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पंचगव्य उत्पादों से अब लखनऊ के लोगों को मिलेगी रोगों से निजात
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नन्दन सिंह ने पंचगव्य औषधियों के पहले चिकित्सा केन्द्र का उद्घाटन करते हुए इन्हें जन-जन तक ले जाने की घोषणा की।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कोशिशों में आयोग ने अपनी जिम्मेदारी को बढ़ाते हुए गोसंरक्षण और संवर्धन के लिए बड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नन्दन सिंह ने पंचगव्य औषधियों के पहले चिकित्सा केन्द्र का उद्घाटन करते हुए इन्हें जन-जन तक ले जाने की घोषणा की।
गोसेवा आयोग के अध्यक्ष गोसेवा से जुड़े विशेषज्ञों को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं। सभी विशेषज्ञों और संस्थाओं को एकजुट करके उत्तर प्रदेश की गोशालाओं को और गोसंवर्धन केन्दों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद की जा रही है।
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इसी कड़ी में लखनऊ और प्रदेश के पहले पंचगव्य औषधि केन्द्र का उद्घाटन करते हुए प्रो. श्याम नन्दन सिंह ने प्रदेश की प्रमुख गोशालाओं से पंचगव्य औषधियों और उत्पादों की बिक्री के लिए काउंटर खोलने की अपील की।
अध्यक्ष ने पंचगव्य औषधियों के साथ ही गो उत्पादों के प्रचार प्रसार के लिए आयोग के माध्यम से एक कैम्पेन शुरू करने का भी वादा किया है।
राजधानी लखनऊ में पंचगव्य औषधि चिकत्सा केन्द्र के उद्घाटन केन्द्र के अवसर पर विभिन्न विशेषज्ञों ने पंचगव्य औषधियों की उपयोगिता और पारम्परिक गुणों के बारे में जनमानस को अवगत करवाया।
गौरतलब है कि इस केन्द्र का संचालन बाबा नीम करौली औषधालय और श्री साकेत धाम आयुर्वेद संस्थान ने साझा प्रयासों से शुरू किया है।
इस अवसर पर पंचगव्य औषधि चिकित्सा केंद्र ने एक नि:शुल्क हेल्पलाइन नम्बर 9889333349 भी जारी किया है। जिस पर रोगी सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक नि:शुल्क परामर्श ले सकेंगे।
इलाज का परामर्श दिया जाएगा
विशेषज्ञ डॉ. मोहित त्रिवेदी और संचालिका डॉ उपमा त्रिवेदी ने बताया कि यह हेल्पलाइन रोगियों को पंचगव्य, नेचुरोपैथी, आयुर्वेद और पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों से इलाज का परामर्श दिया जाएगा।
इस हेल्पलाइनन का उद्घाटन करते हुए आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नन्दन सिंह ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर शुरू किए जाने को शुभ बताया और कहा कि वो खुद इसका सेवन शुरू कर चुके हैं, और उन्हें काफी लाभ मिला है।
उन्होंने कहा कि पंचगव्य औषधि चिकित्सा केंद्र से गोवंश के प्रति लोगों की रुचि बढ़ेगी और गोवंश की रक्षा होगा और जनमानस में स्वदेशी उत्पादों के प्रति लगाव भी बढ़ेगा।
पंचगव्य औषधियों पर शोध करने वाले डॉ. मोहित त्रिवेदी ने कहा कि कैंसर के मरीजों को गोमूत्र के प्रतिदिन सेवन से लाभ भी हो रहा है और उनकी आयु 10 से 12 साल तक बढ़ जाती है, कैंसर के कई मरीज ठीक भी चुके हैं।
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उद्घाटन के अवसर पर विशिष्ट अतिथि सनातन ज्ञानपीठ के संस्थापक योगेश कुमार मिश्रा ने पिछले 20 सालों से हर दिन केवल आधा गिलास गोमूत्र और 50 ग्राम मूगंफली का दाना खाकर पूरी तरह स्वस्थ सुनील मिश्रा से मिलवाया और सभी से गोवंश के संरक्षण के साथ ही गाय के उत्पादों के महत्व को समझने की अपील की।
शरीर के विशैले तत्वों को खत्म करने में मिलती है मदद
आईआईटीआर के पूर्व वरिष्ठ बैज्ञानिक डॉ. उमाशंकर श्रीवास्तव ने कहा कि गोमृत एक इम्यून इन्हेन्सर है, शरीर के विशैले तत्वों को खत्म करता है और किसी भी तरह की बिमारी में लाभकारी है।
भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के मानद राज्य जीव कल्याण अधिकारी और उप्र गोसेवा आयोग के पूर्व सचिव और यूनाइट फाउण्डेशन के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार त्रिपाठी ने कहा कि अगर पंचगव्य औषधि का सही दिशा में प्रचार प्रसार किया जाय तो लोगों का दवा पे खर्च होने वाला करोड़ों रुपये बच सकता है।
उन्होंने कहा कि पंचगव्य औषधि के प्रचार-प्रसार कराने में आयोग के प्रयासों में यूनाइट फाउण्डेशन के साथ ही सभी संस्थाएं हर संभव मदद करेंगी।
उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के अपर निदेशक, गोधन डॉ. अरविंद सिंह ने कहा कि गोवंश के सरंक्षण से ही मानव जाति का संरक्षण संभव है, यह बात हम सबको समझनी होगी।
औषधियों और उत्पादों के काउंटर लगाए जाएं
उन्होंने उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नन्दन से पंचगव्य औषधि को लेकर अपील की कि ऐसी संस्थानों को आयोग समबद्धता दे और गो संरक्षण केंद्रों पर इनकी औषधियों और उत्पादों के काउंटर लगाए जाएं। जिससे इनका प्रचार- प्रसार हो सके और लोगों में इनके प्रति रुझान बढ़े।
इस अवसर पर गोसेवा से जुड़े विशेषज्ञों और गोशालओं के संचालकों के साथ ही अखिलेश, अमित शुक्ला, रवि श्रीवास्तव, दीपक मिश्रा, लोक परामर्थ सेवा समीति के महामंत्री राजेन्द्र कुमार ‘लालू भाई’ सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन यूनाइट फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष राधेश्याम दीक्षित ने किया।
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