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Lucknow Video: लखनऊ में एक ऐसा भी Zomato डिलीवरी बॉय, चल नहीं सकता, लेकिन फिर भी आप तक पहुँचा रहा खाना

Lucknow Zomato Boy Video: आपको ऐसे शख़्स से मिलाते है जिसने अपने सपनों के आड़े अपनी दिव्यांगता को नहीं आने दिया और आज लखनऊ में बेहद सफल डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहे हैं।

Ashutosh Tripathi
Published on: 12 Sep 2022 4:24 AM GMT (Updated on: 12 Sep 2022 4:28 AM GMT)
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Lucknow Video Handicapped Zomato Delivery Boy

Lucknow Video Zomato Delivery Boy: सोचने से कहाँ मिलते हैं तमन्नाओं के शहर… चलना भी ज़रूरी है,मंज़िल को पाने के लिये। लेकिन अगर आपके पैर चलने में आपका साथ ना दें तो ऐसे में में आप क्या करेंगे? क्या हुआ सोच में पड़ गए ना… चलिये आपको ऐसे शख़्स से मिलाते है जिसने अपने सपनों के आड़े अपनी दिव्यांगता को नहीं आने दिया और आज लखनऊ में बेहद सफल डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहे हैं।

लखनऊ ग़ाज़ीपुर गाँव के रहने वाले 31 वर्षीय विनोद वर्मा को जब कोई ऐसे काम करते देखता है तो दांतों तले उँगली दबा लेता है। विनोद पिछले 2 सालों से घर-घर फ़ूड डिलीवरी का काम कर रहे हैं। विनोद के कमर के नीचे का हिस्सा 7 महीने की उम्र पूरी तरह से पैरालाईज़्ड है। बावजूद इसके सच्ची लगन और दृढ़ संकल्प के चलते विनोद ने कभी भी अपनी इस कमज़ोरी को अपने काम के आड़े नहीं आने दिया। विनोद का बचपन कठिनाइयों के बीच बीता, राजकीय सक्सेना इंटर कॉलेज ने उन्होंने अपना इंटर की पढ़ाई की। इसके बाद से ही वो लगातार काम करने में लग गये।

सीडी और कॉस्मेटिक का भी किया काम

शुरुआत में विनोद ने पाइरेटेड सीडी बनाने का काम किया, और इसके बाद उन्होंने कॉस्मेटिक की एक दुकान भी डाली, लेकिन कोरोना महामारी में सब ख़त्म कर दिया लेकिन विनोद ने हार मानना नहीं सीखा था और उन्होंने सबको बताया कि वो फ़ूड डिलीवरी का काम करेंगे। जिसे सुनने के बाद कई लोगों ने उनका मज़ाक़ उड़ाया कि तुम ये काम कैसे करोगे, लेकिन कहते हैं ना कि कौन कहता है कि आसमाँ में छेद हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। उसके बाद विनोद ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अब तो विनोद सोशल मीडिया पर भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं, कई लोग इनपर पोस्ट लिख चुके हैं तो कई लोग उनपर रील भी बना चुके हैं।

दिव्यांगता अभिश्राप नहीं होती

Newstrack.com ने जब विनोद वर्मा से इसपर बात कि तो उन्होंने कहा कि दिव्यांगता अभिश्राप नहीं होती है। लेकिन समाज ने इसे इतना घिनौना बना दिया है। कई बार जब मैं खाना लेकर जाता हूँ तो मुझे हीन भावना से देखा जाता है, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो मेरे जज़्बे को सराहते हैं। समाज में कोई भी क्रांति एक दिन में नहीं आती है.. हमें बदलना होगा और एक दिन बदलाव ज़रूर होगा।

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